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Teachers Day Special: सच्ची कहानियों से बनी ये बॉलीवुड फिल्में जरूर देखें

 शिक्षकों की वो फिल्में जिन्होंने जगाई उम्मीद की मशाल-ज़िंदगी के सफर में हर किसी की ज़िंदगी में कोई न कोई ऐसा शिक्षक ज़रूर आता है, जो सिर्फ पढ़ाता नहीं, बल्कि जीने का सलीका सिखाता है। ये वो लोग होते हैं जो हमारे अंदर छिपी काबिलियत को पहचानते हैं और हमें वो राह दिखाते हैं, जिस पर चलकर हम अपनी मंज़िल पा सकते हैं। कई बार ये शिक्षक साधारण से दिखने वाले लोग होते हैं, लेकिन उनका असर हमारी ज़िंदगी पर बहुत गहरा होता है। बॉलीवुड ने भी समय-समय पर ऐसी कहानियों को पर्दे पर उतारा है, जिन्होंने हमें एक अच्छे शिक्षक के महत्व को समझाया है। ये फिल्में सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करतीं, बल्कि हमें प्रेरित भी करती हैं कि कैसे मुश्किलों से लड़कर, अपने जुनून को ज़िंदा रखकर हम दूसरों के जीवन में उजाला ला सकते हैं। आइए, जानते हैं ऐसी ही कुछ यादगार फिल्मों के बारे में।

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‘सुपर 30’: जब गणितज्ञ ने गरीब बच्चों के लिए खोला आईआईटी का दरवाज़ा-‘सुपर 30’ (2019) फिल्म की कहानी बिहार के एक ऐसे शिक्षक, आनंद कुमार, के इर्द-गिर्द घूमती है, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी का मकसद ही गरीब और ज़रूरतमंद बच्चों को अच्छी शिक्षा देना बना लिया था। सोचिए, ऐसे बच्चे जिनके पास ट्यूशन या महंगी किताबों का खर्च उठाने के पैसे नहीं हैं, उन्हें आईआईटी जैसी मुश्किल परीक्षा के लिए तैयार करना! आनंद कुमार ने यही किया। उन्होंने ‘सुपर 30’ नाम का एक प्रोग्राम शुरू किया, जिसमें वो 30 ऐसे होनहार छात्रों को चुनते थे, जो आर्थिक तंगी के कारण आगे नहीं बढ़ पाते थे। फिल्म दिखाती है कि कैसे आनंद कुमार सिर्फ गणित के शिक्षक नहीं थे, बल्कि वो इन बच्चों के लिए एक उम्मीद थे, एक सहारा थे। उन्होंने न सिर्फ उन्हें पढ़ाया, बल्कि उनका हौसला बढ़ाया, उन्हें यकीन दिलाया कि वे भी कुछ बड़ा कर सकते हैं। यह फिल्म हमें सिखाती है कि सच्ची शिक्षा वो है जो किसी की आर्थिक स्थिति देखकर नहीं दी जाती, बल्कि हर उस बच्चे तक पहुंचनी चाहिए जिसमें सीखने की लगन हो। यह कहानी बताती है कि जब कोई शिक्षक अपने छात्रों की क्षमता पर विश्वास करता है, तो वे छात्र क्या कुछ हासिल नहीं कर सकते। आप इस प्रेरणादायक फिल्म को JioHotstar पर देख सकते हैं।

 ‘हिचकी’: जब शिक्षक ने अपनी कमज़ोरी को बनाया ताक़त-‘हिचकी’ (2018) फिल्म की कहानी नैना माथुर (रानी मुखर्जी) नाम की एक ऐसी शिक्षिका की है, जो टॉरेट सिंड्रोम नाम की एक ऐसी बीमारी से पीड़ित है, जिसमें उसे अचानक से अनैच्छिक झटके आते हैं। इस वजह से उसे बार-बार नौकरी से निकाला जाता है, लेकिन वह हार नहीं मानती। आखिरकार, उसे एक ऐसे स्कूल में पढ़ाने का मौका मिलता है, जहाँ के बच्चे बेहद शरारती और बिगड़े हुए हैं, और कोई भी शिक्षक वहाँ टिक नहीं पाता। नैना इन बच्चों को सिर्फ पढ़ाती नहीं है, बल्कि उनके अंदर छिपी अच्छाई को बाहर लाती है। वह अपनी बीमारी को अपनी कमज़ोरी नहीं, बल्कि अपनी ताक़त बनाती है। फिल्म यह दिखाती है कि एक अच्छा शिक्षक वो होता है जो बच्चों की मुश्किलों को समझता है, उन्हें डांटता नहीं, बल्कि प्यार से समझाता है। नैना माथुर का किरदार हमें सिखाता है कि अगर हम अपने लक्ष्य पर अडिग रहें और मुश्किलों से घबराएं नहीं, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। यह फिल्म हमें यह भी बताती है कि शिक्षा का असली मतलब सिर्फ किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि बच्चों के अंदर आत्मविश्वास जगाना और उन्हें जीवन की हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार करना है। आप इस ज़बरदस्त फिल्म को Prime Video पर देख सकते हैं।

