
बच्चों में डायबिटीज का बढ़ता ख़तरा: क्या है वजह और कैसे करें बचाव?-आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी और बदलती जीवनशैली का असर हमारे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी साफ़ दिख रहा है। एक समय था जब टाइप-2 डायबिटीज को सिर्फ़ बड़ों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब यह छोटे बच्चों में भी आम होती जा रही है। अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट तो चौंकाने वाली है, उनके अनुसार पिछले 20 सालों में डायबिटीज से पीड़ित बच्चों की संख्या दोगुनी हो गई है। अगर ऐसे ही चलता रहा, तो आने वाले समय में लाखों बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। इसके पीछे सबसे बड़े कारण हैं बच्चों का जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों का अधिक सेवन, घंटों तक मोबाइल और टीवी देखना, और बिल्कुल भी शारीरिक गतिविधि न करना। इसी वजह से बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है और डायबिटीज का खतरा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है जिस पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मौनजारो: बच्चों के लिए उम्मीद की नई किरण?-हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी दवा के बारे में बताया है जो बच्चों के लिए डायबिटीज के इलाज में एक नई उम्मीद जगा सकती है। इस दवा का नाम ‘मौनजारो’ है और यह GLP-1 पर आधारित है। यह दवा हमारे शरीर में ऐसे हार्मोन्स को सक्रिय करती है जो खून में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने में मदद करते हैं और साथ ही भूख को भी कम करते हैं। इसका मतलब है कि इससे न सिर्फ शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है, बल्कि वजन भी सही बना रहता है। जो रिसर्च हुई है, उसमें देखा गया कि मौनजारो दवा से बच्चों का HbA1C लेवल (जो शुगर कंट्रोल का एक पैमाना है) और BMI (बॉडी मास इंडेक्स) दोनों में सुधार हुआ। इतना ही नहीं, इससे दिल से जुड़ी कुछ समस्याओं में भी फायदा देखा गया। सबसे अच्छी बात यह है कि इसके साइड इफेक्ट्स वैसे ही थे जो पहले से बड़ों में देखे गए हैं, यानी यह दवा बच्चों के लिए भी काफी हद तक सुरक्षित मानी जा सकती है।
बच्चों में डायबिटीज के लक्षण: कैसे पहचानें?-बच्चों में डायबिटीज को समय पर पहचानना बहुत ज़रूरी है। यह बीमारी कुछ खास लक्षणों के ज़रिए सामने आती है, जिन्हें माता-पिता को पहचानना चाहिए। जैसे, बच्चे को बार-बार प्यास लगना, पेशाब ज़्यादा आना, बहुत ज़्यादा थकान और कमज़ोरी महसूस होना, अचानक वज़न कम होना या बढ़ जाना, ज़ख़्मों का देर से भरना और बार-बार इन्फेक्शन होना। कभी-कभी बच्चों की नज़र का धुंधला होना भी डायबिटीज का संकेत हो सकता है। इसलिए, अगर आपके बच्चे में ऐसे कोई भी लक्षण दिखें तो उन्हें बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। शुरुआती दौर में ही बीमारी का पता चलने पर इसका इलाज करना आसान हो जाता है और भविष्य में होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।
अगर डायबिटीज का इलाज न हो तो क्या होगा?-बचपन में अगर डायबिटीज का सही इलाज न कराया जाए, तो यह आगे चलकर बहुत गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। अनियंत्रित डायबिटीज की वजह से दिल की बीमारियाँ, किडनी फेल होना, नसों को नुकसान पहुँचना और आँखों की रोशनी का कम होना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। यही कारण है कि डॉक्टर हमेशा यह सलाह देते हैं कि बच्चों में डायबिटीज का पता चलते ही तुरंत इलाज शुरू कर देना चाहिए। मौनजारो जैसी दवाएँ इस ख़तरे को कम करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन सबसे ज़रूरी है जीवनशैली में सुधार लाना। स्वस्थ खान-पान और नियमित व्यायाम ही इस बीमारी से लड़ने का सबसे पक्का तरीका है।
भारत में भी बढ़ रहा है यह ख़तरा!-यह सिर्फ़ अमेरिका की ही समस्या नहीं है, बल्कि भारत में भी बच्चों और किशोरों में डायबिटीज के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। खासकर शहरों में, जंक फूड और फास्ट फूड का चलन, बच्चों का खेलकूद से दूर रहना और आलसी जीवनशैली उनकी सेहत बिगाड़ रही है। बड़े शहरों में माता-पिता के पास समय की कमी के चलते बच्चे अक्सर मोबाइल, टीवी और पैकेट वाले खाने पर ज़्यादा निर्भर हो जाते हैं। इसका नतीजा यह है कि कम उम्र में ही मोटापा और डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियाँ बच्चों को अपनी चपेट में ले रही हैं। यह एक ऐसी चुनौती है जिस पर हमें मिलकर काम करना होगा।
डायबिटीज से बचाव के आसान तरीके-डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज से बचने का सबसे अच्छा तरीका है एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाना। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को हर दिन कम से कम एक घंटा खेलने-कूदने या किसी भी शारीरिक गतिविधि के लिए प्रेरित करें। जंक फूड और मीठे पेय पदार्थों से दूर रखते हुए घर का बना पौष्टिक खाना खिलाएं। साथ ही, समय-समय पर बच्चों के ब्लड शुगर की जांच करवाते रहना भी बहुत ज़रूरी है। अगर पूरा परिवार मिलकर एक स्वस्थ दिनचर्या अपनाता है, तो बच्चे भी उसे आसानी से अपना लेते हैं। मौनजारो जैसी दवाओं पर हुए शोध ने उम्मीद ज़रूर जगाई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि असली समाधान संतुलित खान-पान और सक्रिय जीवनशैली में ही छिपा है।

