
पंजाब में सियासी पारा: सुखबीर बादल की मजीठिया से जेल में मुलाकात और गरमाती सियासत-पंजाब की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है, और इस गर्माहट की वजह है शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल की पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से जेल में हुई मुलाकात। मजीठिया पिछले तीन महीनों से आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल में बंद हैं। इस मुलाकात के बाद, सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब सरकार और पटियाला के SSP वरुण शर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं, और चेतावनी दी है कि अगर अकाली दल की सरकार बनी, तो कार्रवाई ज़रूर होगी। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की गहराई।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मजीठिया की गिरफ्तारी: आरोपों का सिलसिला-जून 2025 में, विजिलेंस ने बिक्रम सिंह मजीठिया को अमृतसर में उनके घर से गिरफ्तार किया था। उन पर शेल कंपनियों और बेनामी लेन-देन के ज़रिए करोड़ों रुपये की संपत्ति बनाने और लगभग ₹540 करोड़ की ड्रग मनी को लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है। सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि यह मामला झूठा है और मजीठिया को बेवजह जेल में रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अकाली दल किसी भी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। यह मामला पंजाब की राजनीति में एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है।
अकाली नेताओं का हौसला और संघर्ष-सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि सरकारें झूठे केस बनाकर अकाली नेताओं का मनोबल गिराना चाहती हैं, लेकिन जितना दबाव डाला जाएगा, अकाली दल उतना ही मज़बूत होकर खड़ा होगा। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का उदाहरण दिया, जिन्होंने 16 साल जेल में बिताए, लेकिन कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। यह अकाली दल की असली ताकत है। यह दिखाता है कि अकाली दल अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने के लिए प्रतिबद्ध है।
परिवार से मुलाकात पर पाबंदियाँ-सुखबीर सिंह बादल ने बताया कि मजीठिया की पत्नी हरसिमरत कौर बादल और बेटी गनीव कौर को भी उनसे मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वकीलों को भी केवल दो बार और गनीव को एक बार मिलने की अनुमति मिली। हरसिमरत कौर को भी रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने की इजाज़त दी गई। इससे परिवार की परेशानियाँ और बढ़ गई हैं। यह दिखाता है कि कैसे राजनीतिक मामले परिवारों को भी प्रभावित करते हैं।
डेरा ब्यास प्रमुख की मुलाकात और दबाव की राजनीति-कुछ दिन पहले, डेरा ब्यास प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने भी जेल में मजीठिया से मुलाकात की थी। इस मुलाकात को भी राजनीतिक दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है। यह मामला अब हाईकोर्ट तक पहुँच चुका है, जहाँ अगली सुनवाई का सभी को इंतज़ार है। यह साफ है कि मजीठिया का केस सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि पंजाब की राजनीति को भी गहराई से प्रभावित कर रहा है। यह दिखाता है कि पंजाब की राजनीति में किस तरह से मामले जुड़े हुए हैं।
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