डिजिटल अरेस्ट गिरोह का एक आराेपी गिरफ्तार
राजधानी की बुजुर्ग महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 58 लाख रुपये की ठगी का मामला
रायपुर। छत्तीसगढ़ में साइबर पुलिस ने राजनांदगांव में उस शख्स तक जा पहुंची जिसके पास ठगी के 9.50 लाख रुपए भेजे गए थे। पूछताछ में खुलासा हुआ कि पकड़े गए शख्स का बेटा डिजिटल अरेस्ट के गिरोह में शामिल है, जो बीते कई वर्षों से शेयर ट्रेडिंग का काम सिखने के नाम पर दिल्ली में रह रहा है। पुलिस को यह भी पता चला है कि गिरोह में अलग-अलग राज्यों में लोग शामिल हैं।
राजधानी की रेंज साइबर पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट के जरिये पंडरी निवासी 58 वर्षीय महिला से ठगी करने वाले अधेड़ को गिरफ्तार कर लिया है। उससे महिला से वसूले गई रकम में से 9.50 लाख रुपए जप्त किये गए हैं।
मोवा निवासी एमवीएसएस लक्ष्मी ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अज्ञात मोबाइल नंबर धारकों ने खुद को क्राइम ब्रांच मुंबई पुलिस से होना बताकर लक्ष्मी के आधार कार्ड का दुरुपयोग से 311 बैंक अकाउंट खोलने की झूठी बात बताकर डराया और चौबीसों घंटे व्हाट्सएप वीडियो कॉल में जुड़े रहने बोलकर डिजिटल अरेस्ट कर 58 लाख रुपए की ठगी कर ली। रिपोर्ट पर पंडरी(मोवा) पुलिस ने धारा 318(4), 3(5) बीएनएस दर्ज कर रेंज साइबर पुलिस की मदद से पड़ताल कर रही थी।
साइबर पुलिस ने इस मामले की छानबीन करते हुए बैंक के जरिये पता लगाना शुरू किया कि रूपये किन-किन खातों में ट्रांसफर किये गए हैं। इन्ही में से एक खाता राजनांदगांव निवासी जसविंदर सिंह साहनी (58) का निकला, जिनके पास 9.50 लाख रुपए ट्रांसफर हुए थे। पुलिस ने जसविंदर को तत्काल पकड़ा और उसके द्वारा बैंक से निकाली गई पूरी रकम के अलावा बैंक खाता, चेक बुक और मोबाइल जप्त कर लिया। कर उसे गिरफ्तार कर लिया। जसविंदर ने बताया कि उसके बेटे हरनीत ने रूपये भेजे हैं। जसविंदर ने बताया कि उसका बेटा बीते 4 सैलून से दिल्ली में रहकट शेयर ट्रेडिंग का काम सीख रहा है।
साइबर पुलिस से चर्चा के दौरान इस बात का पता चला है कि डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी करने वाले इस गिरोह में हरनीत के अलावा पंजाब और आंध्र प्रदेश के लोग भी शामिल हैं। पुलिस फ़िलहाल हरनीत और अन्य लोगों की खोजबीन में जुटी हुई है। पुलिस का अनुमान है कि इस गिरोह में छत्तीसगढ़ के कुछ अन्य लोग भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस की टीमें अलग-अलग स्थानों पर भेजकर गिरोह के सदस्यों की धरपकड़ में लगा दिया गया है। जल्द ही कुछ और खुलासे की उम्मीद जताई जा रही है।
साइबर सेल के टीआई मनोज नायक ने बताया कि किसी भी साइबर फ्राड ठगी की रकम मंगाने के लिए बैंक अकाउंट का इस्तेमाल जरूर करते हैं। इनके द्वारा लोगों को धोखे में रखकर या फिर पैसे और किराये में बैंक खाते ले लिए जाते हैं और फिर उसमे रकम का लेनदेन किया जाता है। इस तरह के मामलो की शिकायत के बाद सबसे पहले खाताधारक ही पकड़ में आते हैं। ऐसे में लोगों को इस तरह अपना बैंक खाता इस्तेमाल के लिए देने से बचना चाहिए, साथ ही अगर उनके खातों में बड़ी रकम का ट्रांजेक्शन हो रहा है तो इसकी सुचना पुलिस को जरूर देनी चाहिए, अन्यथा ऐसे मामले में खिलाफ कार्रवाई तय है।
पुलिस ने की ये अपील
- बच्चों को हिरासत में लेने की कॉल आए तो पहले बच्चे या उसके साथियों को कॉल करके सुनिश्चित करें कि क्या मामला है? ऑनलाइन रुपये न दें।
- डिजिटल हिरासत की स्थिति बने तो ठगों की कॉल डिस्कनेक्ट कर तत्काल पुलिस को सूचना दें।
- मुकदमों में कार्रवाई और आरोपी को पकड़ने की बात कहकर रुपये मांगने की कॉल आए तो स्पष्ट मना कर दें।
- अनजान वीडियो कॉल न उठाएं। क्योंकि न्यूड वीडियो बनाकर ठगी के मामले बढ़े हैं, इनसे सावधान रहें।
- रात में सोते वक्त मोबाइल पर इंटरनेट बंद करना भी ठगी से बचाता है।
- किसी नए लिंक पर क्लिक न करें, आपकी निजी जानकारी ठगों को मिल सकती है।
- किसी को ओटीपी न बताएं, बैंक संबंधी डिटेल न दे