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‘स्वच्छ भारत’ शौचालयों ने  प्रत्येक वर्ष 60,000-70,000 शिशुओं की जान बचाए : अध्ययन

नई दिल्ली। नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक नए शोध पत्र में, इंटरनेशनल फूड रिसर्च इंस्टीट्यूट, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया है कि भारत में खुले में शौच के उन्मूलन से प्रत्येक वर्ष लगभग 60,000-70,000 शिशुओं की जान बचाई गई है।

यूपीए-I में स्वच्छता तक पहुंच में कमी

इस पेपर से पता चला कि यूपीए-I के तहत स्वच्छता कवरेज में बहुत कम सुधार हुआ, कुछ जिलों में तो स्वच्छ और स्वच्छता संबंधी सुविधाओं तक पहुंच में गिरावट भी आई!  

यह कांग्रेस के इस दावे के उलट है कि यूपीए-I के तहत सामाजिक खर्च में वृद्धि हुई। इसके विपरीत, शौचालय तक पहुंच जैसी बुनियादी सुविधाओं में भी कमी देखी गई!

मोदी सरकार के तहत, न केवल शौचालय कवरेज में प्रभावी रूप से वृद्धि हुई है और खुले में शौच का उन्मूलन किया गया है, बल्कि पाइप से पानी की आपूर्ति कवरेज 16 प्रतिशत से बढ़कर 78 प्रतिशत हो गई है और 11 करोड़ से अधिक परिवारों को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन दिए गए हैं, जिससे बेहतर सामाजिक और स्वास्थ्य परिणाम हासिल हुए हैं।

एसबीएम के बाद आईएमआर तीन गुना तेजी से कम हुआ

इस शोधपत्र में यह भी बताया गया है कि 2000-2015 की तुलना में 2015 से 2020 के बीच शिशु मृत्यु दर में तीन गुना अधिक तेजी से गिरावट आई है। इससे पता चलता है कि स्वच्छ भारत मिशन का शिशु मृत्यु दर कम करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

2000 से 2015 के बीच आईएमआर में सिर्फ़ 3 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट देखी गई, लेकिन एसबीएम के बाद की अवधि में आईएमआर  में कमी की दर एसबीएम से पहले की दर से 8-9 प्रतिशत ज़्यादा रही। इसके अलावा, 2015 के बाद औसत शिशु मृत्यु दर (आईएमआर)  2000 से 2015 के बीच की आईएमआर की तुलना में 10 प्रतिशत कम रही।

न सिर्फ आईएमआर 2014 के 39 से घटकर 2020 में 28 हो गया है, बल्कि शहरी और ग्रामीण आईएमआर के बीच का अंतर भी 12 अंकों तक घट गया है।

व्यापक प्रभाव

इस शोध पत्र में यह भी बताया गया है कि जिलों में शौचालयों के अधिक कवरेज से स्वास्थ्य परिणामों में सुधार हुआ है, जिसमें संस्थागत प्रसव, मातृ स्वास्थ्य और प्रसव पूर्व देखभाल में सुधार भी शामिल है।

शौचालयों के अधिक कवरेज से अधिक संख्या में महिलाओं एवं बच्चों को पोषण अभियान और पीएम मातृ वंदना योजना जैसी पोषण सेवाओं तक पहुंचने लाभ मिला।

इस शोध पत्र में यह भी बताया गया है कि जहां पाइप से जल आपूर्ति अधिक है, वहां स्वच्छ भारत मिशन के लाभ अधिक हैं।

इसलिए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के बाद स्वच्छ भारत के सकारात्मक स्वास्थ्य लाभ बढ़े होंगे, जिसमें लगभग 12 करोड़ ग्रामीण घरों को पाइप से पीने के पानी की आपूर्ति की गई है, जिससे 5 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्र में पाइप से जलापूर्ति 16 प्रतिशत से बढ़कर 78 प्रतिशत से अधिक हो गई है। 

 

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