
नैनीताल में आने वाले सैलानियों को देना पड़ सकता है मसूरी की तर्ज पर ’ईको टैक्स’
नैनीताल। पर्वतीय पर्यटन नगरी नैनीताल आने वाले सैलानियों को अब अपने वाहनों के साथ आने पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है। अब तक केवल नगर के तल्लीताल की ओर से आने पर ही लेक ब्रिज चुंगी के नाम पर शुल्क लिया जाता था, लेकिन अब बारापत्थर की ओर से आने वाले सैलानियों से भी मसूरी की तर्ज पर ‘ईको टैक्स’ के नाम पर नयाँ शुल्क वसूला जा सकता है। गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही नैनीताल नगर पालिका ने अपने आर्थिक संकट से उबरने के लिए यह नया तरीका खोजा है। इस पर नगर पालिका विचार कर रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल नगर पालिका बोर्ड की गाड़ी में हुई बैठक में बारापत्थर में भी चुंगी स्थापित करने पर चर्चा हुई। प्रस्ताव के तहत यहां से टैक्स के रूप में लगभग 100 रुपये ‘ईको टैक्स’ वसूले जाने पर विचार किया जा रहा है। इस प्रस्ताव को अब विधिक राय के लिए भेजा जा रहा है। गौरतलब है कि अभी तक केवल तल्लीताल से प्रवेश करने वाले निजी वाहनों को टोल टैक्स देना पड़ता था, लेकिन अब नैनीताल आने वाले सभी निजी वाहनों को यह शुल्क देना पड़ सकता है। इस निर्णय से नगर पालिका की आय में वृद्धि होगी। होगा। वहीं, अब तक बारापत्थर के रास्ते नैनीताल में आने वाले सैलानी जो अतिरिक्त शुल्क से बच जाते थे, उन्हें भी लगभग रुपये100 का शुल्क देना अनिवार्य होगा।
उल्लेखनीय है कि पूर्व में नैनीताल नगर पालिका तल्लीताल और बारापत्थर में लेक ब्रिज चुंगी के नाम पर शुल्क वसूलती थी, लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बारापत्थर में लेक ब्रिज न होने की बात पर शुल्क लेने पर रोक लगा दी थी। इसके चलते नैनीताल नगर पालिका की आय का एक स्रोत बंद हो गया था। अब नगर पालिका इस शुल्क को ईको टैक्स के रूप में दोबारा शुरू करने पर विचार कर रही है।
नैनीताल नगर पालिका की ओर से संचालित तल्लीताल चुंगी से अभी रुपये100 लेक ब्रिज चुंगी टैक्स, रुपये10 झील संरक्षण हेतु यानी कुल रुपये110 लिए जा रहे हैं। इसमें से रुपये 10 झील विकास प्राधिकरण को दिए जाते हैं। पालिका बोर्ड की बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि झील विकास प्राधिकरण इस शुल्क में से नैनीताल नगर पालिका को किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं करा रहा है, इसलिए इस धनराशि को नैनीताल नगर पालिका स्वयं उपयोग करे।