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आपदा प्रबंधन पर बड़ी बैठक: मुख्य सचिव ने दिए राहत और सुरक्षा कार्य तेज करने के निर्देश

आपदाओं से निपटने की तैयारी: सरकार का बड़ा फैसला, राहत कार्यों में तेजी!

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आपदा राहत के लिए धन का सदुपयोग: भविष्य की सुरक्षा की ओर एक कदम-हाल ही में राज्य सचिवालय में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई, जिसमें आपदा प्रबंधन से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए। इस बैठक में यह तय किया गया कि एसडीआरएफ दल के प्रशिक्षण के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में जो धनराशि बची हुई थी, उसका उपयोग अब 2025-26 में किया जाएगा। यह एक समझदारी भरा कदम है जो सुनिश्चित करेगा कि प्रशिक्षण के लिए आवंटित धन का पूरा लाभ उठाया जा सके। साथ ही, चंपावत और पौड़ी जैसे जिलों को पुनर्प्राप्ति, पुनर्निर्माण और राहत कार्यों के लिए धन की दूसरी किस्त जारी करने का भी निर्णय लिया गया। यह उन क्षेत्रों के लिए बड़ी राहत की खबर है जो प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, और अब वे अपने पुनर्निर्माण और सामान्य जीवन की ओर तेज़ी से बढ़ सकेंगे।

आपदा पीड़ितों को तत्काल सहायता: कोई देरी नहीं, बस मदद!-मुख्य सचिव ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि आपदा से प्रभावित लोगों को मिलने वाली आर्थिक सहायता में किसी भी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए। विशेष रूप से, मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारण प्रभावित हुए लोगों को जो अनुग्रह अनुदान मिलना है, उसे जल्द से जल्द वितरित किया जाए। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसे मामलों में कोई भी फाइल लंबित नहीं रहनी चाहिए और सभी लंबित मामलों का तुरंत निपटारा किया जाना चाहिए। यह सीधा संदेश है कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर प्रभावित परिवार को समय पर और बिना किसी परेशानी के आर्थिक मदद मिले, ताकि वे अपनी स्थिति को सुधार सकें।

आपातकाल में हेली सेवा का इस्तेमाल: जीवन बचाने का सबसे तेज़ ज़रिया-आपदाओं के समय, खासकर पहाड़ी इलाकों में, जहाँ सड़कें अक्सर अवरुद्ध हो जाती हैं, हेलीकॉप्टर सेवाएं जीवन रक्षक साबित होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए, मुख्य सचिव ने आपदा विभाग को हेली सेवाओं के उपयोग के लिए एक विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में, जैसे कि कोई बड़ी आपदा आने पर, हेलीकॉप्टर सेवाओं का तुरंत और प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सके। यह कदम न केवल राहत और बचाव कार्यों को गति देगा, बल्कि मुश्किल समय में फंसे लोगों तक पहुंचना भी आसान बनाएगा, जिससे कीमती जानें बचाई जा सकें।

नदियों का कायाकल्प और बाढ़ से सुरक्षा: एक एकीकृत योजना की आवश्यकता-देहरादून की रिस्पना नदी के चैनलाइजेशन और ड्रेजिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए, मुख्य सचिव ने सिंचाई विभाग और लोक निर्माण विभाग को मिलकर एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करने के आदेश दिए हैं। यह कदम नदी के जल प्रवाह को बेहतर बनाने और शहरी क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने में मदद करेगा। इसके अलावा, उन्होंने पूरे प्रदेश की प्रमुख नदियों का गहन अध्ययन करने और बाढ़ सुरक्षा योजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देने पर बल दिया। उन बस्तियों और संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर जहाँ बाढ़ का खतरा अधिक है, वहाँ तत्काल सुरक्षा उपाय शुरू किए जाने चाहिए ताकि भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

पर्यावरण-अनुकूल समाधान: बायो इंजीनियरिंग और बायो फेंसिंग का बढ़ता महत्व-आपदा न्यूनीकरण के लिए राज्य आपदा न्यूनीकरण निधि के तहत चल रहे विभिन्न कार्यों में, मुख्य सचिव ने बायो इंजीनियरिंग और बायो फेंसिंग जैसी पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों के उपयोग पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने वन विभाग और अन्य संबंधित विभागों को इस विषय पर एक संयुक्त कार्यशाला आयोजित करने का सुझाव दिया है, ताकि इन तकनीकों के प्रभावी उपयोग पर विचार-विमर्श किया जा सके। विशेष रूप से, जाइका परियोजना के तहत किए जा रहे कार्यों की जानकारी साझा करना महत्वपूर्ण होगा। ये तकनीकें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना बाढ़ नियंत्रण और भू-स्खलन जैसी गंभीर समस्याओं से निपटने में अत्यंत प्रभावी साबित हो सकती हैं, जो टिकाऊ विकास के लिए आवश्यक है।

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