दिल्ली
Trending

मंदिर-मस्जिद से जुड़ा नया मामला स्वीकार नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट 

 प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सीजेआई ने केंद्र से 4 हफ्तों में मांगा जवाब

नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई होने तक कोई भी कोर्ट मंदिर-मस्जिद से जुड़ा नया मामला स्वीकार नहीं करेगा। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुरुवार को केंद्र सरकार से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र का जवाब आने तक हम इस मामले पर सुनवाई नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने सरकार से कहा कि आप जवाब दायर कीजिए और सभी पक्षकारों को उसकी कॉपी उपलब्ध कराइए। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब कोई नई याचिका स्वीकार नहीं की जाएगी।

ये खबर भी पढ़ें : Realme 14x 5G को इंडिया में मिलेगी धामाकेदार एंट्री, देखें क्या खास होगा नए फोन में

ये खबर भी पढ़ें : बीजापुर में नक्सलियों ने की भाजपा कार्यकर्ता की हत्या

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में राजनीतिक दल सीपीआईएम, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक जीतेंद्र आव्हाड, आरजेडी के सांसद मनोज कुमार झा, सांसद थोल तिरुमावलन के अलावा वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन कमेटी और मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का समर्थन किया है।

ये खबर भी पढ़ें : Gold Price Today : सर्राफा बाजार में तेजी , महंगा हुआ सोना-चांदी, जानें आज का ताजा रेट

इससे पहले 9 सितंबर, 2022 को कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने जमीयत उलेमा ए हिंद की कानून के समर्थन में दाखिल याचिका पर भी नोटिस जारी किया था। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देते हुए काशी नरेश विभूति नारायण सिंह की बेटी कुमारी कृष्ण प्रिया, वकील करुणेश कुमार शुक्ला, रिटायर्ड कर्नल अनिल कबोत्रा, मथुरा के धर्मगुरु देवकीनंदन ठाकुर, वकील रुद्र विक्रम सिंह और वाराणसी के स्वामी जितेंद्रानंद ने याचिकाएं दायर की हैं।

ये खबर भी पढ़ें : सुषमा के स्नेहिल सृजन – बेला जूही – Pratidin Rajdhani

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा अवैध तरीके से पौराणिक पूजा, तीर्थस्थलों पर कब्जा करने को कानूनी दर्जा देता है।

ये खबर भी पढ़ें : अभिनेता सनी देओल रामायण में हनुमान के किरदार में नजर आएंगे 

याचिका में कहा गया है कि हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने से रोकता है। याचिका में कहा गया है कि 15 अगस्त, 1947 की मनमानी कटऑफ तारीख तय कर अवैध निर्माण को वैधता दी गई।

ये खबर भी पढ़ें : किसी से नहीं चल रहा मलाइका का अफेयर, एक्ट्रेस के करीबी ने बताया

याचिका में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट की धारा 2, 3 और 4 असंवैधानिक है। ये धाराएं संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करती हैं। ये धाराएं धर्मनिरपेक्षता पर चोट पहुंचाती हैं, जो संविधान के प्रस्तावना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ये खबर भी पढ़ें : प्रदेश के पर्यटन को मिली नई पहचान : मधेश्वर पहाड़ को मिला शिवलिंग की विश्व की सबसे बड़ी प्राकृतिक प्रतिकृति शिवलिंग होने का गौरव

याचिका में कहा गया है कि सरकार को किसी समुदाय से लगाव या द्वेष नहीं रखना चाहिए, लेकिन उसने हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख को अपना हक मांगने से रोकने का कानून बनाया है।

ये खबर भी पढ़ें : इस शादी के सीज़न में लड़कियों के लिए मेकअप टिप्स – Pratidin Rajdhani

DIwali Offer

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में सभी योजनाओं से मिल रहा लाभ Food Item जो आपके रास्ते में जरूर होने चाहिए बॉलीवुड के अभिनेत्रियां जिन्होंने क्रिकेटर से को शादी भारत में 5 ऐसे जगह जहा कर सकते है हनीमुन का प्लान, वो भी सस्ते में