
उम्र के साथ मांसपेशियों की ताकत क्यों घट जाती है? जानें इसे रोकने के आसान तरीके!-क्या आप भी महसूस करते हैं कि पहले जो काम चुटकियों में हो जाते थे, अब उनमें ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ता है? जैसे अचार का डिब्बा खोलना या भारी सामान उठाना? यह सिर्फ़ आपका वहम नहीं है, बल्कि उम्र बढ़ने का एक स्वाभाविक असर है। जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हमारे शरीर की मांसपेशियां उतनी तेज़ी से काम नहीं करतीं, जितनी पहले करती थीं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर में कुछ हार्मोन्स, जैसे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन और महिलाओं में एस्ट्रोजन, कम होने लगते हैं। ये हार्मोन नई मांसपेशियां बनाने में मदद करते हैं। इसके अलावा, बढ़ती उम्र में शरीर में हल्की सूजन (क्रोनिक इंफ्लेमेशन) भी बढ़ जाती है, जिससे शरीर को खुद को ठीक करने और नई मांसपेशियां बनाने में मुश्किल होती है। लेकिन घबराइए नहीं, कुछ आसान सी चीज़ें अपनाकर आप अपनी मांसपेशियों की ताकत को काफी हद तक बनाए रख सकते हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: आपकी मांसपेशियों का सुपरहीरो-विशेषज्ञों का मानना है कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, यानी वज़न उठाने या मांसपेशियों पर ज़ोर डालने वाले व्यायाम, आपकी मांसपेशियों के लिए एक मज़बूत ढाल की तरह काम करते हैं। आप इसे अपनी बचत की तरह समझ सकते हैं – जितनी जल्दी शुरू करेंगे, उतना ही ज़्यादा फायदा मिलेगा, लेकिन देर से शुरू करने पर भी फ़ायदा ज़रूर होता है। रिसर्च बताती है कि 30 साल की उम्र के बाद हर 10 साल में हमारी मांसपेशियां 3 से 8% तक कम हो जाती हैं, और 50 के बाद यह प्रक्रिया और तेज़ हो जाती है। इसका एक बड़ा कारण हमारी कम सक्रिय जीवनशैली भी है। अगर आप अपनी मांसपेशियों का इस्तेमाल नहीं करेंगे, तो वे कमज़ोर हो जाएंगी। इसलिए, वज़न उठाना, पुश-अप्स या हल्के रेजिस्टेंस बैंड वाले व्यायाम शुरू करना बहुत ज़रूरी है। रोज़मर्रा की ज़िंदगी में सीढ़ियां चढ़ना, ज़्यादा चलना-फिरना और नियमित रूप से वर्कआउट करना आपकी मांसपेशियों को लंबे समय तक मज़बूत बनाए रखने में मदद करता है।
वर्कआउट में रखें निरंतरता और थोड़ी चुनौती-मांसपेशियों को मज़बूत बनाने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपने वर्कआउट के दौरान अपनी क्षमता से थोड़ा ज़्यादा करने की कोशिश करें। चाहे आप हल्का वज़न उठा रहे हों या भारी, यह ज़रूरी है कि आपके आखिरी कुछ रेप्स (जितनी बार आप व्यायाम दोहराते हैं) आपको थोड़ा मुश्किल लगें। विशेषज्ञों का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ इस निरंतरता का ध्यान रखना और भी ज़्यादा अहम हो जाता है। अगर आप अपनी मांसपेशियों को चुनौती नहीं देंगे, तो वे और जल्दी कमज़ोर पड़ेंगी। शुरुआत धीरे-धीरे करें और धीरे-धीरे अपनी कसरत की कठिनाई को बढ़ाएं। हफ़्ते में कम से कम दो बार 20-30 मिनट की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करना बहुत फायदेमंद होता है। व्यायाम शुरू करने से पहले वार्म-अप करना, सही तरीके से सांस लेना और हर मूवमेंट को कंट्रोल में रखना न भूलें। ये छोटी-छोटी आदतें न केवल आपकी मांसपेशियों को सुरक्षित रखेंगी, बल्कि चोट लगने के खतरे को भी कम करेंगी।
डाइट में प्रोटीन और कार्ब्स का सही तालमेल-आपकी मांसपेशियां कितनी मज़बूत रहेंगी, इसमें आपकी डाइट का रोल सबसे अहम होता है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी मांसपेशियां प्रोटीन को उतनी अच्छी तरह इस्तेमाल नहीं कर पातीं, जितना पहले करती थीं। इसलिए, आपको अपने खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ानी चाहिए। कोशिश करें कि आपकी रोज़ की कुल कैलोरी का एक बड़ा हिस्सा प्रोटीन से ही आए। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप कार्बोहाइड्रेट को छोड़ दें। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के दौरान शरीर को एनर्जी की ज़रूरत होती है, जिसके लिए कार्ब्स बहुत ज़रूरी हैं। साबुत अनाज जैसे कॉम्प्लेक्स कार्ब्स आपको लंबे समय तक एनर्जी देते हैं, जबकि फल जैसे सिंपल कार्ब्स वर्कआउट से पहले या बाद में आपको तुरंत एनर्जी और ताज़गी दे सकते हैं। कुछ विशेषज्ञ बुजुर्गों को मांसपेशियों को बढ़ाने के लिए क्रिएटिन सप्लीमेंट लेने की सलाह भी देते हैं। सही संतुलन वाली डाइट आपकी मेहनत का असर दोगुना कर देती है।
आराम का समय भी है उतना ही ज़रूरी!-मांसपेशियों को मज़बूत बनाने के लिए जैसे व्यायाम ज़रूरी है, वैसे ही उन्हें ठीक होने (रिकवर) का समय देना भी उतना ही ज़रूरी है। उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों को ठीक होने में ज़्यादा समय लगता है। अगर आप लगातार उन पर बहुत ज़्यादा दबाव डालेंगे, तो चोट लगने या मांसपेशियों के और कमज़ोर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, कठिन व्यायामों के बीच में रिकवरी के समय को प्राथमिकता दें। रिकवरी का मतलब यह नहीं है कि आप बिल्कुल भी हिलें-डुलें नहीं। आप एक्टिव रिकवरी कर सकते हैं, जैसे तेज़ी से चलना, हल्की साइकिल चलाना या योग करना। ये आपकी मांसपेशियों के लिए अच्छे होते हैं। इसके अलावा, अच्छी और पूरी नींद लेना और तनाव को कंट्रोल में रखना भी मांसपेशियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है। ज़्यादा तनाव और नींद की कमी शरीर में सूजन बढ़ा सकती है, जिससे मांसपेशियों का विकास धीमा हो जाता है। याद रखें, अच्छे नतीजे रातों-रात नहीं मिलते। धैर्य रखें और लगातार कोशिश करते रहें, यही सफलता की असली चाबी है।

