
RBI ने रेपो रेट को क्यों नहीं बदला? जानिए इसका सीधा असर!- क्या आपने कभी सोचा है कि RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) रेपो रेट को क्यों बदलता है? यह एक ऐसा सवाल है जो हम सभी के दिमाग में आता है, खासकर जब हम लोन लेने या निवेश करने की योजना बना रहे होते हैं। हाल ही में, RBI ने रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखा है, और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं। आइए, इस निर्णय के बारे में विस्तार से जानते हैं और समझते हैं कि इसका हम पर क्या असर पड़ेगा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!1. रेपो रेट का स्थिर रहना: क्या है इसका मतलब?- RBI ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसका मतलब है कि बैंकों को RBI से मिलने वाले लोन की दरें वही रहेंगी। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे और महंगाई को नियंत्रित किया जा सके। RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने इस पर एकमत से फैसला लिया है। यह फैसला उन लोगों के लिए राहत की खबर है जो लोन लेने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि इससे लोन की ब्याज दरों में तुरंत कोई बदलाव नहीं होगा।
2. पिछले कुछ महीनों में RBI की नीतियाँ: एक नज़र- फरवरी 2025 से, RBI ने नीतिगत दर में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की है। जून में रेपो रेट 50 बेसिस पॉइंट कम करके 5.5% किया गया था। फरवरी और अप्रैल में MPC ने 25-25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी। RBI का मुख्य लक्ष्य खुदरा महंगाई (CPI आधारित) को 4% के आसपास रखना है, जिसमें 2% का ऊपर-नीचे का मार्जिन हो। यह रणनीति उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए भरोसेमंद संकेत देती है, जिससे आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
3. खुदरा महंगाई और आर्थिक संकेत: क्या चल रहा है?-इस साल फरवरी से खुदरा महंगाई लगातार 4% से नीचे रही है। अगस्त में यह 2.07% पर आ गई, जो पिछले छह साल का सबसे कम स्तर है। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट और बेस इफेक्ट रहा। महंगाई में कमी का मतलब है कि आम उपभोक्ता की खरीद शक्ति बढ़ी है और बैंकिंग प्रणाली में भी स्थिरता बनी हुई है। हालांकि, टैरिफ और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों से जुड़े जोखिम अभी भी मौजूद हैं।
4. आम जनता और निवेशकों पर असर: क्या होगा अब?- रेपो रेट स्थिर रहने का मतलब है कि घर, वाहन या व्यक्तिगत लोन की ब्याज दरों में फिलहाल कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा। निवेशक और व्यवसायी यह समझ सकते हैं कि RBI मौद्रिक नीति को संतुलित रखते हुए अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे बढ़ावा दे रहा है। इससे क्रेडिट लेने वालों के लिए दरें स्थिर रहेंगी और मुद्रास्फीति नियंत्रण में बनी रहेगी। वहीं, निवेशकों के लिए यह संकेत है कि बाजार में स्थिरता बनी रहेगी और जोखिम कम रहेगा। RBI का यह निर्णय आर्थिक स्थिरता, उपभोक्ता विश्वास और निवेश को संतुलित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि RBI अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि हम सभी एक बेहतर भविष्य की ओर बढ़ सकें।