 ‘चॉक एन डस्टर’: शिक्षा के मंदिर में सम्मान की लड़ाई-‘चॉक एन डस्टर’ (2016) एक ऐसी फिल्म है जो सीधे हमारे दिल को छू जाती है, क्योंकि यह उन शिक्षकों की कहानी कहती है जो अपनी मेहनत और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें सिस्टम के हाथों नाइंसाफी का सामना करना पड़ता है। फिल्म में दो ऐसी शिक्षिकाएं हैं, जो सालों से बच्चों को अपना सब कुछ देती हैं, लेकिन जब वे अपनी बात रखने की कोशिश करती हैं, तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह फिल्म शिक्षा व्यवस्था की उन कड़वी सच्चाइयों को उजागर करती है, जहाँ कभी-कभी शिक्षकों के समर्पण को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। यह हमें याद दिलाती है कि शिक्षक सिर्फ एक नौकरी नहीं करते, बल्कि वे समाज की नींव को मजबूत करते हैं। वे बच्चों के भविष्य को गढ़ते हैं। जब ऐसे शिक्षकों के साथ अन्याय होता है, तो यह सिर्फ उनके साथ नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चिंता का विषय बन जाता है। फिल्म यह संदेश देती है कि हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनकी आवाज़ को अनसुना नहीं करना चाहिए। यह एक ऐसी फिल्म है जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि हम अपने गुरुओं के प्रति कितना संवेदनशील हैं। यह फिल्म Zee5 पर उपलब्ध है।

 ‘ब्लैक’: जब खामोशी ने सीखी बातें, शिक्षक ने बदली दुनिया-‘ब्लैक’ (2005) फिल्म की कहानी शायद ही कोई भूल पाए। यह एक ऐसी मूक-बधिर और अंधी बच्ची, मिशेल (रानी मुखर्जी), की कहानी है, जिसकी दुनिया पूरी तरह से खामोश और अंधकारमय है। ऐसे में, उसके जीवन में एक खास शिक्षक, देबराज सहाय (अमिताभ बच्चन), आते हैं। देबराज एक ऐसे शिक्षक हैं जो मिशेल की इस खामोशी को तोड़ना चाहते हैं, उसे दुनिया से जोड़ना चाहते हैं। वे जानते हैं कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन वे हार नहीं मानते। वे मिशेल को अक्षर सिखाते हैं, उसे दुनिया का अनुभव कराते हैं, और धीरे-धीरे उसकी ज़िंदगी में रंगों और आवाज़ों को भर देते हैं। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे एक शिक्षक का प्यार, धैर्य और विश्वास एक ऐसे बच्चे की ज़िंदगी बदल सकता है, जिसे दुनिया ने लगभग भुला दिया हो। यह फिल्म हमें सिखाती है कि शिक्षा का सबसे बड़ा रूप वो है जो किसी इंसान को उसकी अपनी सीमाओं से बाहर निकालता है और उसे जीने की एक नई वजह देता है। ‘ब्लैक’ हमें याद दिलाती है कि हर इंसान में सीखने की क्षमता होती है, बस ज़रूरत होती है एक ऐसे शिक्षक की जो उस क्षमता को पहचान सके। आप इस भावुक कर देने वाली फिल्म को Prime Video पर देख सकते हैं।

 ‘दो आँखें बारह हाथ’: जेल के कैदियों को इंसान बनाने वाला शिक्षक-‘दो आँखें बारह हाथ’ (1957) एक ऐसी क्लासिक फिल्म है जो हमें सिखाती है कि इंसान को बदलने की ताक़त सिर्फ स्कूल के शिक्षकों में ही नहीं, बल्कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकती है, खासकर जब बात सुधार की हो। फिल्म एक जेलर की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो खतरनाक अपराधियों को सज़ा काटने के लिए जेल में रखता है, लेकिन सिर्फ सज़ा देना ही उसका मकसद नहीं है। वह चाहता है कि ये कैदी सिर्फ सजायाफ्ता कैदी बनकर न रहें, बल्कि इंसान के तौर पर जी सकें। वह इन कैदियों को खेती करने का मौका देता है, उन्हें विश्वास दिलाता है कि वे भी समाज का हिस्सा बन सकते हैं। यह फिल्म दिखाती है कि कैसे प्यार, भरोसा और सही मार्गदर्शन से सबसे बुरे इंसान को भी सुधारा जा सकता है। जेलर का किरदार एक ऐसे शिक्षक की तरह काम करता है, जो कैदियों को सिर्फ उनके अतीत के लिए नहीं, बल्कि उनके भविष्य के लिए तैयार करता है। यह फिल्म हमें सिखाती है कि किसी भी इंसान को उसके गुनाहों के आधार पर हमेशा के लिए बुरा नहीं समझा जा सकता, हर किसी को एक मौका मिलना चाहिए। यह एक ऐसी कहानी है जो इंसानियत और सुधार की उम्मीद जगाती है। आप इस बेहतरीन फिल्म को YouTube पर देख सकते हैं।

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