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भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26: Q1 में 7.8% बढ़ोतरी, अमेरिकी टैरिफ से सतर्कता जरूरी

भारत की अर्थव्यवस्था: पहली तिमाही में 7.8% की उछाल, आगे क्या होगा?

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पहली तिमाही में शानदार प्रदर्शन: 7.8% की वृद्धि-इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (Q1 FY26) में, भारत की अर्थव्यवस्था ने 7.8% की शानदार वृद्धि दर्ज की है! यह वाकई में एक बड़ी उपलब्धि है। इस ग्रोथ का मुख्य कारण रहा है हमारे देश में लोगों द्वारा की जा रही खरीदारी में बढ़ोतरी और सरकार द्वारा किए जा रहे खर्च में वृद्धि। एशियाई विकास बैंक (ADB) का कहना है कि यह ग्रोथ हमारे देश में होने वाली घरेलू मांग और सेवाओं के निर्यात की वजह से मिली है। लेकिन, एक चिंता की बात भी है – अमेरिका ने कुछ भारतीय सामानों पर टैरिफ लगाने की योजना बनाई है, जिससे आने वाले समय में निर्यात पर असर पड़ सकता है।ADB ने पहले अप्रैल में 7% की वृद्धि का अनुमान लगाया था, लेकिन जुलाई में इसे घटाकर 6.5% कर दिया गया। इसकी वजह अमेरिका का भारत से आने वाले कुछ सामानों पर 50% तक टैरिफ लगाने का फैसला है। इसका असर आने वाले दो सालों, यानी FY26 और FY27, में हमारी GDP पर पड़ सकता है।ADB ने यह भी कहा है कि निर्यात में कमी होने से हमारी GDP पर बुरा असर पड़ेगा, लेकिन घरेलू मांग और सेवाओं के निर्यात की वजह से इसका प्रभाव कम रहेगा। कुल मिलाकर, हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आगे की राह थोड़ी मुश्किल हो सकती है, लेकिन उम्मीद है कि हम इसे पार कर लेंगे।

ब्याज दरों में कटौती: अर्थव्यवस्था को सहारा-घरेलू मांग को मजबूत बनाए रखने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने कुछ अहम कदम उठाए हैं। शुरुआत में, ब्याज दरों को लगभग दो साल तक 6.5% पर स्थिर रखने के बाद, MPC (मौद्रिक नीति समिति) ने फरवरी और अप्रैल 2025 में 25-25 बेसिस पॉइंट और जून में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की। इससे रेपो रेट 5.5% पर आ गया, जो अगस्त 2022 के बाद सबसे कम है।इसके साथ ही, बैंकों में नकदी बढ़ाने के लिए, CRR (नकद आरक्षित अनुपात) में 100 बेसिस पॉइंट की कटौती की गई, जो सितंबर और नवंबर 2025 में चार चरणों में की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि नए रुपये लोन पर बैंकिंग दरें फरवरी से जुलाई 2025 के बीच 60 बेसिस पॉइंट तक कम हुईं, और 10 साल के सरकारी बॉन्ड पर यील्ड 32 बेसिस पॉइंट घट गई।इन कदमों से घरेलू निवेश और खर्च को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ के संभावित बुरे प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी। ADB का मानना है कि यह नीति बदलाव विकास के लिए सहायक होगा और घरेलू खपत को मजबूत करेगा।

राजकोषीय घाटा, निर्यात और मुद्रास्फीति-
ADB की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राजकोषीय घाटा अनुमान से थोड़ा ज्यादा, 4.4% से ऊपर जा सकता है। इसकी वजह GST में कटौती के कारण टैक्स कलेक्शन में कमी और सरकार के खर्च में स्थिरता है। FY25 में यह घाटा 4.7% था। निर्यात में कमी और अमेरिकी टैरिफ के कारण, शुद्ध निर्यात हमारी GDP को और कम करेगा।हालांकि, अच्छी बात यह है कि पेट्रोलियम आयात कम हो रहा है और सेवाओं का निर्यात मजबूत है, जिससे कुल मिलाकर असर कम रहेगा। विदेशी निवेश में अनिश्चितताओं के बावजूद, घरेलू खपत और सरकारी खर्च से अर्थव्यवस्था को संभालने में मदद मिलेगी।ADB ने यह भी कहा है कि FY26 में महंगाई दर 3.1% रहने का अनुमान है, जो खाने की चीजों की कीमतों में कमी के कारण कम हुई है। लेकिन FY27 में खाने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी से महंगाई बढ़ने की संभावना है। कुल मिलाकर, भारत की अर्थव्यवस्था ने 2025-26 में एक मजबूत शुरुआत की है, लेकिन अमेरिकी टैरिफ और दुनिया भर में चल रही अनिश्चितताओं से उसे चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। अच्छी बात यह है कि घरेलू मांग, सेवा निर्यात और मौद्रिक समर्थन इसे स्थिर रखने में मदद करेंगे। हमें उम्मीद है कि हमारी अर्थव्यवस्था आगे भी अच्छा प्रदर्शन करती रहेगी!

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