Join us?

अपराध

यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण के लिये बना है पॉक्सो अधिनियम

यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण के लिये बना है पॉक्सो अधिनियम

भोपाल. यौन अपराधों से बच्चों को संरक्षण देने के उद्देश्य से पॉक्सो प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (POCSO) अधिनियम बनाया गया है। इस अधिनियम को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने वर्ष 2012 में पॉक्सो एक्ट-2012 के नाम से बनाया है। इस कानून के अर्न्तगत नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीडन, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड-छाड के मामलों में कार्रवाई की जाती है। इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित है। यह अधिनियम पूरे भारत में लागू है। पॉक्सो कानून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने बच्चों के माता-पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थित में होती है।

ये खबर भी पढ़ें : नगर निगम ने डूंडा में 5 एकड़ भूमि पर की जा रही अवैध प्लाटिंग पर रोक लगायी

वर्ष 2012 में पॉक्सो कानून के लागू होने के बाद वर्ष 2020 में पॉक्सो अधिनियम में कई अन्य संशोधन के साथ ऐसे अपराधों में मृत्युदंड की सजा का प्रावधान किया गया है।

पॉक्सो अंतर्गत आने वाले अपराध तथा दंड:

  • प्रवेशन लैंगिक हमला (धारा3)- कम से कम 10 वर्ष का कारावास, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है एवं जुर्माना (धारा 4)

  • गुरूत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला (धारा 5)- कम से कम 20 वर्ष का कारावास, जिसे आजीवन करावास/मृत्यु दण्ड तक बढ़ाया जा सकता है एवं जुर्माना (धारा 6)

     ये खबर भी पढ़ें : This upcoming SUV of Citroen seen on the roads before launch

  • लैंगिक हमला (धारा 7)- कम से कम 3 वर्ष का कारावास, जिसे 5 वर्ष तक के कारावास तक बढ़ाया जा सकता है एवं जुर्माना (धारा 8)

  • गुरूत्तर लैंगिक हमला (धारा 9)- कम से कम 5 वर्ष का कारावास, जिसे 7 वर्ष तक के कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, व जुर्माना (धारा 10)

  • लैंगिक उत्पीडन (धारा 11)- 3 वर्ष का कारावास की सजा तथा जुर्माना (धारा 12)

    ये खबर भी पढ़ें : Summer special train facility for 12 trips between Surat and Brahmapur

  • बच्चों का अश्लील उद्देश्यों/पोर्नोग्राफी के लिए इस्तेमाल करना (धारा 13)- 5 वर्ष का कारावास तथा उत्तरवर्ती अपराध के मामले में 7 वर्ष का कारावास तथा जुर्माना (धारा 14-1)

  • बच्चों का अश्लील उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते समय यौन प्रताड़ना के गंभीर मामले (धारा 14-2)- कम से कम 10 वर्ष का कारावास जिसे आजीवन कारावास/मुत्यु दंड तक बढ़ाया जा सकता है व जुर्माना।

ये खबर भी पढ़ें : दक्षिण-पूर्व एशिया में करीब 30 करोड़ लोग इस गंभीर समस्या के शिकार

  • बच्चे का अश्लील उद्देश्यों हेतु इस्तेमाल करते समय गुरूत्तर प्रवेशन लैंगिक हमले के अति गंभीर मामले- (धारा 14-3): सश्रम आजीवन कारावास व जुर्माना।

  • बच्चे का अश्लील उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते समय यौन प्रताड़ना के मामले- (धारा 14-4) : कम से कम 6 वर्ष का कारावास, जिसे 8 वर्ष के कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, व जुर्माना।

ये खबर भी पढ़ें : लिवर को हेल्दी रखना है, तो आज ही छोड़ें ये आदतें

  • बच्चे का अश्लील उद्देश्यों हेतु इस्तेमाल करते समय गुरूत्तर लैंगिक हमले के अति गंभीर मामले (धारा 14-5)- कम से कम 8 वर्ष का कारावास जिसे 10 वर्ष के कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, व जुर्माना।

  • बच्चे से संबंधित किसी भी अश्लील सामग्री को व्यापारिक उद्देश्यों के लिए रखना (धारा 15): 3 वर्ष कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों।

  • एक्ट के अंतर्गत अपराध के लिए उकसाने हेतु भी दंड का प्रावधान है जो कि अपराध करने के समान ही है। इसमें बच्चों की यौन उत्पीड़न हेतु अवैध खरीद-फरोख्त भी शामिल है (धारा 16)

  • किसी घटित अपराध की रिपोर्ट न दर्ज करना (धारा 21-1): 6 माह तक का कारावास अथवा जुर्माना अथवा दोनों।

ये खबर भी पढ़ें : हर कदम पर पेड़ों की छांव, गर्मी लगती न थकते हैं पांव

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button