– सुभाष घई
इस साल का भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) पिछले हफ्ते, 28 नवंबर 2024 को संपन्न हुआ। फिल्मों और इससे संबद्ध उद्योग से जुड़ी सभी चीजों के इस भव्य समारोह में, मुख्य आकर्षण भारतीय सिनेमा की चार महान हस्तियों -बहुमुखी अभिनेता अक्किनेनी नागेश्वर राव, महान शोमैन राज कपूर, शाश्वत आवाज मोहम्मद रफी और प्रतिभाशाली कहानीकार तपन सिन्हा – के कार्यों का एक ऐतिहासिक उत्सव था। इन महान दिग्गजों ने अपनी असाधारण प्रतिभा एवं दृष्टिकोण से फिल्म उद्योग को गौरवान्वित किया और एक ऐसा अमिट जादू बिखेरा जिसने फिल्म निर्माताओं, संगीतकारों और दर्शकों की कई पीढ़ियों को समान रूप से प्रेरित किया है। उनकी विरासतें युगों-युगों तक गूंजती रहेंगी।
भारतीय सिनेमा के दिग्गज कलाकार राज कपूरएक अभिनेता, निर्देशक, स्टूडियो मालिक और निर्माता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते थे। उनकी फिल्में अक्सर सामाजिक मुद्दों को हास्य एवं संवेदना के साथ चित्रित करती थीं, जिससे वे आम आदमी की आवाज बन गए। अपनी मार्मिक कथाओं और गहरी सामाजिक अंतर्दृष्टि के लिए जाने जाने वाले तपन सिन्हा बंगाल के एक निपुण फिल्मकार थे, जिनका काम अक्सर आम लोगों के संघर्षों को उजागर करता था। कलात्मकता को सामाजिक टिप्पणी के साथ मिश्रित करने की उनकी क्षमता ने उनकी फिल्मों को कालजयी बना दिया है। अक्किनेनी नागेश्वर राव, जिन्हें एएनआर के नाम से जाना जाता है, तेलुगु सिनेमा की एक महान हस्ती थे। उन्हें उनकी उल्लेखनीय अनुकूलनशीलता एवंसशक्त अभिनय के लिए जाना जाता है। छह दशकों से अधिक के अपने शानदार करियर में उन्होंने अनगिनत अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाईं। सबसे लोकप्रिय भारतीय पार्श्व गायकों में से एक, मोहम्मद रफी अपनी असाधारण आवाज और अभिव्यंजक गायन शैली के लिए प्रसिद्ध रहे। उनके सदाबहार गीतों ने विभिन्न पीढ़ियों और भाषाओं के श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया है।
एक फिल्म महोत्सव सही अर्थों में तभी सार्थक बन जाता है, जब वह अपने इतिहास पर गौर करता है और इसकी शुरुआत को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। आईएफएफआई के 55वें संस्करण ने न केवल इन हस्तियों की सिनेमाई उपलब्धियों का उत्सव मनाया, बल्कि फिल्म प्रेमियों की नई पीढ़ी को उनकी विरासत से परिचित कराने के लिए एक मंच के रूप में भी काम किया। उनकी उल्लेखनीय विरासतों के शताब्दी वर्ष को मनाते हुए, इस फिल्म महोत्सव ने सावधानीपूर्वक आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों, स्क्रीनिंग और प्रदर्शनों के माध्यम से उनके अद्वितीय योगदानों को सामने रखा।
रंगारंग उद्घाटन समारोह के मंच से, शताब्दी मनाने वाले इस महोत्सव ने पहले दिन से ही अपना रंग बिखेरना शुरू कर दिया। एक शक्तिशाली ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति में एएनआर, राज कपूर, मोहम्मद रफी और तपन सिन्हा की यात्रा का वर्णन किया गया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उस यादगार शाम को काव्यात्मक स्पर्श देते हुए, अभिनेता बोमन ईरानी ने प्रत्येक सम्मानित व्यक्ति को समर्पित भावपूर्ण कविताएं सुनाईं, जो भारतीय सिनेमा पर उनके गहरे प्रभाव को रेखांकित करती हैं। इस समारोह का एक अनूठा आकर्षण इन हस्तियों को समर्पित एक विशेष डाक टिकट संग्रह का विमोचन था। इन चार दिग्गजों की प्रतिष्ठित छवियों को प्रदर्शित करने वाले, इस स्मारक डाक टिकट संग्रह ने सिनेमा और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदानों को अमर बना दिया।
