
रायपुर । मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा बस्तर के सुदूर गांवों में विकास की गति तेज करने राज्य शासन द्वारा शुरू की गई नियद नेल्ला नार योजना से दूरस्थ आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बड़ा बदलाव आ रहा है। इसके तहत स्थापित सोलर हाईमास्ट से कांकेर के माओवाद प्रभावित गांवों की रातें पहली बार रोशन हो रही है। सौर ऊर्जा से संचालित ड्यूल पंपों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति भी हो रही है। कांकेर के कोयलीबेड़ा विकासखंड के पानीडोबीर, आलपरस, जुगड़ा, गुन्दूल (मर्राम), अलपर, हेटाड़कसा और चिलपरस गांव के चौक-चौराहों को रात में रोशन करने सोलर हाईमास्ट संयंत्रों की स्थापना की गई है। रात में उजाले की अच्छी व्यवस्था हो जाने से ग्रामीण अब वहां रात्रिकालीन बैठक और सामुदायिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम कर रहे हैं। इस निर्बाध प्रकाश व्यवस्था से वे जंगली जानवरों से खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं।
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नियद नेल्ला नार से संवेदनशील और दूरस्थ माओवाद प्रभावित गांवों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाकर विकास को नई गति दी जा रही है। सौर ऊर्जा का उपयोग कर रात्रिकालीन प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का काम किया जा रहा है। सोलर ड्यूल पंपों के माध्यम से ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो रही है। माओवाद प्रभावित गांवों में वृहद स्तर पर सौर संयंत्रों की स्थापना से लोगों का जीवन बदल रहा है।

दूरस्थ गांवों में बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने नियद नेल्ला नार से प्रकाश व्यवस्था के लिए सोलर हाईमास्ट, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए सोलर पेयजल संयंत्र, सौर सुजला योजना के तहत सिंचाई व्यवस्था और सौर ऊर्जा से संचालित उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। इन कार्यों से बस्तर के दूरस्थ और दुर्गम गांवों के लोग विकास की मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं।
आश्रम परिसर भी लगा जगमगाने
कांकेर के ग्राम पानीडोबीर स्थित बालक आश्रम के अधीक्षक समरथ ने बताया कि पहले आश्रम परिसर में लाइट की व्यवस्था नहीं होने से बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब आश्रम परिसर में सोलर लाइट लगने से रात में उजाले की व्यवस्था हो गई है। इससे बच्चे अब रात में भी पढ़ाई कर रहे हैं। अच्छी प्रकाश व्यवस्था से रात में सब खुद को ज्यादा सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं।

