देश-विदेश
Trending

संसद का मानसून सत्र: आखिरी दिन भी हंगामे के आसार, जानिए कौन-कौन से मुद्दे रहेंगे गर्म

संसद का मानसून सत्र: हंगामे की भेंट चढ़ा, आखिर क्यों नहीं हो पाई चर्चा?-इस बार का मानसून सत्र, जो 21 जुलाई से शुरू हुआ था, शुरू से ही हंगामेदार रहा। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तकरार का माहौल ऐसा बना कि हर दिन कार्यवाही बाधित होती रही। विपक्ष अपने मुद्दों पर अड़ा रहा और लगातार हंगामा करता रहा, जिससे सामान्य कामकाज पर गहरा असर पड़ा। सरकार की ओर से इस रवैये पर नाराजगी भी जाहिर की गई, लेकिन विपक्ष अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं था। सत्र के आखिरी दिन भी ऐसे ही हंगामे के आसार थे, खासकर 130वें संविधान संशोधन बिल और बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) अभ्यास को लेकर। जहाँ सरकार चाहती थी कि बाकी बचे बिलों पर चर्चा हो और वे पास हो जाएं, वहीं विपक्ष इन सबको रोकने के मूड में दिख रहा था। यह सत्र एक बार फिर उसी राह पर चलता नजर आया जहाँ शोर-शराबा और वाकआउट तो खूब हुए, लेकिन मुद्दों पर गहरी चर्चा बहुत कम हो पाई।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

राज्यसभा में पेश होंगे अहम बिल, 130वें संशोधन पर गरमाई सियासत-गुरुवार को राज्यसभा में सरकार की ओर से गेमिंग बिल पेश किया जाना था, जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी सांसदों को व्हिप जारी कर दिया था ताकि बिल के दौरान उनकी पूरी उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। वहीं, 130वें संविधान संशोधन बिल को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और भी बढ़ गया था। बुधवार को जब गृह मंत्री अमित शाह ने यह बिल सदन में पेश किया, तभी से कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं। इस बिल को लेकर केवल संसद के भीतर ही नहीं, बल्कि बाहर भी प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। फिलहाल, यह बिल लोकसभा से पेश होकर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विचार के लिए भेजा गया है। जानकारों का मानना है कि यह संशोधन भविष्य की राजनीति और महत्वपूर्ण नीतिगत फैसलों पर काफी असर डाल सकता है। विपक्ष का आरोप है कि यह बिल देश के लोकतांत्रिक संतुलन को बिगाड़ सकता है, जबकि सरकार का पक्ष है कि यह देश के हित में उठाया गया कदम है। ऐसे में, सत्र के आखिरी दिन भी इस मुद्दे पर गरमागरमी बने रहने की पूरी संभावना थी।

अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का होगा सम्मान, भविष्य की राह पर होगी चर्चा-इस सत्र के दौरान एक बेहद खास पल भी देखने को मिला, जब संसद ने भारत के जांबाज अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का सम्मान किया। शुक्ला हाल ही में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से अपना एक सफल मिशन पूरा करके लौटे हैं। उनकी इस शानदार उपलब्धि के उपलक्ष्य में संसद में एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। इस चर्चा का मुख्य विषय था – वर्ष 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण में अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका। इसके अतिरिक्त, कई केंद्रीय मंत्री जैसे पंकज चौधरी, नित्यानंद राय, कीर्ति वर्धन सिंह, शांतनु ठाकुर, अजय टमटा, सुकांत मजूमदार और मुरलीधर मोहोल अपने-अपने मंत्रालयों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज सदन के पटल पर रखेंगे। साथ ही, विभिन्न स्थायी समितियों की रिपोर्टें भी पेश की जाएंगी, जिनमें रसायन और उर्वरक, श्रम और कौशल विकास तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता से जुड़ी समितियां शामिल हैं। यह हिस्सा काफी हद तक शांतिपूर्ण रहने की उम्मीद थी, लेकिन राजनीतिक मुद्दों पर होने वाले हंगामे के बीच इसका कितना प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

बिहार के एसआईआर अभ्यास पर क्यों मचा है बवाल? विपक्ष के क्या हैं आरोप?-पूरे मानसून सत्र के दौरान विपक्ष के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बिहार में चल रहा स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) अभ्यास रहा है। विपक्षी दलों का यह आरोप है कि इस पूरी प्रक्रिया का इस्तेमाल मतदाता सूची से असली मतदाताओं के नाम हटाने और उनकी जगह फर्जी नाम जोड़ने के लिए किया जा रहा है। उनका यह भी कहना है कि इस तरह की गतिविधियों का सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है और यह देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को खतरे में डाल सकती है। विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा है कि एसआईआर अभ्यास पर संसद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उनका सीधा आरोप है कि सरकार अपने चुनावी फायदे के लिए इस प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल कर रही है। हालांकि, सरकार इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करती है और कहती है कि एसआईआर कोई नया तरीका नहीं है, बल्कि यह चुनाव आयोग द्वारा नियमित रूप से की जाने वाली एक प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य केवल मतदाता सूचियों को अद्यतन करना और उसमें दर्ज जानकारी की सटीकता सुनिश्चित करना है। लेकिन विपक्ष सरकार की इस बात से सहमत नहीं है और इसी मुद्दे पर बार-बार सदन की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न कर रहा है।

सरकार का रुख साफ: एसआईआर पर नहीं होगी चर्चा, यह एक नियमित प्रक्रिया-सरकार ने अपना रुख बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि एसआईआर अभ्यास पर संसद में किसी भी तरह की चर्चा की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह चुनाव आयोग का एक नियमित और तकनीकी कार्य है। इस प्रक्रिया के माध्यम से केवल पुराने, गलत या डुप्लीकेट नाम हटाए जाते हैं और नए योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल किया जाता है। सरकार का यह भी कहना है कि इस मामले को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग देना बिल्कुल भी उचित नहीं है। वहीं, विपक्ष का मानना है कि सरकार किसी बड़ी चाल की ओर बढ़ रही है। विपक्षी दलों ने यह भी कहा कि यदि मतदाता सूची में इस तरह से छेड़छाड़ की जाती है, तो यह सीधे तौर पर लोकतंत्र की नींव को कमजोर करेगा। यही मुख्य कारण है कि संसद के अंदर और बाहर, यह विवाद लगातार गहराता जा रहा है। सत्र के आखिरी दिन भी इस मुद्दे के जोर-शोर से उठाए जाने और हंगामे का एक बड़ा कारण बनने की पूरी संभावना है।

Join Us
Back to top button
12 हजार से भी कम, 8GB रैम और 5G सपोर्ट के साथ 25,000 में ट्रेन से 7 ज्योतिर्लिंग यात्रा, जानें पूरा पैकेज और किराया IRCTC Bharat Gaurav चलेगी 10 पैसे प्रति किलोमीटर e-Luna Prime,सस्ती इलेक्ट्रिक बाइक iPhone से Pixel तक स्मार्टफोन पर बेस्ट डील्स, आज आखिरी मौका