
उत्तराखंड में बादल फटने से चारधाम यात्रा पर ग्रहण, यात्रियों की राह मुश्किल!
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!गंगोत्री-यमुनोत्री यात्रा पर रोक, श्रद्धालुओं को लौटना पड़ा-उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में हाल ही में हुई बादल फटने की घटनाओं ने चारधाम यात्रा को बुरी तरह प्रभावित किया है। इन आपदाओं के चलते, प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा को फिलहाल रोक दिया है। हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु इन पवित्र स्थलों के दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन इस बार प्राकृतिक आपदाओं ने उनकी यात्रा को बाधित कर दिया है। रास्ते बंद होने की वजह से कई श्रद्धालुओं को अपने गंतव्य तक पहुंचे बिना ही वापस लौटना पड़ रहा है, जिससे यात्रा का पूरा माहौल ही प्रभावित हुआ है।
केदारनाथ-बदरीनाथ में भी यात्रियों की संख्या घटी-बादल फटने और लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण इस बार केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में भी यात्रियों की भीड़ सामान्य से काफी कम देखने को मिल रही है। जहां एक ओर इन धामों में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते थे, वहीं इस बार मौसम की मार और रास्ते की दिक्कतों के चलते प्रतिदिन केवल तीन से पांच हजार श्रद्धालु ही पहुंच पा रहे हैं। कई यात्री तो खराब मौसम और मार्ग अवरुद्ध होने की वजह से बीच रास्ते से ही अपनी यात्रा समाप्त करने को मजबूर हो रहे हैं। स्थानीय प्रशासन यात्रियों की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन प्रकृति के प्रकोप के आगे कई बार उनकी कोशिशें भी नाकाम साबित हो रही हैं।
बदरीनाथ मार्ग पर भूस्खलन का सिलसिला जारी-बदरीनाथ धाम की ओर जाने वाले मार्ग पर कमेड़ा और लामबगड़ जैसे स्थानों पर भूस्खलन एक बड़ी समस्या बना हुआ है। इन जगहों पर आए दिन बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी का मलबा सड़क पर गिर जाता है, जिससे रास्ता कई घंटों तक बंद रहता है। इसका सीधा असर चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा पर पड़ रहा है। यात्रियों को सड़क के किनारे घंटों इंतजार करना पड़ता है, जिससे समय और ऊर्जा दोनों की बर्बादी होती है। यह स्थिति न केवल यात्रियों के लिए बल्कि यात्रा प्रबंधन में लगे प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती पेश कर रही है।
सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर भी संकट के बादल-केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच का मार्ग भी भूस्खलन की चपेट में आ गया है। भारी बारिश और पहाड़ी दरकने की घटनाओं के कारण यह रास्ता अक्सर बंद हो जाता है। ऐसे में यात्रियों को लंबे जाम और यात्रा में रुकावटों का सामना करना पड़ता है। प्रशासन लगातार मशीनों की मदद से इस रास्ते को खोलने का प्रयास करता है, लेकिन खराब मौसम के आगे कई बार उनकी सारी मेहनत बेकार चली जाती है। यह स्थिति केदारनाथ यात्रा को सुचारू रूप से चलाने में एक बड़ी बाधा बन रही है।
चारधाम यात्रा का अब तक का लेखा-जोखा-पर्यटन विभाग के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस साल 30 अप्रैल को चारधाम यात्रा की शुरुआत होने के बाद से अब तक 42.54 लाख से अधिक तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं। इन सभी धामों में सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की भीड़ केदारनाथ धाम में देखी गई, जहां कुल 14.80 लाख यात्री पहुंचे। इसके बाद बदरीनाथ धाम में 12.78 लाख, गंगोत्री में 6.69 लाख और यमुनोत्री में 5.86 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। साथ ही, पवित्र हेमकुंड साहिब में भी अब तक 2.49 लाख श्रद्धालु अपनी हाजिरी लगा चुके हैं।
प्रमुख धामों में पहुंचे तीर्थयात्रियों की संख्या: * केदारनाथ: 14.80 लाख
* बदरीनाथ: 12.78 लाख
* गंगोत्री: 6.69 लाख
* यमुनोत्री: 5.86 लाख
* हेमकुंड साहिब: 2.49 लाख

