Join us?

छत्तीसगढ़
Trending

न्याय के हित में सर्वस्व बलिदान करने की भावना जनजातीय समाज की विशेषता : केदार कश्यप 

धरती के आबा भगवान बिरसा मुंडा का जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायी - केदार कश्यप

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के वनमंत्री केदार कश्यप जनजाति गौरव दिवस के अवसर पर जगदलपुर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए। जगदलपुर के पीजी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मंत्री केदार कश्यप ने प्रदेशवासियों को जनजातीय गौरव दिवस बधाई दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ जनजातीय बहुल क्षेत्र वाला प्रदेश है। इसलिए इस क्षेत्र में इस समागम का आयोजन सर्वथा प्रासंगिक है।

केदार ने कहा कि न्याय के हित में सर्वस्व बलिदान करने की भावना, जनजातीय समाज की विशेषता रही है। स्वाधीनता संग्राम में, भिन्न-भिन्न विचारधाराओं और गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में, जनजातीय समुदायों द्वारा किए गए विद्रोहों की अनेक धाराएं भी शामिल हैं। झारखंड क्षेत्र के भगवान बिरसा मुंडा और सिद्धू-कान्हू, मध्य प्रदेश के टंट्या भील तथा भीमा नायक, आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीताराम राजू, नागालैंड की रानी मां गाइडिनलियु तथा ओडिशा के शहीद लक्ष्मण नायक जैसे अनेक वीरों और वीरांगनाओं ने जनजातीय गौरव को बढ़ाया है तथा देश के गौरव को भी बढ़ाया। छत्तीसगढ़ प्रदेश के क्रांतिकारी योद्धाओं में शहीद वीर नारायण सिंह, गैंदसिंह, गुण्डाधूर जैसे अनेक महान नायकों जैसे अनेक विभूतियां शामिल हैं।

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा हैै। इस समाज में अनेक महापुरूषों ने जन्म लिया जिन्होंने 1857 क्रांति के पहले ही अंग्रेजों के विरूद्ध संघर्ष की शुरूआत की। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों को बड़ा नुकसान जनजातीय क्षेत्रों में हुआ, अनेक मौकों पर उन्हें मजबूर होकर पीछे हटना पड़ा। कश्यप ने कहा कि अंग्रेजों ने जब बस्तर में रेल लाईन बिछाने का काम शुरू किया उसमें लकड़ी का उपयोग किया जाता था। जनजातीय समाज ने इसका विरोध किया और यह भाव जताया कि हमारा जंगल कोई नहीं काटेगा। सामाजिक एकजुटता के कारण बहुत कुछ संरक्षित रहा। उन्होंने कहा कि आज किए जा रहे आयोजन के माध्यम से इतिहास के पन्नों में दर्ज जनजातीय समाज के गौरव की गाथा हमारी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि बस्तर दशहरा सामाजिक समरसता का सबसे बड़ा प्रमाण है। इस समाज में 80 प्रतिशत परिवार संयुक्त परिवार है। मिलेट का उपयोग, जैविक खेती जैसी अनेक बातें जनजातीय समाज से शिक्षित समाज को सीखने की आवश्कता है।  बस्तर, सुकमा,बीजापुर,दंतेवाड़ा, नारायणपुर, कांकेर कोंडागांव सहित छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्रों की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने में, जनजातीय समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि कभी आदिवासी राजाओं के शासनकाल में समृद्धि से भरा यह क्षेत्र एक बार फिर आधुनिक विकास की गाथाएं लिखेगा।

आदिवासी का समाज जीवन हिंदू संस्कृति का जीवन दर्शन, आधार स्तंभ वनमंत्री ने कहा कि अधिकांश जनजातीय क्षेत्र वन एवं खनिज सम्पदा से समृद्ध रहे हैं। हमारे आदिवासी भाई बहन प्रकृति पर आधारित जीवन यापन करते हैं और सम्मानपूर्वक प्रकृति की रक्षा भी करते हैं। प्रकृति के उपासक हैं। दार्शनिक लोग भलीभांति समझते हैं कि वनवासियों का जीवन पद्धति प्रकृति से जुड़ा हुआ है इसलिए सनातन संस्कृति और हिंदू जीवन दर्शन का मूल आदिवासी संस्कृति से जुड़ा हुआ है।  ब्रिटिश शासन के दौरान प्राकृतिक संपदा को शोषण से बचाने के लिए जनजातीय समुदाय के लोगों ने भीषण संघर्ष किए थे। वन संपदा का संरक्षण काफी हद तक उनके बलिदान से ही संभव हो सका। आज के समय में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के दौर में आदिवासी समाज की जीवन शैली और वन संरक्षण के प्रति उनके दृढ़निश्चयसे सभी को शिक्षा लेने की जरूरत है। वनमंत्री केदार ने कहा कि जनजातीय समाज द्वारा मानव समुदाय, वनस्पतियों तथा जीव-जंतुओं को समान महत्व दिया जाता है। आदिवासी समाज में व्यक्ति के स्थान पर समूह को,प्रतिस्पर्धा की जगह सहयोग को और विशिष्टता की जगह समानता को अधिक महत्त्व दिया जाता है। स्त्री-पुरुष के बीच की समानता भी आदिवासी समाज की विशेषता है। जनजातीय समाज में जेंडर-रेशियो,सामान्य आबादी की तुलना में बेहतर है। जनजातीय समाज की ये विशेषताएं सभी देशवासियों के लिए अनुकरणीय हैं।

केदार कश्यप ने कहा कि प्रधान नरेंद्र मोदी  के नेतृत्व में व मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय  के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने जनजातीय समुदायों के विकास के लिए विशेष कदम उठाए हैं। समग्र राष्ट्रीय विकास और जनजातीय समुदाय का विकास एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इसलिए, ऐसे अनेक प्रयास किए जा रहे हैं जिनसे जनजातीय समुदायों की अस्मिता बनी रहे, उनमें आत्म-गौरव का भाव बढ़े और साथ ही वे आधुनिक विकास से लाभान्वित भी हों। समरसता के साथ जनजातीय विकास की यही मूल भावना सबके लिए लाभदायक है।

DIwali Offer

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button