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“क्या मोदी का स्वदेशी मंत्र भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना पाएगा?” जानें पूरी खबर

 आर्थिक अनिश्चितता के दौर में ‘स्वदेशी’ का महत्व- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में वाराणसी में दिए एक भाषण में देशवासियों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया है। वर्तमान वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के मद्देनजर यह आह्वान बेहद महत्वपूर्ण है।

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वैश्विक संकट और भारत की अर्थव्यवस्था-आज पूरी दुनिया आर्थिक उतार-चढ़ाव से जूझ रही है। हर देश अपनी आर्थिक प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारत, दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दौड़ में है, और इस दौर में अपनी आर्थिक नीतियों के प्रति सतर्कता बरतना अत्यंत आवश्यक है। स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देकर हम न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करेंगे बल्कि स्थानीय कारीगरों और उद्योगों को भी सहारा देंगे।

किसान, उद्योग और युवा: राष्ट्र निर्माण के आधार स्तंभ-सरकार किसानों, छोटे उद्योगों और युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराने पर विशेष ध्यान दे रही है। हालांकि, यह केवल सरकार का दायित्व नहीं है, बल्कि हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम देश के विकास में अपना योगदान दें। हर खरीदारी से पहले यह सोचना ज़रूरी है कि क्या यह उत्पाद भारतीय कारीगरों के हाथों से बना है। यदि हाँ, तो इसे खरीदना ही असली देशभक्ति है।

 त्योहारों और शादियों में ‘स्वदेशी’ का जादू-त्योहारों और शादियों का मौसम आते ही बाज़ारों में रौनक छा जाती है। यह समय स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का सुनहरा अवसर है। व्यापारियों और दुकानदारों से अपील है कि वे अपनी दुकानों में अधिक से अधिक स्वदेशी सामान रखें। विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करके हम न केवल आर्थिक रूप से मज़बूत होंगे बल्कि अपने कारीगरों और उद्योगों को भी सशक्त बनाएंगे। यह महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन को भी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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