
रुपये में उछाल: डॉलर की कमज़ोरी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने दिया सहारा-गुरुवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 31 पैसे मज़बूत होकर 85.31 पर बंद हुआ। यह मज़बूती कई कारणों से हुई, जिनमें डॉलर का कमज़ोर होना और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट प्रमुख हैं।
डॉलर की कमज़ोरी और बॉन्ड यील्ड में गिरावट-अमेरिकी रोजगार के आंकड़े उम्मीद से कमज़ोर रहे, जिससे डॉलर कमज़ोर हुआ और रुपये को मज़बूती मिली। अमेरिका में बॉन्ड यील्ड में भी गिरावट आई, जिससे वैश्विक बाजारों में सकारात्मक संकेत मिले और रुपये को और सहारा मिला। यह सब मिलकर रुपये को ऊपर उठाने में मददगार साबित हुआ।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट-ब्रेंट क्रूड की कीमत में 1.01% की गिरावट आई, जिससे यह 68.41 डॉलर प्रति बैरल रह गया। कच्चे तेल के आयात पर भारत का भारी निर्भरता है, इसलिए इसकी कीमतों में गिरावट से रुपये पर दबाव कम हुआ और रुपये को मज़बूती मिली। यह भारत के लिए एक अच्छी खबर है।
रुपये में उतार-चढ़ाव और बाजार की स्थिति-दिन के दौरान रुपये में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। यह 85.19 तक मज़बूत हुआ और 85.70 तक कमज़ोर भी हुआ, लेकिन अंत में 85.31 पर बंद हुआ। घरेलू शेयर बाजार में गिरावट देखी गई, सेंसेक्स 170.22 अंक गिरकर 83,239.47 पर बंद हुआ और निफ्टी 48.10 अंक गिरकर 25,405.30 पर। विदेशी निवेशकों ने भी बुधवार को 1,561.62 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जिससे बाजार पर दबाव बना रहा।
भविष्य की संभावनाएँ-विशेषज्ञों का मानना है कि कमज़ोर डॉलर और गिरते कच्चे तेल की कीमतों से रुपया आने वाले दिनों में और मज़बूत हो सकता है। हालांकि, अमेरिका से जुड़े व्यापारिक शुल्क और घरेलू बाजार की कमज़ोरी से दबाव बन सकता है। अमेरिकी नॉन-फार्म पेरोल्स रिपोर्ट पर भी नज़र रखी जाएगी। रुपये की ट्रेडिंग रेंज 84.90 से 85.60 के बीच रहने की उम्मीद है।