
नेटफ्लिक्स का ‘खाकी: द बंगाल चैप्टर’ एक गैंगस्टर ड्रामा है जो कुछ दिलचस्प आईडियाज को मिलाकर बनाया गया है। जिन दर्शकों को इस तरह की कहानियां पसंद हैं, उन्हें शो पसंद आ सकता है, लेकिन जो दर्शक कुछ नया और दिलचस्प देखना चाहते हैं, उन्हें यह शो थोड़ा निराशाजनक लग सकता है।

ऋत्विक भौमिक की दमदार परफॉरमेंस, लेकिन प्लॉट में कमी
ऋत्विक भौमिक ने एक बार फिर अपने अभिनय से धूम मचा दी है। उनकी परफॉरमेंस बहुत दमदार है, लेकिन शो की राइटिंग और प्लॉट में कमी है। शो में ऋत्विक का किरदार एक सुपरकॉप का है, लेकिन उनकी परफॉरमेंस इतनी सहज है कि ऐसा लगता है कि उन्हें कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ी। शो का फोकस गैंगस्टर्स की कहानी पर ज्यादा है, जिससे पुलिस वाले किरदार कमज़ोर हो जाते हैं।शो एक गैंगस्टर (शाश्वत चटर्जी) की कहानी से शुरू होता है जिसका एक बड़े पॉलिटिशियन (प्रोसेनजीत चटर्जी) के साथ कनेक्शन है। यह अपराधी पुलिस की आंखों में खटक रहा है। एक सुपरकॉप इससे निपटने निकलता है, लेकिन खुद फंस जाता है। अब यह जिम्मेदारी नए ऑफिसर अर्जुन मोइत्रा (जीत) पर है।
इसके अलावा, गैंगस्टर के यहां भी तख्ता पलट चल रहा है और उसकी गैंग के दो लड़के बागी हो गए हैं। वे पूर्ण इज्जत और पूर्ण शक्ति चाहते हैं। एक बंधु दिमाग का इस्तेमाल करने वाला शातिर लड़का है (ऋत्विक भौमिक), और दूसरा सिर्फ ताकत के दम पर फटने को तैयार ग्रेनेड है (आदिल जफर खान)। पश्चिम बंगाल में सेट सीरीज में, बंगाली सिनेमा के कई पॉपुलर चेहरे होने के बावजूद, किसी भी किरदार ने लगातार दो लाइनें बंगाली में नहीं बोली हैं। यह थोड़ा अजीब लगता है, क्योंकि वेब सीरीज में सबटाइटल्स का ऑप्शन उपलब्ध रहता है। कुल मिलाकर, ‘खाकी: द बंगाल चैप्टर’ एक रूटीन गैंगस्टर ड्रामा है जो कुछ दिलचस्प आईडियाज को मिलाकर बनाया गया है। ऋत्विक भौमिक का अभिनय दमदार है, लेकिन शो की कहानी और राइटिंग में कमी है।