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रायपुरा भवन विवाद: हाईकोर्ट के अंतिम आदेश तक सभी गतिविधियों पर रोक

नगर निगम रायपुर द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों का पालन किया जा रहा है- जोन 8 कमिश्नर

रायपुर – माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांक 11.06.2025 के निर्देशों का पालन नगर पालिक निगम रायपुर द्वारा किया जा रहा है, एवं अध्यक्ष  मोहम्मद आरिफ को प्रश्नाधीन भवन/स्थल पर किसी भी प्रकार की गतिविधि माननीय उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश पारित होने तक न किया जाये, जिस हेतु पत्र क्रं-133 दिनांक 20.06.2025 को सूचना प्रेषित किया गया है. इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए रायपुर नगर पालिक निगम की जोन 8 जोन कमिश्नर  राजेश्वरी पटेल ने बताया कि जोन क्रमांक-08 अंतर्गत वार्ड क्रं-70 संत रविदास वार्ड रायपुरा में फल थोक व्यापारी सोसायटी द्वारा अध्यक्ष  मोहम्मद आरिफ पिता अताउर रहमान ने भूखण्ड पर कार्यालय प्रयोजन हेतु दिनांक 27.10.2022 को विकास अनुज्ञा प्राप्त कर नगर निगम रायपुर से दिनांक 23.08.2021 एवं दिनांक 24.08.2021 को 137 भवन / कार्यालय प्रयोजन की अनुमति प्राप्त किया गया है।

फल थोक व्यापारी सोसायटी अध्यक्ष  मोहम्मद आरिफ पिता  अताउर रहमान को अनुमति के विरूद्ध निर्माण कार्य के संबंध में नियमानुसार नोटिस दिनांक 07.06.2023, 12.06.2023 एवं अंतिम नोटिस 23.01.2024 को प्रेषित किया गया था।
फल थोक व्यापारी सोसायटी अध्यक्ष द्वारा अनुमति प्राप्त 137 भवनों से अतिरिक्त बिना अनुमति निर्मित 06 भवनों का नियमितीकरण कराये जाने हेतु आवेदन दिनांक 10.08.2023 को प्रस्तुत किया गया था। जिसको जिला नियमितीकरण प्राधिकारी द्वारा दिनांक 28.02.2025 को पत्र जारी कर निरस्त कर दिया गया था, तथा उक्त भवनों को नगर निगम द्वारा तोड़ा गया है।
दिनांक 04.12.2024 को मोहम्मद आरिफ अध्यक्ष द्वारा 137 भवनों का राजीनामा कराये जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था। जिसको निरीक्षण एवं जांच करने उपरांत आयुक्त नगर पालिक निगम रायपुर द्वारा दिनांक 26.03.2025 को निरस्त कर दिनांक 16.05.2025 को आवेदक  मोहम्मद आरिफ को पत्र जारी कर सूचना दिया गया था। इस कार्यालय द्वारा जारी नोटिस दिनांक 16.05.2025 को मोहम्मद आरिफ अध्यक्ष द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में रिट याचिका दायर किया गया, जिस पर WPC No.-2839/2025 में दिनांक 11.06.2025 को आदेश पारित हुआ है। उक्त आदेश में “तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्देश दिया जाता है, अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की जायेगी। प्रतिवादियों के अधिवक्ता को तीन सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है”।

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