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Mothers Day 2025 : मां से दूर हैं तो मदर्स डे पर ये खास संदेश भेजकर मां को दें बधाई, जानें क्या है मदर्स डे का इतिहास

मां से हर बच्चे का रिश्ता दुनिया के किसी भी रिश्ते से पुराना होता है क्योंकि मां और बच्चे का जुड़ाव गर्भ में ही हो जाता है. तभी से मां को बच्चे की फिक्र सताने लगती है और बच्चा भी मां के अहसासों को समझने लगता है. जीवनभर मां अपने बच्चे के सबसे करीब रहती है. उसकी एक खुशी के लिए अपना सब कुछ लुटाने को तैयार हो जाती है. मां बच्चे का सिर्फ पालन ही नहीं करती, बल्कि उसके अंदर संस्कारों का बीज बोने में भी सबसे अहम रोल एक मां का ही होता है. मां के नि:स्वार्थ प्रेम और त्याग का आभार प्रकट करने के लिए हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. इस बार मदर्स डे 11 मई को मनाया जाएगा.


देखा जाए तो मां जो अपने बच्चों के लिए जीवनभर बलिदान देती है, उसका ऋण कभी नहीं चुकाया जा सकता. लेकिन मां को समर्पित इस खास दिन में आप कुछ ऐसा जरूर कर सकते हैं, जो आपकी मां को ये अहसास कराए कि आप उनसे कितना प्रेम करते हैं. अगर आप इस बार मदर्स डे के मौके पर उनसे दूर हैं, तो इस दिन आप उन्हें खास संदेश भेजकर इस दिन की बधाई दे सकते हैं, साथ ही कोई सरप्राइज प्लान कर सकते हैं. यहां जानिए वो शुभकामना संदेश जो आपकी मां के सामने आपकी भावनाओं को आसानी से प्रदर्शित कर सकते हैं.

कैसे हुई मदर्स डे की शुरुआत?

संसार महान् व्यक्तियों के बिना रह सकता है, लेकिन मां के बिना रहना एक अभिशाप की तरह है, इसलिए संसार मां का महिमामंडन करता है, उसके गुणगान करता है, इसके लिए मदर्स डे, मातृ दिवस या माताओं का दिन चाहे जिस नाम से पुकारें दिन निर्धारित है। अमेरिका में मदर्स डे की शुरुआत 20वीं शताब्दी के आरंभ के दौर में हुई। विश्व के विभिन्न भागों में यह अलग-अलग दिन मनाया जाता है।
मदर्ड डे का इतिहास करीब 400 वर्ष पुराना है। प्राचीन ग्रीक और रोमन इतिहास में मदर्स डे मनाने का उल्लेख है। भारतीय संस्कृति में मां के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है, लेकिन आज आधुनिक दौर में जिस तरह से मदर्स डे मनाया जा रहा है, उसका इतिहास भारत में बहुत पुराना नहीं है। इसके बावजूद दो-तीन दशक से भी कम समय में भारत में मदर्स डे काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

मां शब्द में समाहित है दुनिया की हर चीज

मातृ दिवस-समाज में माताओं के प्रभाव व सम्मान का उत्सव है। मां शब्द में संपूर्ण सृष्टि का बोध होता है। मां के शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी हुई होती है, जो अन्य किन्हीं शब्दों में नहीं होती। मां नाम है संवेदना, भावना और अहसास का। मां के आगे सभी रिश्ते बौने पड़ जाते हैं। मातृत्व की छाया में मां न केवल अपने बच्चों को सहेजती है बल्कि आवश्यकता पडऩे पर उसका सहारा बन जाती है।
समाज में मां के ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है, जिन्होंने अकेले ही अपने बच्चों की जिम्मेदारी निभाई। मां रूपी सूरज चरेवैति-चरेवैति का आह्वान है और उसी से तेजस्विता एवं व्यक्तित्व की आभा निखरती है। उसका ताप मन की उम्मीदों को कभी जंग नहीं लगने देता। उसका हर संकल्प मुकाम का अन्तिम चरण होता है।

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