
CG NEWS: पेड़ों की कटाई का मुद्दा विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया
CG NEWS: पेड़ों की कटाई का मुद्दा विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया
रायपुर। विधानसभा में बुधवार को हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई का मुद्दा विपक्ष ने जोर-शोर से उठाया. विपक्ष ने स्थगन प्रस्ताव देकर चर्चा की मांग की. स्पीकर डॉ. रमन सिंह के स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य करने पर विपक्ष ने हंगामा मचाया. सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित होने के बाद फिर शुरू होते ही विपक्ष ने चर्चा की मांग दोहराते हुए गर्भगृह में उतरकर सरकार के खिलाफ नारे लगाए. गर्भगृह में उतरने पर विपक्षी सदस्य स्वमेव निलंबित हो गए.

सदन में विपक्ष के चर्चा की मांग दोहराए जाने पर संसदीय कार्यमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आसंदी की व्यवस्था आने के बाद भी विपक्ष की मांग उचित नहीं. सदन में चर्चा के पर्याप्त मौक़े मिलेंगे.
इसके पहले नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने सदन में कहा कि हसदेव क्षेत्र में सभी कोल ब्लॉक रद्द करने को लेकर इस सदन में ही संकल्प 26 जुलाई 2022 को पारित किया गया था. केंद्र सरकार को पत्र प्रेषित किया गया था. इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. सरकार बनने और मुख्यमंत्री बनने के पहले वन विभाग ने हसदेव में 15 हज़ार 307 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी. उन्होंने कहा कि विधानसभा ने अशासकीय संकल्प पारित कर दिया था, इसके बाद भी इस तरह का आदेश जारी करना दुखद है. ये गंभीर समस्या है. हसदेव ख़त्म होने से बांगो बांध ख़त्म हो जाएगा. वन खत्म हो जाएगा.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इसी सदन में सर्वसम्मति से अशासकीय संकल्प पारित किया गया था. इसके बाद भी कटाई की अनुमति दे दी गई. ये कौन सी अदृश्य शक्ति है, जिसमें पेड़ों की कटाई की अनुमति दे दी गई. इससे वन्यजीव प्रभावित होंगे. वहां के आदिवासी प्रभावित होंगे. बांगो बांध प्रभावित होने की वजह से कई जिलों की सिंचाई से प्रभावित होगा.
कांग्रेसी विधायक कुंवर निषाद और विक्रम मंडावी ने कहा कि जंगल ख़त्म होने से जीवन प्रभावित होगा. हसदेव में हाथी मानव द्वन्द चल रहा है. हसदेव क्षेत्र के आदिवासी अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं. आदिवासियों के जल, जंगल और ज़मीन पर खतरा मंडरा रहा है.
कांग्रेसी विधायक अनिला भेड़िया ने कहा कि उद्योगपतियों के लिए जंगल काटा जा रहा है. केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है. हसदेव को बचाने और आदिवासियों के संरक्षण के लिए काम करना चाहिए. अंबिका मरकाम ने कहा कि हमारे मुख्यमंत्री आदिवासी हैं. हसदेव में आदिवासियों का सबसे बड़ा नुक़सान हो रहा है. हम मानते हैं कि आदिवासी मुख्यमंत्री होने का लाभ मिलता.