
कोयले से मिलने वाली जीएसटी से भरेगा छत्तीसगढ़ का खजाना
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट चेतन तारवानी ने दी विस्तृत जानकारी
जतिन नचरानी
रायपुर। देशभर में 22 सितंबर से लागू हो रहे जीएसटी रिफॉर्म में एक बड़ा बदलाव छत्तीसगढ़ के लिए वरदान साबित होने वाला है। कोयले पर लगने वाला 400 रुपये प्रति टन का सेस पूरी तरह शून्य हो जाएगा, जबकि जीएसटी दर 5 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगी। इस नई व्यवस्था से राज्य सरकार को कोयला उत्पादन पर होने वाली आय में भारी वृद्धि होगी, जिससे खजाना भर जाएगा।

अनुमान है कि इससे राज्य को सालाना करोड़ों रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, जो विकास कार्यों को गति प्रदान करेगा। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध चार्टर्ड अकाउंटेंट चेतन तारवानी ने इस रिफॉर्म की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान व्यवस्था में कोयले पर प्रति टन 400 रुपये का सेस पूरी तरह केंद्र सरकार को जा रहा था। वहीं, 5 प्रतिशत जीएसटी की आधी राशि राज्य को और आधी केंद्र को मिलती थी। लेकिन अब सेस समाप्त होने से यह राशि केंद्र के पास नहीं जाएगी। नई जीएसटी दर 18 प्रतिशत होने से कुल कर राजस्व बढ़ेगा, जिसमें 50 प्रतिशत राज्य को प्राप्त होगा। तारवानी ने उदाहरण देते हुए कहा, छत्तीसगढ़ भारत का प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य है। पिछले वर्ष राज्य में लगभग 20 करोड़ टन कोयला उत्पादन हुआ था। पुरानी व्यवस्था में सेस से केंद्र को 8,000 करोड़ रुपये मिले, जबकि जीएसटी से राज्य को करीब 900 करोड़। नई व्यवस्था में 18 प्रतिशत जीएसटी से कुल 3,600 करोड़ का राजस्व बनेगा, जिसमें आधा यानी 1,800 करोड़ राज्य को मिलेगा। यह पहले की तुलना में दोगुना से अधिक है। यह लाभ बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और ग्रामीण विकास योजनाओं में निवेश के रूप में दिखेगा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे राज्य के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि इससे न केवल आर्थिक मजबूती मिलेगी, बल्कि निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा। राज्य के कोयला क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों ने भी स्वागत किया है। यह रिफॉर्म न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि अन्य कोयला उत्पादक राज्यों जैसे झारखंड और ओडिशा के लिए भी लाभकारी साबित होगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे जीएसटी संग्रहण प्रणाली और मजबूत होगी। चेतन तारवानी ने अंत में कहा, यह बदलाव राज्य की आर्थिक स्वायत्तता को बढ़ाएगा। अब विकास की गति तेज होगी।
