
बिलासपुर। करूणा बौद्ध विहार किर्ती नगर बिलासपुर, भारतीय बौद्ध महासभा बिलासपुर एवं बौद्ध समाज बिलासपुर ने सयुक्त रूप से बुद्ध जयंती पर मौन मोमबत्ती रैली निकालकर नगर भ्रमण किया। इसके पश्चात अतिथियों द्वारा तथागत गौतम बुद्ध व डाॅ. बाबा साहब आम्बेडकर जी के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ ही सामूहिक रूप से परित्राण पाठ कर बुद्ध वंदना का वाचन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सारंग राव हुमने, अध्यक्ष बौद्ध समाज बिलासपुर, राष्ट्रीय सदस्य भारतीय बौद्ध महासभा एवं राष्ट्रीय सचिव डाॅ. आम्बेडकर परिनिर्वाण भूमि कार्यक्रम समिति दिल्ली ने अपने संबोधन में कहा कि डाॅ. बाबा साहब आम्बेडकर जी ने लगातार 21 वर्षों तक भारत के सभी प्रमुख धर्मों का अध्ययन करने के पश्चात् 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर की पवित्र दीक्षा भूमि पर अपने 05 लाख अनुयायीयों के साथ भारत के पुरातन धर्म बौद्ध धम्म की दीक्षा ली। तथागत भगवान गौतम बुद्ध विश्व के पहले क्रांतिकारी महापुरूष थे जिन्होने विश्व को प्रज्ञा, शील, करूणा, मैत्री और शांति का संदेश दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारतीय बौद्ध महासभा के जिला अध्यक्ष राजेश हुमने ने बताया कि त्रिगुण पावन वैशाख पूर्णिमा, उपोसथ उपवास का दिन, ध्यान साधना व दान का दिन है। यह पावन दिन विशेष महत्व का दिन होता है क्योंकि पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा पूर्णत्व को प्राप्त होता है इसीलिए पूर्णिमा आनंद दायक पर्व के रूप में मनाई जाती है। हर पूर्णिमा बुद्ध के जीवन की किसी न किसी घटना को दर्शाती है. बुद्ध पूर्णिमा त्रिविध, त्रिगुण पावन पर्व है. वैशाख (वैसाक) पूर्णिमा सम्यक सम्बुद्ध भगवान बुद्ध के जीवन की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं से संबंधित है। बुद्ध पूर्णिमा को त्रिविध या त्रिगुण पावन पर्व कहते है, बुद्ध पूर्णिमा पवित्र है और मंगलकारी है।
तथागत गौतम बुद्ध ने मानव कल्याण के लिए धम्म दिया। सभी विश्व के पहले वैज्ञानिक व महामानव बुद्ध का वंदन करें, कोई कर्मकांड न करें. करुणा के सागर की कृतज्ञता प्रकट करें. पंचशीलों का पालन करने का दृढ़ निश्चय करें. ‘‘धम्मपद’’ और बुद्ध व उनका धम्मः को पढे, जाने व माने। धम्म में दान का बड़ा महत्व होता है इसलिए पूर्णिमा के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार भोजन, फल, वस्त्र, बच्चों को पाठ्य सामग्री, बुद्ध साहित्य आदि का दान भी करते है यह भी कि इन परम्पराओं के पालन में कहीं भी कर्मकांड व अंधश्रद्धा नहीं हो. मानवतावादी व वैज्ञानिक सोच का पालन हो।
मौन मोम बत्ती रैली का संचालन सोनल वैध, रेश्मा रामटेके, सपना गजभिये, रमेश गोन्डाने, गोपाल पात्रे, दीपक वाहने ने किया।परित्राण पाठ व बुद्ध वंदना में विमल रंगारी, उषा वाहने, चंदानंदा गौली, लीला बाई रामटेके की प्रमुख भूमिका रही ।सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन उषा वाहने अध्यक्ष करूणा बौद्ध विहार किर्ती नगर एवं अभार व्यक्त सूर्यकान्त भालाधरे द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से कैलाश गजभिए, रमेश गोन्डाने, सम्मी रामटेके ,किरण महाजन, अर्चना ठावरे, तुलसीराम मुंडा ,संदीप रामटेके ,रेशमा रामटेके ,राजेश रामटेके ,सरिता कामड़े, मंजू वाहने, सरोज हुमने, सीमा मेश्राम, अनुराधा बोरकर, लक्ष्मी वाहने, संस्कृति रामटेके, स्वपनील हुमने, संध्या रामटेके, दया शंकर मेश्राम , अधीर उके, राजेश रामटेके,जयंत मेश्राम संजय हुमने शैलेष चन्द्रिकापुरे, शैलेष गजभिये, देवा गलपांडे, प्राची गलपांडे, प्रिति चौरे, रोशनी गोडाने, संतकला बंसोड़, वंदना नोनहारे, योगीता लांझेवार, रमा चौरे, प्रविन चौरे, वर्षा भालाधरे, सुजाता रामटेके, मंजू वाहने सविता मेश्राम आदि उपस्थित थे।