
अमेरिका में बढ़े ट्रंप टैरिफ से 2 अरब डॉलर की झींगा निर्यात पर संकट, भारतीय कारोबारियों ने मांगी तात्कालिक मदद
अमेरिकी टैरिफ: भारतीय झींगा निर्यात को झटका-अमेरिका ने झींगे के आयात पर टैरिफ बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिससे भारतीय झींगा निर्यातकों को बड़ा झटका लगा है। पहले से ही मुश्किल बाजार में यह बढ़ोतरी एक और चुनौती बन गई है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!निर्यात में भारी गिरावट-2024 में भारत ने अमेरिका को लगभग 2.8 अरब डॉलर का झींगा निर्यात किया था। लेकिन, टैरिफ बढ़ने से निर्यात में भारी कमी आई है। यह बढ़ोतरी भारतीय निर्यातकों के लिए बेहद चिंताजनक है क्योंकि इससे उनका बाजार हिस्सा कम हो सकता है और मुनाफ़ा घट सकता है। अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा पहले से ही बहुत तेज है और इस बढ़ोतरी से भारतीय उत्पादों की कीमतें और बढ़ जाएंगी जिससे बिक्री कम होने की आशंका है।
सरकार से मदद की गुहार-भारतीय सीफ़ूड निर्यातक संघ (SEAI) ने सरकार से तुरंत मदद मांगी है। उनकी मांग है कि सरकार वर्किंग कैपिटल बढ़ाने में मदद करे, सॉफ्ट लोन दे, ब्याज पर सब्सिडी दे और पैकेजिंग से पहले और बाद के काम के लिए 240 दिन का मोरेटोरियम दे। ये कदम निर्यातकों को इस मुश्किल दौर से उबरने में मदद करेंगे और उन्हें प्रतिस्पर्धा में बने रहने में सहायता करेंगे। सरकार की तत्काल मदद से निर्यातकों को अपने व्यवसाय को बचाने में मदद मिल सकती है और रोजगार को भी बचाया जा सकता है।
एशियाई देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा-चीन, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश कम टैरिफ के कारण कम कीमतों पर झींगा बेच रहे हैं। इससे भारतीय निर्यातकों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। मौजूदा शिपमेंट्स को दूसरे देशों में भेजना भी मुश्किल है क्योंकि इसमें भारी पेनाल्टी लग सकती है। इससे भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में बने रहना और मुनाफ़ा कमाना और भी मुश्किल हो गया है। यह स्थिति भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
नए बाजार तलाशने की कोशिश-SEAI का मानना है कि इस स्थिति से निपटने का सबसे अच्छा तरीका नए बाजार तलाशना है। भारत पांच नए देशों में निर्यात के अवसर तलाश रहा है, लेकिन इसमें समय लगेगा। ब्रिटेन के साथ हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से भी तत्काल राहत नहीं मिलेगी। इसलिए, फिलहाल अमेरिकी बाजार में बने रहना ही सबसे बड़ा लक्ष्य है ताकि रोजगार और विदेशी मुद्रा आय पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। यह एक लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया होगी, लेकिन यह भारतीय झींगा उद्योग के भविष्य के लिए आवश्यक है।
