रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीति में नई सरकार की स्वरूप लेने के बाद नई चर्चाएं आरंभ हो गई है। सरकार के एक माह के कामकाज को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ यह चर्चा है कि छत्तीसगढ़ की कैबिनेट में 13 मंत्री पद किसे दिया जा सकता है।
सत्ता में वापसी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने 12 मंत्री के साथ कैबिनेट तैयार कर ली है। इन सभी को पोर्टफोलियो भी दे दिए गए हैं। सभी मंत्रियों ने नए कलेवर और नए तेवर दिखाते हुए कामकाज भी शुरू कर दिए हैं। आने वाले दिनों में एक मंत्री पद बचा है इसको लेकर सत्ता के गलियारे में चर्चा का माहौल है। जिस तरह से नई सरकार का गठन हुआ और चौंकाने वाला था नए पुराने चेहरे को लेकर की 9 कैबिनेट मंत्री दो उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने कामकाज को तीव्रता दी है। मोदी की गारंटी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव के साथ मंत्रिमंडल का काम रफ्तार पकड़ते जा रहा है, पर कहीं ना कहीं यह भी चर्चा है कि अंतिम मंत्री पद किसको मिल सकता है। चर्चा यह भी है की सत्ता और संगठन के तालमेल से पद दिया जाएगा। इस दौड़ में पूर्व भाजपा शासन काल में मंत्री रहे कई अनुभवी शामिल है। राजेश मूणत, अजय चंद्राकर, रेणुका सिंह, भैया लाल राजवाड़े, गोमती साय ,पुन्नूलाल मोहले, धर्मजीत सिंह, अमर अग्रवाल, मोतीलाल साहू और केदार कश्यप के साथ नव विधायक में पुरंदर मिश्रा, अनुज शर्मा, मोतीलाल साहू के नाम की चर्चा है। इन सभी विधायक में मंत्री पद की इच्छा शक्ति दिखाई दे रही है, ऐसे में मंत्री पद किसे मिल पाता है इस बात की भी चर्चा है।
पिछले दिनों नवनिर्वाचित विधायक पुरंदर मिश्रा दिल्ली प्रवास के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल के वरिष्ठ पदाधिकारी से मुलाकात करके लौटे। वहीं अजय चंद्राकर, राजेश मूणत जैसे सीनियर की भी इच्छा में मंत्री पद है। सवाल यह है कि कैबिनेट का अंतिम मंत्री पद किसे मिल सकता है, क्योंकि जिस तरह से मोदी सरकार ने चौकाने वाली फैसले लेकर तीन राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दिए इस तरह से कैबिनेट के स्वरूप को लेकर भी चर्चाएं थी और स्वरूप आने के बाद कई सारे अल्पविराम लग चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि नई सरकार ने 7 दिसंबर को दो उपमुख्यमंत्री अरुण साहू और विजय शर्मा तथा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के साथ स्वरूप लिया था, बाद में 22 दिसंबर 2023 को 9 कैबिनेट मंत्री ने शपथ ली और नए पुराने चेहरे को मिलाकर 12 मंत्री तय कर लिए गए जिसमें विधायक बृजमोहन अग्रवाल मंत्री पद में सफल रहे थे, जबकि विधानसभा अध्यक्ष पद पर डॉ. रमन सिंह को अवसर दे दिया गया। इससे पहले यह माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री की दौड़ में डॉ. रमन सिंह शामिल है और अनुभव होने के कारण वही मंत्री बन सकते हैं, लेकिन मोदी की गारंटी ने मंत्रिमंडल का ही स्वरूप बदल दिया। फिलहाल कैबिनेट के विस्तार की कोई संभावना नहीं है। 22 जनवरी के बाद विस्तार हो सकता है, ऐसे में सभी अनुभवी और नए विधायक अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं कि 13वां मंत्री पद मिल जाए नए चेहरे को मिल सकता है या पुराने को अवसर दिया जाएगा। इस चर्चा चल रही है सत्ता और संगठन में पहुंच रखने वाले अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं पहली बार विधानसभा चुनाव जीत कर चौंकाने वाले विधायक भी मंत्री पद की आस में हैं।