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पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव 3 सितंबर को, जानिए पूरा शेड्यूल और नए नियम

 पंजाब यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 2025: कब, कैसे और कौन लड़ सकता है? सब जानें!

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नामांकन का बिगुल बजा: 27 अगस्त से शुरू होगी दौड़-पंजाब यूनिवर्सिटी और शहर के 11 कॉलेजों में छात्रसंघ चुनावों का माहौल गरमाने वाला है! इस बार वोटिंग 3 सितंबर 2025 को होगी, लेकिन असली खेल तो 27 अगस्त से ही शुरू हो जाएगा जब नामांकन प्रक्रिया का आगाज़ होगा। सुबह 9:30 से 10:30 बजे तक उम्मीदवार अपने पर्चे दाखिल कर सकेंगे। इसके तुरंत बाद, 10:35 बजे से पर्चों की जांच-पड़ताल शुरू हो जाएगी। दोपहर 12 बजे तक कौन-कौन मैदान में है, इसकी एक कच्ची लिस्ट आ जाएगी, और अगर किसी को कोई आपत्ति है, तो वह 12:30 से 1:30 बजे तक अपनी बात रख सकता है। यह सब यूनिवर्सिटी के डीन ऑफ स्टूडेंट्स वेलफेयर (DSW) प्रोफेसर अमित चौहान ने खुद बताया है।

28 अगस्त को होगा अंतिम फैसला: कौन रहेगा मैदान में, कौन होगा बाहर?-नामांकन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद, 28 अगस्त का दिन बहुत अहम होगा। सुबह 10 बजे तक उन सभी उम्मीदवारों की फाइनल लिस्ट आ जाएगी जो वाकई चुनाव लड़ रहे हैं। इसके बाद, सुबह 10:30 से दोपहर 12 बजे तक का समय उन उम्मीदवारों के लिए होगा जो अपना नाम वापस लेना चाहते हैं। आखिर में, दोपहर 2:30 बजे तक सभी विभागों में फाइनल लिस्ट लगा दी जाएगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन इस बार पूरी तरह से ट्रांसपेरेंसी यानी पारदर्शिता पर ज़ोर दे रहा है, ताकि किसी भी छात्र के मन में कोई शंका या भ्रम न रहे और सब कुछ साफ-साफ पता चले।

3 सितंबर को तय होगा भविष्य: कार रैली और पोस्टर पर सख़्त पाबंदी!-चुनाव का दिन यानी 3 सितंबर 2025, जब छात्र अपने लीडर चुनेंगे। वोटिंग सुबह 9:30 बजे से शुरू होगी। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस बार चुनावों को एकदम शांतिपूर्ण और अनुशासित रखने के लिए कड़े इंतजाम किए हैं। सबसे खास बात यह है कि कैंपस में किसी भी तरह की कार रैली की इजाज़त नहीं होगी। साथ ही, बिना यूनिवर्सिटी स्टिकर वाले वाहनों को कैंपस में घुसने भी नहीं दिया जाएगा। आचार संहिता लागू हो चुकी है, जिसका मतलब है कि किसी भी तरह का ज़ोर-ज़बरदस्ती वाला प्रदर्शन या दिखावा पूरी तरह से मना है।

चुनाव लड़ने के नियम: 75% हाजिरी और बैकलॉग पर नो एंट्री!-इस बार चुनाव लड़ने के लिए कुछ खास शर्तें रखी गई हैं। सबसे ज़रूरी है कि उम्मीदवार की क्लास में कम से कम 75% हाजिरी होनी चाहिए। अगर किसी छात्र का किसी भी विषय में कोई बैकलॉग (बैक ईयर) है, तो वह चुनाव नहीं लड़ पाएगा। यूनिवर्सिटी ने यह भी साफ कर दिया है कि वोटिंग का नतीजा गुप्त ही माना जाएगा। इसके अलावा, किसी भी तरह की छपी हुई प्रचार सामग्री, जैसे कि पर्चे या पोस्टर, का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन है। यहां तक कि गाड़ियों पर स्टिकर लगाने की भी मनाही है।

यूनिवर्सिटी का कड़ा रुख: अनुशासन ही पहली प्राथमिकता!-यूनिवर्सिटी प्रशासन इस बार चुनावों को लेकर बहुत गंभीर है। उन्होंने चुनाव को एकदम डिसिप्लिन (अनुशासित) और पीसफुल (शांतिपूर्ण) बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। कार रैलियों और पोस्टरों पर रोक लगाना इसी का हिस्सा है। छात्रों को केवल यूनिवर्सिटी द्वारा तय किए गए तरीकों से ही अपना प्रचार करना होगा। प्रशासन का कहना है कि इन सब नियमों का मकसद कैंपस में पढ़ाई का माहौल बनाए रखना और चुनावी गतिविधियों को सही तरीके से कंट्रोल करना है। उम्मीद है कि सभी छात्र इन नियमों का पालन करेंगे और एक स्वस्थ, लोकतांत्रिक तरीके से इस प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे।

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