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Special Reports: लोकसभा चुनाव में पैराशूट कैंडिडेट का धमाल

प्रतिदिन राजधानी, रायपुर।छत्तीसगढ़ प्रदेश में लोकसभा चुनाव तीन चरणों में होने जा रहे हैं। जिसे लेकर सभी राजनीतिक दल ने अब आर पार की तैयारी शुरू कर दी है चुनाव में इस बार पैराशूट कैंडिडेट जबरदस्त धमाल मचाने वाले हैं। संभव है कि लोकसभा चुनाव के इतिहास में बदलाव देखने को मिले इस बार कांग्रेस ने कई महत्वपूर्ण फैसले लेते हुए। पार्टी प्रमुख पदाधिकारी को पैराशूट कैंडिडेट बनाकर लोकसभा प्रत्याशी के रूप में उतारा है जो चौंकाने वाला है। इसमें राजनांदगांव से छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कैंडिडेट बनाया है और राजनाथ गांव में भाजपा सांसद संतोष पांडे से मुकाबला तय कर दिया है। यहां पर अप्रत्याशित रिजल्ट आने की संभावना है। वहीं दुर्गा की तेजतर्रार भाजपा नेता सरोज पांडे को भारतीय जनता पार्टी ने कोरबा से प्रत्याशी बनाया है यहां उनका मुकाबला सांसद ज्योत्सना महंत से होगा जो की चौंकाने वाली जानकारी के साथ सभी विश्लेषक कह रहे हैं। इसके अलावा बिलासपुर से कांग्रेस ने विधायक देवेंद्र यादव को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है यह एक बड़ा निर्णय है और ऐसा समझा जा रहा है । की देवेंद्र यादव बिलासपुर का मिथक खत्म कर कांग्रेस को 11 सीट में से अधिकतम सीट दिलाने का श्रेय प्राप्त कर लेंगे। चर्चा के अंतर्गत पैराशूट कैंडिडेट के ऊपर फोकस करते हुए जानकारी साझा करते हैं और जानते हैं कि किस प्रकार का माहौल लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के अंदर सामने आने वाला है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक दशक बाद लोकसभा की दौड़ में
23 अगस्त 1961 को दुर्ग जिले में जन्मे श्री बघेल एक किसान के बेटे हैं। वह कुर्मी समुदाय से हैं और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का ओबीसी चेहरा हैं। 62 वर्षीय ने 1980 के दशक की शुरुआत में कांग्रेस नेता चंदूलाल चंद्राकर के मार्गदर्शन में राजनीति में अपना करियर शुरू किया। अपने शुरुआती दिनों के दौरान, वह भारतीय युवा कांग्रेस के सदस्य थे और 1994-95 के बीच मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष पद पर रहे। उन्हें पहली बड़ी सफलता 1993 में मिली जब उन्होंने पाटन निर्वाचन क्षेत्र से मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव जीता। 1998 में उन्हें उसी सीट से दोबारा चुना गया। दिसंबर 1998 में, उन्हें दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में एकीकृत मध्य प्रदेश में लोक शिकायत राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। 2000 में छत्तीसगढ़ के मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद, भूपेश बघेल राजस्व, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और राहत कार्य मंत्री बने। वह 2003 तक इस पद पर रहे। बाद में, उन्होंने एक दशक से अधिक समय तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष का नेतृत्व किया। श्री बघेल 2008 के चुनाव में पाटन सीट हार गये। वह 2009 में रायपुर और 2004 में दुर्ग से लोकसभा चुनाव भी हार गए। श्री बघेल ने अक्टूबर 2014 से जून 2019 तक कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 15 वर्षों तक विपक्ष का नेतृत्व करने के बाद, उन्होंने 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी जीत दिलाई। पाटन सीट से निर्वाचित श्री बघेल ने 17 दिसंबर, 2018 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप मे?
पहली निर्वाचित राज्यसभा सांसद रह चुकी हैं सरोज पांडेय
भाजपा नेत्री सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ की पहली निर्वाचित राज्यसभा सांसद बनी थीं। उस दौरान बीजेपी के 49 विधायक थे। सरोज पांडेय को कुल 51 वोट मिले थे। छत्तीसगढ़ के इतिहास में ये पहला मौका था जब राज्यसभा के लिए चुनाव कराया गया था। इसके पूर्व निर्विरोध चुना जाता था। पिछली बार कांग्रेस ने लेखराम साहू को मौका दिया था, लेकिन उन्हें भितरघात के चलते पार्टी विधायकों के ही पूरे वोट नहीं मिले थे। यानी क्रॉस वोटिंग हुई थी। सरोज पांडेय छत्तीसगढ़ की एकमात्र ऐसी नेता हैं, जो एक ही साल में दुर्ग जिले से महापौर, विधायक और सांसद रहीं।
वरिष्ठ नेताओं के विश्वास को पूरा करेंगे देवेन्द्र यादव
यह भी जानना जरुरी है कि कांग्रेस ने देवेन्द्र यादव, सरगुजा से शशि सिंह, रायगढ से डॉ. मेनका देवी सिंह, और कांकेर से बीरेश ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा है। अब बिलासपुर में बीजेपी प्रत्याशी पूर्व विधायक तोखन साहू से देवेन्द्र यादव का सीधा मुकाबला है। इधर देवेन्द्र यादव ने कहा है कि हमारे कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने जो विश्वास व्यक्त कर मुझे बिलासपुर से चुनाव लडने मुझे योग्य समझकर मुझे प्रत्याशी बनाया इसके लिए मैं राहुल गांधी, सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खडग़े, प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट का, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, पूर्व सीएम भूपेश बघेल समेत अपने सभी वरिष्ठ नेताओं के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।

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