वंदे मातरम् पर्यावरण संरक्षण में छात्र एवं युवाओं की भूमिका जरूरी है : डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर
पर्यावरण का संरक्षण हम सब की जिम्मेदारी है- डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर
रायपुर । ग्रीन आर्मी द्वारा वंदे मातरम् पर्यावरण संरक्षण में छात्र एवं युवाओं की भूमिका विषय पर दक्षिणा मूर्ति विद्यापीठ चंगोराभाठा रायपुर में डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर, मोना दुबे, पद्मिनी वर्मा, पुनीता चंद्रा ने बालक बालिकाओं को पर्यावरण संरक्षण विषय पर जागरूक किया।
पर्यावरण संरक्षण विषय पर प्रकाश डालते हुए डॉ. पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा जो भरा नहीं है भावों से
बहती जिसमें रसधार नहीं हृदय नहीं हो पत्थर है
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं
जिस प्रकार से भारत वर्ष की सीमा की रक्षा के लिए हमारे वीर सैनिक हमेशा काम करते रहते हैं। उन्ही वीर सैनिकों के कारण हम सभी सुरक्षित हैं। उसी प्रकार से हमारे ग्रीन आर्मी सीमा के अंदर लगातार पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर धरती मां की सेवा कर रही है।
स्कूल के सभी छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा कि वंदे मातरम क्या है
वंदे मातरम का अर्थ होता है “माता की वंदना करो”
वंदे मातरम ऐसा नारा है जो लोगों में देशभक्ति की भावना पैदा कर देता है। इस नारे का उपयोग भारत की आजादी के आंदोलन में किया गया था। यह हमारा राष्ट्रीय गान भी है ।
वंदे मातरम नाम क्यों
जिस प्रकार से भारत को आजादी दिलाने के लिए इसका उपयोग किया गया था, आज इस नारे का उपयोग कर ग्रीन आर्मी अपने देश को हरा-भरा और समृद्ध बनाने का कार्य कर रही है.
यह प्रशिक्षण युवाओं छात्रों को समर्पित क्यों
इस समय पूरे विश्व में सबसे अधिक युवा भारत में है, हम अपनी युवा शक्ति का उपयोग जहां भी करेंगे वह कार्य शीघ्रता से और अच्छी तरह पूरा होगा बस उन्हें थोड़ी सी ट्रेनिंग और
मार्गदर्शन की जरूरत है ।
यह काम ग्रीन आर्मी प्रतिवर्ष कर रही है।
पर्यावरण संरक्षण के कार्य दशा एवं दिशा
ग्रीन आर्मी क्या है
ग्रीन आर्मी ऐसी संस्था है जो पर्यावरण संरक्षण का कार्य करती है। पर्यावरण का अर्थ होता है हमारे चारों ओर का वातावरण इसमें वायु ,जल, भूमि, पेड़ पौधे सभी सम्मिलित हैं । यह सभी चीज हमें अच्छा स्वास्थ्य सुख समृद्धि प्रदान करने में सहायक होती है। जिसके लिए ग्रीन आर्मी कार्य कर रही है। डॉ.पुरुषोत्तम चंद्राकर ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि
पेड़ लगाए एवं संरक्षण करें आप सभी कम से कम एक पेड़ मां के नाम से जरूर लगाए और 2 वर्ष उसकी देखभाल करें तभी एक सफल वृक्षारोपण होगा।
जल एवं तालाबों का संरक्षण
जल है तो कल है।
तालाबों को गंदा नहीं करना है नल को कभी खुल नहीं छोड़ता है। अगर नल कहीं खुला है उससे पानी बह रहा है तो नगर निगम के 1100 नंबर में फोन कर उसे ठीक करवाना है। बालक बालिकाओं को संबोधित करते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक के खतरे से अवगत कराते हुए डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा-
सिंगल यूज प्लास्टिक का बहिष्कार करना है, पॉलिथीन कैंसर का सबसे बड़ा कारण है, प्लास्टिक के चम्मच कटोरी गिलास उपयोग नहीं करना है। इससे नालियां भी जाम हो जाती हैं । गौ माता खाकर मर जाती हैं । भूमि की उर्वरक शक्ति नष्ट हो जाती है। सैकड़ो वर्ष तक प्लास्टिक नष्ट नहीं होता है।
पर्यावरण संरक्षण विषय पर प्रकाश डालते हुए डॉक्टर पुरुषोत्तम चंद्राकर ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण जल, थल नभ सफाई अभियान
कचरे को हमेशा नगर निगम की कचरा गाड़ी को देना है। हरे डिब्बे में गीला कचरा और नीले डिब्बे में सूखा कचरा रखना है। कचरा जलाना नहीं है।
पर्यावरण के दुश्मन तीन पाउच, पन्नी, पालीथिन ।
मंजिल यूं नहीं मिलती राही को
जुनून सा दिल में जागना पड़ता है।
पूछा चिड़िया से घोंसला कैसे बनता है।
वह बोली तिनका तिनका उठाकर सजाना पड़ता है।
चिड़िया के ही जैसा ही हमें एक-एक पेड़ लगाकर उसकी देखभाल कर पूरे भारतवर्ष को हरा भरा सुंदर समृद्ध भारत बनाना है। जय हिंद वंदे मातरम् । कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन अमितेश दीवान जी एडमिनिस्ट्रेटर दक्षिणामूर्ति विद्यापीठ चांगोराभाठा ने किया।