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छत्‍तीसगढ़ विधानसभा : सदन में गूंजा अस्पताल में फायर सेफ्टी का मुद्दा

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ व‍िधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे द‍िन आज गुरुवार को अस्पताल में फायर सेफ्टी का मुद्दा उठा। भाजपा विधायक धरमजीत सिंह ने सवाल पूछा कि राज्य सरकार ने निर्देश जारी किया है कि 9 मीटर से ऊंचे 30 बिस्तर वाले अस्पतालों में फायर सेफ्टी का ऑडिट करना जरूरी है। धरमजीत सिंह ने पूछा कि प्रदेश में कितने ऐसे अस्पताल हैं, जो इस नियम के दायरे में आते हैं।

जवाब में स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि अस्पताल में फायर सेफ्टी का ऑडिट कराना स्वास्थ्य विभाग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। गृह विभाग की ओर से फायर सेफ्टी का ऑडिट किया जाता है। स्वास्थ्य मंत्री ने सदन को बताया कि प्रदेश में 1129 प्राइवेट अस्पताल हैं। सरकारी अस्पतालों के पंजीकरण का कोई प्रावधान नहीं है। छत्तीसगढ़ सरकार की 29 नवंबर 2022 की अधिसूचना के अनुसार, 30 से अधिक बिस्तर वाले और क्रिटिकल केयर यूनिट वाले अस्पतालों को फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है। जिन अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम नहीं है, उनके लाइसेंस निलंबित और निरस्तीकरण के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है।

जवाब में धरमजीत सिंह और अजय चंद्राकर ने तीखी नाराजगी जतायी। विधायकों ने पूछा कि जब फायर सेफ्टी स्वास्थ्य विभाग का अधिकार नहीं है, तो फिर ऐसे सवाल को स्वास्थ्य विभाग को स्वीकार करना ही नहीं चाहिये था। जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 9 मीटर ऊंचा और 30 बिस्तर वाले कई अस्पताल स्वास्थ्य विभाग के भी है, इसलिए इस सवाल को स्वीकार किया गया है।

राजेश मूणत ने अधूरे पड़े हमर क्लिनिक का मामला उठाया। इस पर स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने बताया कि स्वास्थ्य विस्तार के लिए ‘हमर अस्पताल, हमर क्लिनिक’ योजना चलाई गई। 15वें वित्त आयोग ने 38 करोड़ से ज्यादा विभाग को भेजा है। वित्त विभाग ने विलंब किया, जिसके बाद राशि नहीं भेजी गई। इस पर जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना नहीं पटाने तक अगली राशि नहीं मिलेगी।

इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करते हुए अस्पतालों की संख्या बाद में उपलब्ध कराने का निर्देश मंत्री को दिया। जिसके बाद धरमजीत सिंह ने पूछा कि क्या सरकार फायर सेफ्टी का ऑडिट सक्षम अधिकारी से कराया जायेगा? उन्होंने कहा कि बाजार में फायर सेफ्टी का सर्टिफिकेट बिकता है, इसलिए जरूरी है कि सक्षम अधिकारी की निगरानी में पूरी जांच हो और जो भी अस्पताल मापदंड पर खरे ना उतरें उन्हें बंद कर दिया जाये।

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