लेख
Trending

महाकुंभः प्रयागराज बनाएं सबके बिगड़े काज 

ये खबर भी पढ़ें : नशे में लड़खड़ाकर धड़ाम से गिरीं मौनी रॉय,वीडियो हुआ वायरल

योगेश कुमार सोनी

प्रयागराज में महाकुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के दिन होगी। मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान संगम स्नान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं के संकल्प पूरे होते हैं। महाकुंभ मेले का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा। प्रयागराज में हर 12 साल के अंतराल पर महाकुंभ का आयोजन होता है। इससे पहले 2013 में यह शुभ अवसर आया था। महाकुंभ मेले का इंतजार पूरी दुनिया में रह रहे सनातनी हिंदुओं को रहता है। महाकुंभ का आगाज होते ही देश में हलचल मच जाती है। लाखों पग प्रयाग की तरफ बढ़ने लगते हैं। करोड़ों सनातनी अपनी आस्था को लेकर यहां डुबकी लगाने पहुंचते हैं। कुंभ को सनातन धर्म का प्रतीक माना जाता है। यहां लोग पापों के क्षय और पुण्य कमाने की लालसा लेकर जाते हैं। संपूर्ण मेला क्षेत्र में धर्माचार्यों के शिविरों में धर्म की त्रिवेणी कल-कल बहती है।

ये खबर भी पढ़ें : हेल्दी रहने के लिए WHO ने कुछ टिप्स शेयर किए

बीते कुछ वर्षों में हिंदू अपने धर्म के प्रति बहुत जागरूक हुआ है। वैसे तो अब सभी हिन्दू तीर्थस्थलों बहुत भीड़ होती है। इस बार के महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।पिछले महाकुंभ में लगभग 25 करोड़ और उससे पहले 15 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे। आजादी के बाद पहले महाकुंभ में करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे। 12 वर्ष के अंतराल को धर्मपरायण श्रद्धालु एक युग की तरह मानते हैं। और गंगा-यमुना-सरस्वती के संगम में स्नान करने के साथ सत्संग और दान भी करते है। मान्यता है कि इससे उनके पाप खत्म हो जाते हैं और दोबारा से तरोताजा होकर संसार की यात्रा में लग जाते हैं।

ये खबर भी पढ़ें : स्क्विड गेम 2 का आ गया है नया सीज़न! क्या है नया इस बार – Pratidin Rajdhani

कुंभ की उत्पत्ति समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है। कहते हैं कि देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। इससे अमृत निकला। इसके पान के लिए दोनों पक्षों में 12 दिन युद्ध हुआ। यह 12 दिन पृथ्वी पर 12 वर्ष के बराबर थे। इसलिए महाकुंभ का मेला 12 साल में लगता है। संतों का कहना है कि कुंभ के बारे में सुनकर वहां बहुत सारे लोग आते हैं लेकिन वह पूरा लाभ नहीं उठा पाते। कुंभ धार्मिक पर्व है। घूमने-फिरने की जगह नहीं। इसलिए अगर महाकुंभ का पुण्य कमाना है तो धार्मिक आस्था के प्रयागराज पहुंचे और सात्विकता के नियमों का पालन करें। कुंभ मेला क्षेत्र में जो कुछ भी हो, उससे संतुष्ट हों। एक संन्यासी के आध्यात्मिक जीवन की तरह जीयें। प्रयागराज के महाकुंभ की तैयारियों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पल-पल की जानकारी लेते हैं।

ये खबर भी पढ़ें : दिन का एक गाजर खाएं और देखें कमाल के फ़ायदे – Pratidin Rajdhani

प्रयागराज सनातन संस्कृति के प्राचीनतम नगरों में से एक है। प्रयाग की महत्ता और प्राचीनता का विवरण ऋग्वेद से लेकर पुराणों और रामायण- महाभारत जैसे महाकाव्यों में मिलता है। सनातन के आराध्य प्रभु श्रीराम के जीवन और वनवास प्रसंग से भी प्रयाग का विशेष संबंध है। रामचरित मानस में वर्णन मिलता है कि वनवास के लिए अयोध्या से निकल कर प्रभु श्रीराम प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम पहुंचे। यहां उन्होंने रात काटकर निषादराज की मदद से गंगा पार की।

ये खबर भी पढ़ें : दिन का एक गाजर खाएं और देखें कमाल के फ़ायदे – Pratidin Rajdhani

यहां से भारद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचे। 142 साल में महाकुंभ के आयोजन के स्वरूप में निरंतर बदलाव देखा जा रहा है। कहते हैं कि 1882 में महाकुंभ के आयोजन में मात्र बीस हजार रुपये की लागत आई थी। इस साल के महाकुंभ मेला क्षेत्र का बजट करीब 7500 करोड़ रुपये है। प्रयागराज व्यापार मंडल के अनुसार कुंभ के दिनों में यहां करोडों रुपये का व्यापार होगा। इसको लेकर हर छोटा-बड़ा व्यापारी उत्साहित है। श्रद्धालुओं के साथ किसी प्रकार की लूटपाट न हो, इसके लिए शासन ने कठोर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

ये खबर भी पढ़ें : दिन का एक गाजर खाएं और देखें कमाल के फ़ायदे – Pratidin Rajdhani

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

DIwali Offer

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
सुषमा के स्नेहिल सृजन – वागेश्वरी वंदना बेबी जॉन फ्लॉप होने पर राजपाल यादव ने खोले राज अगर Plan हैं कैंपिंग का , भारत में कैंपिंग के लिए फेमस जगहें Toyota की ये गाड़ी देगी 30.81km का माइलेज, लुक है Baleno जैसा