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विशेष लेख

Special reports: दल बदलू और नाराज कार्यकर्ता पर करना होगा फोकस

प्रतिदिन राजधानी, रायपुर । छत्तीसगढ़ में जल्द लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग तिथि का ऐलान कर सकता है। वहीं राजनीतिक दल के प्रत्याशी घोषित होने के बाद तैयारी शुरू कर दी है। चुनाव बैठकों का दौर शुरू हो गया है। नए पुराने चेहरे का आना-जाना आरंभ हो गया है। घोषित प्रत्याशी के शुभचिंतक, कार्यकर्ता, प्रशंसक सभी प्रत्याशी के घर पर दस्तक देकर कार्य करने की गुहार लगा रहे हैं। वितक अधिक है, चिंतित भी दिखते हैं लेकिन खतरा जून चिंतकों से है जो चुनाव में प्रचार के लिए निकलते हैं लेकिन प्रचार किसी का नाम किसी का कर बैठते हैं। इस प्रकार के चिंतकों से सुरक्षित रहने की आवश्यकता है। आमतौर पर चुनाव के पहले वल बदल की परंपरा रही है। नाराज प्रत्याशी दल बदल करते हैं, जिन लोगों को टिकट की उम्मीच रहती है और नहीं मिल पाती है तो पथ की प्रत्याशा में बल बदल कर लेते हैं। इस श्रेणी के राजनेता और अधिक भाउक हैं। राज्य में लोकसभा सीट के लिए चुनाव होगा और संभवत चौ चरण में चुनाय आयोजित करने का फैसला आयोग कर सकता है । राज्य विधानसभा के मुकाबले लोकसभा का निर्वाचन क्षेत्र काफी विस्तृत होता है इत्तलिए भौगोलिक और मौसमी परेशानी को देखते हुए आयोग फैसला करेगा। यह बात तो खैर नीति और परंपरा की है जो आयोग सुरगित तरीके से करता है, किंतु उन मुद्दों पर विधवार करना लोकसभा के प्रत्याशियों के लिए बेहद जरूरी है। जिताऊ प्रत्याशी की उम्मीद में पार्टी ने राजनीतिक रणभूमि तैयार कर दी है अनुभवी, दिग्गज, कर्मठ और इसी प्रकार के कई सुहावने लफ्जौ गाले प्रत्याशी मैदान में है। मतदाता को प्रत्याशी से कहीं अधिक जम बातों की चिंता होती है जो मत्तदान के दौरान दिखाई पड़ती है। मसलन गर्मी में महदान किस प्रकार से होगा अमूमन मतदान का प्रतिशत्त पर भी असर पड़ता है। लोकसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते है राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे तैयार किए जाते हैं। इसलिए खंड और ब्लॉक की समसाओं को छड दिया जाता है।दरअसल चुनाव में जीत खंड और ब्लॉक में मौजूद समस्या का निराकरण से ही मिलती है जो समझदार प्रत्याशी है वह इन सभी मुद्दों को भी ध्यान में रखते हैं। चुनाव जनसंपर्क के दौरान प्रत्याशी की तारीफा में कई ई कार्यकर्ता नारे लगाएंगे परंतु उनकी आवाज का कितना असर होना प्रत्याशी को सोचना होगा। रायपुर लोकसभा सीट में मुकावला बेहद रोमांचक होगा, पिश्लहाल मुकाबला यो कोणीय माना जा रहा है। मतलब विकास उपाध्याय कांग्रेस वर्सेशबृजमोहन अग्रवाल भारतीय जनता पार्टी को मैदान में प्रचार करते देखे जा सकेंगे। लेकिन निर्वाचन अधिसूचना जारी होने के साथ ही क्षेत्रीय दल और निर्दलीयों का भी सामना होगा। मतदाता का प्रतिशत कम ज्यादा करने में क्षेत्रीय प्रत्याशी और निर्वलीय ही अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए बड़े राजनीतिक दल के प्रत्याशियों को भीतर घातियों और बल बदलू से सतर्क रहने की आवश्यकता है। मुंह में पान रखकर गीता बोलने वाले चिंतक अधिक चातक होते है. लेकिन असल चिंतक वही है जिसके माथे पर पसीना होगा जो किसी उम्मीद में में नहीं होगा, केवल मेहनत करना जानता होगा। प्रत्याशियों को ऐसी मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं में मरोसा होता है जो हारीफ करते हैं और झूले आंकड़े बताते है उन पर प्रत्याशी अधिक भरोसा करते है। कुल मिलाकर कहने की बात यह है की लोकसभा चुनाव में मैदान में तैयार प्रत्याशियों को अपने ही संगठन के लोगों पर कार्यकर्ताओं पर भरोसा करने के साथ नजर रखना होगा। पार्षद से लेकर विधायक रामी के कार्यकर्ता असल ताकत दिखाकर प्रत्याशी को जिताने में मदद कर पाएंगे, इसलिए पार्षदों की छवि अच्छी है वहां प्रत्वाशी को बेहतर गदद मिलेगी और मतदान होगा जहां छगि अच्छी नहीं है विधायक हार चुके हैं पार्षद से नाराजगी है वहां पर अधिक खतरा है। इसलिए चुनाव में उत्तरे प्रत्याशियों को कित्ती एक चेहरे पर भरोसा नहीं करना चाहिए अपने चेहरे पर भरोसा कर चुनाव लड़ना चाहिए।

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