विशेष
Trending

हलषष्ठी ( कमरछठ) पूजन 24 अगस्त को , जानें इसका महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में

छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्योहार कमरछठ

कमरछठ व्रत छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे हलछठ या हलषष्ठी भी कहा जाता है। इस व्रत को करने वाली माताएं निर्जला रहकर शिव-पार्वती की पूजा करती है। सगरी बनाकर सारी रस्में भी निभाई गई और कमरछठ की कहानी सुनकर शाम को डूबते सूर्य को अध्र्य देने के बाद अपना व्रत खोलेंगी। इस व्रत को यूपी-बिहार के पावन छठ व्रत की तरह ही माना जाता है जो संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है।

ये खबर भी पढ़ें : क्या होता है मास्क्ड आधार कार्ड

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, षष्ठी तिथि 24 अगस्त को सुबह 7:51 बजे शुरू होगी और 25 अगस्त को सुबह 5:30 बजे समाप्त होगी। इस वर्ष षष्ठी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी। इसलिए हलषष्ठी व्रत शनिवार को ही करना उचित रहेगा। शहर के प्रसिद्ध सिद्धपीठ, मां महामाया देवी मंदिर पुरानी बस्ती में हलषष्ठी व्रत का पूजन 24 अगस्त को दोपहर 1 बजे मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा किया जाएगा।

ये खबर भी पढ़ें : सुबह के समय करें ये 5 योगासन, शरीर और दिमाग दोनों रहेंगे फिट

हलषष्ठी व्रत की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार एक ग्वालिन गर्भवती थी और अपने दूध-दही को बेचने के लिए निकल पड़ी। प्रसव पीड़ा शुरू होने पर, उसने एक बेरी के नीचे बच्चे को जन्म दिया और दूध-दही बेचने चली गई। वह गांव वालों को गुमराह करके केवल भैंस के दूध को गाय के दूध के रूप में बेचा।

ये खबर भी पढ़ें : बांग्लादेश नहीं अब इस देश में होगा महिला टी20 वर्ल्ड कप,ICC ने नए वेन्‍यू का एलान किया

इस पाप के कारण, बच्चे को हल लग गया। किसान ने झरबेरी के कांटों से बच्चे के पेट में टांके लगाए और छोड़ दिया। यह कथा व्रति को बताती है कि व्रत को पूर्ण श्रद्धा और सही तरीके से करना चाहिए।

ये खबर भी पढ़ें : स्टील कारोबारी के पुत्र का शव बरामद, जांच में जुटी पुलिस

सगरी बनाकर की जाती है पूजा

कमरछठ की पूजा के लिए महिलाएं गली-मोहल्ले में मिलकर प्रतीक स्वरूप दो सगरी(तालाब) के साथ मिट्टी की नाव बनाया और फूल-पत्तों से सगरी को सजाकर वहां महादेव व पार्वती की पूजा की। दिनभर निर्जला व्रत रहकर शाम को सूर्य डूबने के बाद व्रत खोलेंगी। मरोदा निवासी ज्योति चंद्राकर, दिव्या साहू ने बताया कि यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। बिहार में जिस तरह छठ मईया की पूजा होती है उसी तरह छत्तीसगढ़ में कमरछठ का महत्व है जो संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।

ये खबर भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में भारत बंद का क्या रहा असर, जानने के लिए पढ़ें खबर 

6 अंक का होता है महत्व

कमरछठ में 6 अंक का काफी महत्व है, सगरी में 6-6 बार पानी डाला जाता है. साथ ही 6 खिलौने, 6 लाई के दोने और 6 चुकिया यानि मिट्टी के छोटे घड़े भी चढ़ाए जाते हैं। 6 प्रकार के छोटे कपड़े सगरी के जल में डुबोए जाते हैं और संतान की कमर पर उन्हीं कपड़ों से 6 बार थपकी दी जाती है, जिसे पोती मारना कहते हैं।

ये खबर भी पढ़ें : केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह का 23 से 25 अगस्‍त तक छत्तीसगढ़ दाैरा

 

DIwali Offer

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
कौन सी सब्जियां बढ़ाते हैं शरीर में यूरिक एसिड, सर्दियों में खाने से बचें मार्केट में आया नया धांसू प्लान, 11 रुपए के रैकेट में पाए 10 जीबी डाटा भगवत गीता से प्रेरित कुछ नाम! आप भी दे सकते हैं अपने बच्चों को सुषमा के स्नेहिल सृजन – भूमिपुत्र और शीत