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छात्रों की विदेशों जैसी पढ़ाई और स्किलिंग होगी अब देश में भी

नई दिल्ली। उच्च शिक्षा की जिन खूबियों के चलते हर साल बड़ी संख्या में भारतीय छात्र दुनिया के दूसरे देशों की ओर पलायन कर रहे है, उसे थामने के लिए सरकार के स्तर पर अहम कदम उठाए गए है। इनमें सबसे अहम उनके पसंद के कोर्सों को पहचान कर देश में ही अब वैसी पढ़ाई और स्किलिंग करने की तैयारी की जा रही है। हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से उच्च शिक्षा में सुधार के लिए उठाए गए कदमों को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। जिसमें स्नातक की पढ़ाई के साथ ही छात्रों के लिए अब इंटर्नशिप को अनिवार्य किया गया है। साथ ही उनकी योग्यता को परखने के लिए एक क्रेडिट फ्रेमवर्क की भी शुरूआत की गई है। जिसमें तीस घंटे की पढ़ाई के बाद एक क्रेडिट अंक मिलेगा।

उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा रहे छात्रों का जुटाया जा रहा ब्यौरा

देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने की पहल को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा मंत्रालय ने विदेशों में जाने वाले छात्रों को देश में ही रोकने को लेकर एक रोड़मैप पर काम शुरु किया है। जिसमें वह उन सारी जानकारियों को जुटाने में जुटा है, जिसमें उच्च शिक्षा के लिए सबसे अधिक छात्र किन-किन देशों में जा रहे है। वह किन कोर्सों में दाखिला ले रहे है। साथ ही इन विदेशी संस्थानों और देशों की कौन सी ऐसी खूबियां है जो छात्रों को अपनी ओर लुभाती है। इसके साथ ही उन्हें इन कोर्सों की पढ़ाई पर कितने पैसे खर्च करने पड़ते है, आदि शामिल है।
2024 में करीब 13.50 लाख छात्र विदेश गए
सूत्रों के मुताबिक छात्रों के विदेशों में होने वाले पलायन से शिक्षा मंत्रालय इसलिए भी चिंतित है, क्योंकि देश में यह चलन अब एक स्टेट्स सिंबल का रूप लेते दिख रहा है। इसमें हर साल उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022 में जहां करीब नौ लाख भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए थे, वहीं वर्ष 2024 में करीब 13.50 लाख छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए विदेशों की ओर रुख किया है।
इस चलन से देश को प्रतिभा और पैसा दोनों की नुकसान हो रहा है। क्योंकि जो देखने को मिल रहा है, उनमें पढ़ाई के लिए विदेश जाने के बाद कम ही छात्र देश लौटते है। ज्यादातर वहीं नौकरी करने लगते है। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा को 2035 तक जिस तरह ऊंचाई देने और उसके सकल नामांकन अनुपात ( जीईआर) को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, उनमें पलायन को थामना और उच्च शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाना होगा।
इस दिशा में यूजीसी की कुछ अहम पहलें
स्नातक की पढ़ाई के साथ अब इंटर्नशिप को अनिवार्य किया गया है। पढ़ाई में इसके लिए भी क्रेडिट मिलेगा।
-किसी भी तरह की पढ़ाई और अनुभव अब क्रेडिट अंक में तब्दील होगा। जिसके आधार पर छात्र बीच में कभी भी पढ़ाई को छोड़ और उसमें शामिल हो सकेंगे।
अनुभव भी पढ़ाई में शामिल किया जाएगा। जिसमें कला, शिल्प, संगीत आदि क्षेत्रों से जुड़ा निजी अनुभव या फिर कहीं भी किए काम का अनुभव पर उन्हें क्रेडिट अंक मिलेंगे। जिसके आधार वह डिग्री व डिप्लोमा कर सकेंगे।
किसी भी विषय में दाखिला लेने का अब स्वतंत्रता होगी। यानी मानविकी विषयों से 12वीं तक पढ़ने वाला छात्र अब विज्ञान के विषयों के साथ स्नातक या परास्नातक कर सकेंगे।
कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन में पढ़ने सबसे अधिक जाते है छात्र
मंत्रालय से जुड़ी रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में विदेशों में पढ़ाई के लिए गए करीब 13.50 लाख छात्रों में से सबसे अधिक करीब 4.30 लाख छात्र अकेले कनाडा गए है। वहीं करीब 3.50 लाख छात्र अमेरिका और 1.85 लाख छात्र ब्रिटेन गए है। इसके साथ ही आस्ट्रेलिया, जर्मनी, चीन, जार्जिया, यूक्रेन, फिलीपींस में पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में छात्र गए है।

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