
10वीं बार मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार, बिहार की राजनीति के सबसे प्रभावशाली चेहरे का संपूर्ण प्रोफाइल
पटना। नीतीश कुमार ने गुरुवार को दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ बीजेपी के सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी मंत्री पद की शपथ ली. पिछली सरकार में ये दोनों उपमुख्यमंत्री थे. पटना के गांधी मैदान में हुए इस शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री मौजूद रहे.उनका राजनीतिक सफर न केवल अनुभव और परिपक्वता का प्रतीक है, बल्कि बिहार के सामाजिक और प्रशासनिक ढांचे में गहरे परिवर्तन का दास्तावेज़ भी है।
सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा के अलावा विजय कुमार चौधरी, मंगल पांडे, श्रवण कुमार और लेशी सिंह समेत 26 लोगों ने मंत्री पद की शपथ ली.
26 मंत्रियों में तीन महिलाएं और एक मुस्लिम विधायक हैं. महिला विधायकों में लेशी सिंह जनता दल (यूनाइटेड) की विधायक हैं. रमा निषाद और श्रेयसी सिंह बीजेपी की विधायक हैं.
एक मात्र मुस्लिम मंत्री मोहम्मद जमा ख़ान जनता दल यूनाइटेड के विधायक हैं. उन्होंने चैनपुर विधानसभा सीट से जीत हासिल की है.
नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर
1951 में पटना जिले के बख्तियारपुर में जन्मे नीतीश कुमार ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (अब NIT पटना) से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
पढ़ाई के बाद उनका रुझान राजनीति की ओर बढ़ा, और 1970 के दशक में वे लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ गए।
इस आंदोलन ने उनके भीतर सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक चेतना को मजबूत आधार दिया। 1985 में वे पहली बार सांसद बने और इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे।
नीतीश ने केंद्र में रेल मंत्री, कृषि मंत्री और Surface Transport मंत्री जैसी अहम जिम्मेदारियां संभालीं थी।
रेल मंत्रालय के कार्यकाल में उन्होंने यात्री सुविधाओं में सुधार और ट्रेन संचालन में नई पारदर्शिता लाने के लिए याद किया जाता है।
किंतु उनका सबसे बड़ा प्रभाव बिहार की राजनीति में दिखाई देता है। 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राज्य में कानून-व्यवस्था, सड़क, बिजली और शिक्षा को सुधारने का व्यापक अभियान चलाया। उनके फैसलों ने बिहार की छवि बदलने में अहम भूमिका निभाई।