बेहद सराहनीय बात यह रही कि इस महोत्सव में इन महान हस्तियों के परिवार के सदस्यों, सहयोगियों और फिल्म उद्योग के दिग्गजों के साथ पैनल चर्चा व बातचीत के सत्र की एक श्रृंखला पेश की गई। इन बातचीतों ने इन दिग्गजों के व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन से जुड़ी अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की। प्रसिद्ध अभिनेत्री खुशबू सुंदर और अक्किनेनी नागेश्वर राव के बेटे एवं अभिनेता नागार्जुन अक्किनेनी ने तेलुगु सिनेमा को आकार देने में इस बहुमुखी कलाकार की अग्रणी भूमिका पर प्रकाश डाला। महान शोमैन के पोते एवं अभिनेता रणबीर कपूर और फिल्म निर्देशक राहुल रवैल ने राज कपूर की विरासत की पड़ताल की तथा भारतीय सिनेमा में उनके प्रेरक कार्यों और कला को सामाजिक प्रभाव के साथ जोड़ने की उनकी क्षमता का विश्लेषण किया। मुझे भारतीय संगीत में रफी के कालातीत योगदान पर विचार करने के लिए प्रसिद्ध पार्श्व कलाकारों अनुराधा पौडवाल एवं सोनू निगम और प्रसिद्ध गायक शाहिद रफी के साथ एक गहनपरिचर्चा में भाग लेने का सौभाग्य मिला। करिश्माई अभिनेत्री शर्मिला टैगोर, अभिनेता अर्जुन चक्रवर्ती और फिल्मों के विद्वान एन मनु चक्रवर्ती ने तपन सिन्हा की कहानी कहने की उत्कृष्ट शैली और बांग्लाव भारतीय सिनेमा पर उनके प्रभाव के बारे में अपने विचार पेश किए।
आईएफएफआई टीम ने इन दिग्गज कलाकारों की कलात्मक उत्कृष्टता का उत्सव मनाने के लिए डिजिटल रूप से पुनर्स्थापित फिल्मों की एक विशेष लाइनअप भी खूबसूरती से तैयार की थी। चयनित फिल्मों में देवदासु (अक्किनेनी नागेश्वर राव), आवारा (राज कपूर), हम दोनों (मोहम्मद रफी का संगीत), और हारमोनियम (तपन सिन्हा) शामिल थी। इन फिल्मों के प्रदर्शन ने पुरानी यादों को ताजा कर दिया और पीढ़ियों से चली आ रही उनकी शाश्वत अपील का उत्सव मनाया। ‘कारवां ऑफ सॉन्ग्स’ नाम की एक संगीतमय यात्रा में राज कपूर और मोहम्मद रफी के 150 गीतों के साथ-साथ एएनआर और तपन सिन्हा के 75 गाने प्रदर्शित किए गए। इस संगीतमय श्रद्धांजलि ने भारतीय सिनेमा के समृद्ध साउंडस्केप में उनके बेजोड़ योगदानों पर प्रकाश डाला।
इस महोत्सव में ‘सफरनामा’नाम की एक प्रभावशाली प्रदर्शनी में इन चारों दिग्गजों के जीवन एवं करियर से जुड़ी दुर्लभ तस्वीरें, यादगार वस्तुएं और कलाकृतियां प्रदर्शित की गईं। एनएफडीसी और केंद्रीय संचार ब्यूरो ने अतीत एवं वर्तमान के बीच के अंतर को पाटते हुए, इन हस्तियों की व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपलब्धियों को जनता के सामने लाने का अच्छा काम किया। मनोरंजन के क्षेत्र में क्विज़, डिजिटल शोकेस और इंटरैक्टिव डिस्प्ले जैसी विषयगत गतिविधियां भी आयोजित की गईं।
आईएफएफआई ने अपनी उपलब्धियों को रेखांकितकरने वाली द्विभाषी स्मारिका भी तैयार की। यह दुनिया भर से आने वाले प्रतिनिधियों के माध्यम से इन महान हस्तियों की विरासतों को दुनिया भर के दर्शकों तक पहुंचाने की दिशा में एक अच्छा प्रयास है।
मीरामार समुद्र तट पर पद्मश्री पुरस्कार विजेता सुदर्शन पटनायक द्वारा बनाया गया एक आकर्षक रेत कला चित्रण इन महान सिनेमाई दिग्गजों के सांस्कृतिक प्रभाव का प्रतीक है। पद्मश्री पुरस्कार विजेता की मनमोहक रेत कला ने समुद्र तट पर जनता को मंत्रमुग्ध कर दिया और इन चारोंहस्तियों के कालातीत प्रभाव के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
उनके उल्लेखनीय योगदानों को भव्य एवं बेहद सार्थक तरीके से सम्मानित करने और उनके स्थायी प्रभाव को गरिमाएवं श्रद्धा के साथ श्रद्धांजलि देने के सराहनीय प्रयास किए गए हैं। यह समारोहने न केवल उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाया बल्कि भारतीय सिनेमा की उस स्थायी भावना को भी मजबूत किया जिसे इन दिग्गजों ने आकार देने में मदद की। आईएफएफआई ने यह सुनिश्चित किया कि इन सिनेमाई हस्तियों की विरासत भावी कहानीकारों और दूरदर्शी लोगों का मार्ग प्रशस्त करती रहे।
(सुभाष घई, भारतीय फिल्मकारएवं निर्माता)