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टेक-ऑटोमोबाइल

कार कंपनियां किस तरह से Cost Cutting करती हैं, आइए जानते हैं

नई दिल्‍ली। कार कंपनियां अपनी नई कारों में कई बेहतरीन फीचर्स को ऑफर करती हैं। लेकिन कुछ ऐसे फीचर्स भी होते हैं जिनमें कंपनियां Cost Cutting कर देती हैं। ऐसा करने से कंपनियों को किस तरह से फायदा होता है और ग्राहकों को कौन से फीचर्स कम मिलते हैं। हम आपको इस खबर में बता रहे हैं।

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Fog Light को हटाना
कंपनियों की ओर से किसी भी गाड़ी को एक से ज्‍यादा वेरिएंट्स के साथ ऑफर किया जाता है। लेकिन कम कीमत वाले वेरिएंट में कई ऐसे फीचर्स को हटा दिया जाता है जिसकी जानकारी काफी कम लोगों को होती है। इनमें से एक फीचर फॉग लाइट्स है। मौजूदा समय में कंपनियां सिर्फ टॉप वेरिएंट्स में ही फॉग लाइट्स को देती हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक इनको टॉप वेरिएंट के साथ ही मिड वेरिएंट्स में भी दिया जाता था। लेकिन काफी समझदारी से इस फीचर को सिर्फ एक या दो वेरिएंट तक ही सीमित कर दिया गया है।

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हैलोजन लाइट्स का उपयोग

नए जमाने की कारों में ग्राहक एलईडी लाइट्स को पसंद करते हैं। लेकिन कॉस्‍ट कटिंग के नाम पर ज्‍यादातर वेरिएंट्स में हैलोजन लाइट्स को दिया जाता है। अगर किसी व्‍यक्ति को अपनी गाड़ी में एलईडी लाइट्स चाहिए तो इसके लिए अतिरिक्‍त पैसे देने पड़ते हैं।

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इंटीग्रेटिड हेडरेस्‍ट
हैलोजन लैंप और फॉग लाइट्स को फिर भी ग्राहक नोटिस करते हैं, लेकिन इंटीग्रेटिड हेडरेस्‍ट एक ऐसा फीचर है जिसमें कंपनियां काफी स्‍मार्ट तरीके से पैसे बचाती हैं। आमतौर पर कारों में हेडरेस्‍ट को अलग से दिया जाता है, लेकिन कुछ कारों मे इंटीग्रेटिड हेडरेस्‍ट ऑफर किए जाते हैं। ऐसे हेडरेस्‍ट सीट के साथ फिक्‍स होते हैं और जरुरत के मुताबिक इनको एडजस्‍ट नहीं किया जाता। इस फीचर के कारण कंपनियों के हजारों रुपये बच जाते हैं और ग्राहकों को इसका पता भी नहीं चलता।

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डिफॉगर, वाइपर और वॉशर
भारत में सबसे ज्‍यादा एसयूवी सेगमेंट के वाहनों की बिक्री होती है। इनमें से कम ही कारों में रियर डिफॉगर, वाइपर और वॉशर को देखा जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि इस तरह के फीचर्स को सिर्फ टॉप वेरिएंट्स में ही ऑफर किया जाता है।

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बूट लाइट
आमतौर पर भारत में लोग अपनी कारों का उपयोग सिर्फ सफर करने के लिए नहीं करते। सफर के साथ सामान भी ले जाया जाता है जिसे बूट स्‍पेस में रखा जाता है। कम कीमत वाली कारों में कंपनियां बूट लाइट को हटा देती हैं। लेकिन महंगे वेरिएंट्स में इस फीचर को भी दिया जाता है। रात के समय बूट का उपयोग करने पर लाइट होने के कारण सुविधा होती है।

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स्‍टेपनी का साइज छोटा होना
अधिकतर कंपनियां अपनी कारों में स्‍टेपनी को देती हैं लेकिन इसका साइज छोटा दिया जाता है। अगर किसी गाड़ी के चारों पहियों का साइज 16 इंच होता है तो स्‍टेपनी का साइज 15 इंच का ही दिया जाता है। ऐसा करके भी हजारों रुपये की बचत तो होती है साथ में वजन कम होने और साइज छोटा होने से भी कंपनियों को फायदा मिलता है।

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एक जैसे पार्ट्स का उपयोग
अपने पोर्टफोलियो को बड़ा दिखाने के लिए कंपनियों की ओर से कई कारों को ऑफर किया जाता है। लेकिन इनमें से कुछ कारें ऐसी होती हैं, जिनमें कॉस्‍ट कटिंग के लिए एक जैसे पार्ट्स का उपयोग किया जाता है। ऐसा करने से कंपनियों को यह फायदा होता है कि उस पार्ट का प्रोडक्‍शन सिर्फ एक ही गाड़ी के लिए नहीं किया जाता और ज्‍यादा कारों में उसी पार्ट का उपयोग होने से लागत कम करने से ज्‍यादा मार्जिन मिल जाता है।

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