Join us?

व्यापार

पहली छमाही में यूपीआई ने तोड़े ट्रांजैक्शन के सभी रिकॉर्ड

नई दिल्ली। कैलेंडर वर्ष 2024 की पहली छमाही के दौरान यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये लेनदेन में तेज वृद्धि रही है। पेमेंट टेक्नोलॉजी सेवाप्रदाता व‌र्ल्डलाइन की ओर से गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी-जून 2024 के दौरान यूपीआई के जरिये 78.97 अरब लेनदेन हुए हैं। इसमें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पेमेंट बाजार में यूपीआई का दबदबा बना हुआ है और तेजी से अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन के मूल्य में 40 प्रतिशत की वृद्धि रही है। जनवरी-जून 2024 के दौरान 116.63 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए हैं जिनका मूल्य 2023 की समान अवधि में 83.16 लाख करोड़ रुपये था।

ये खबर भी पढ़ें : नवरात्रि व्रत के दौरान इन बातों का ध्यान रखें – Pratidin Rajdhani

रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2023 में यूपीआई के जरिये 8.03 अरब लेनदेन हुए थे, जिनकी संख्या जून 2024 में बढ़कर 13.9 अरब रही है। जनवरी 2023 में 12.98 लाख करोड़ रुपये के लेनदेन हुए थे। इस वर्ष जून में इनका मूल्य 20.07 लाख करोड़ रुपये रहा है। मूल्य और लेनदेन के लिहाज से यूपीआई पेमेंट में फोनपे शीर्ष पर रहा है।

ये खबर भी पढ़ें : गोली की तरह चलेगा दिमाग अगर देख ली यह फिल्में – Pratidin Rajdhani

इसके बाद गूगल पे और पेटीएम का नंबर आता है। हालांकि, पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन का औसत टिकट साइज आठ प्रतिशत घटा है। 2023 की पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन का औसत टिकट साइज 1,603 रुपये था, जो 2024 में समान अवधि में 1,478 रुपये रहा है।

ये खबर भी पढ़ें : गोली की तरह चलेगा दिमाग अगर देख ली यह फिल्में – Pratidin Rajdhani

क्या यूपीआई का इस्तेमाल घटाएंगे लोग?
पिछले दिनों लोकलसर्किल्स का एक सर्वे आया था। इसमें यूपीआई के बारे में कई दिलचस्प बातें निकलकर सामने आईं। सर्वे के मुताबिक, अगर यूपीआई ट्रांजैक्शन पर कोई फीस लगाई जाती है, तो लगभग 75 फीसदी यूजर्स इसका इस्तेमाल बंद करेंगे।
सर्वे से यह भी बताता है कि 38 फीसदी लोग यूपीआई पर काफी ज्यादा निर्भर हैं।

ये खबर भी पढ़ें : विश्व बैंक को कार्बन बेचने से नेपाल को मिलेंगे 1600 करोड़  

वे अपने टोटल ट्रांजैक्शन में से 50 फीसदी से अधिक यूपीआई के जरिए ही करते हैं। बाकी में डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या अन्य डिजिटल माध्यम हैं। दरअसल, इस तरह की खबरें आई थी कि सरकार यूपीआई से लेनदेन पर टांजैक्शन फीस लगा सकती है। इस पर जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में भी चर्चा हुई। हालांकि, काउंसिल ने अगली मीटिंग के लिए इस पर फैसला टाल दिया दिया।

ये खबर भी पढ़ें : विश्व बैंक को कार्बन बेचने से नेपाल को मिलेंगे 1600 करोड़  

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button