मध्यप्रदेश

दुनिया को भारत से बहुत उम्मीदें , देश को विश्‍व भर में देनी हाेगी मानवता की दिशा : मोहन भागवत

भोपाल। स्‍वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि इसे व्यापक दृष्टिकोण से देखना होगा। मानवता को सही दिशा देने के लिए आवश्यक है कि हम अपने कार्य को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाएं। विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं करती बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज विश्‍व भारत की ओर देख रहा है। उसे भारत से बहुत उम्‍मीदे हैं, भारत को विश्‍व भर में मानवता की दिशा देनी होगी। संघ प्रमुख डॉ. भागवत मंगलवार को विद्या भारती के आयोजित पांच दिवसीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग 2025 के उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे।

मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्‍थ‍ित शारदा विहार आवासीय विद्यालय में आज आवासीय वर्ग का शुभारंभ करते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि विद्या भारती अपने विचारों के अनुरूप शिक्षा कार्य कर रही है। यह शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है बल्कि यह छात्रों के जीवन मूल्यों और संस्कारों का निर्माण भी करती है। हमारी शिक्षा का कार्य व्यापक है, जो केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं रह सकता अपितु इसका उद्देश्य समाज को नैतिक रूप से समृद्ध बनाना भी है। उन्होंने कहा कि समय के अनुसार परिवर्तन आवश्यक है, लेकिन इसमें निष्क्रिय होकर बैठना उचित नहीं होगा। मानव अपने मस्तिष्क के बल पर समाज में परिवर्तन लाता है और उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह परिवर्तन सकारात्मक हो।

संघ प्रमुख ने कहा है कि आज के समय में तकनीक समाज के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल रही है। हमें टेक्नोलॉजी के लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि आधुनिक विज्ञान और तकनीक में जो कुछ गलत है, उसे छोड़ना पड़ेगा और जो अच्छा है, उसे स्‍वीकार कर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विशेषता पर जोर देते हुए कहा कि हमें विविधता में एकता बनाए रखनी होगी। भारत की संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया है और इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। सब में मैं हूँ, मुझ में सब हैं, डॉ. भागवत ने भारतीय दर्शन के इस मूल विचार को रेखांकित किया कि प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह समाज का अभिन्न अंग है और समाज भी उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दृष्टिकोण से हमें अपने कार्यों को संचालित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमारी शक्ति और संसाधन केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समस्त समाज की उन्नति के लिए समर्पित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में कई विचारधाराएँ हैं और हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना है जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी का भी मत भिन्न हो सकता है, लेकिन कार्य की दिशा सही होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विमर्श का स्वरूप बदलना भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। हमें सकारात्मक सोच और रचनात्मक विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए काम करना चाहिए।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष दूसी रामकृष्ण राव ने प्रस्तावना रखते हुए कहा कि विद्या भारती के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण हमारा मुख्य लक्ष्य है, जिससे वे शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी बिंदुओं को सम्मानित करते हुए संगठन के लक्ष्यों में कुछ नई बातों को जोड़ने का भी प्रावधान किया गया है। इस कार्यक्रम में देश भर से अखिल भारतीय पदाधिकारी, क्षेत्रीय अधिकारी समेत सात सौ से अधिक कार्यकर्ता, पदाधिकारी उपस्थित हैं।

 

Join Us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
राशि बताए रास्ता, करियर बने सुनहरा सपना! 28 डे नो शुगर चैलेंज, हेल्दी लाइफस्टाइल गर्मी के लिए स्टाइलिश वन पीस ड्रेस डिजाइन हर सफर में दमदार साथ – होंडा शाइन 110