
उत्तराखंड UKSSSC परीक्षा 2025: पूर्व सीएम हरीश रावत ने मानसून और आपदा के कारण स्थगन की मांग की
परीक्षा टलने की मांग: पूर्व सीएम हरीश रावत ने क्यों उठाई आवाज़?
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!मानसून और प्राकृतिक आपदाओं का असर-उत्तराखंड में आगामी 21 सितंबर को होने वाली स्नातक स्तरीय परीक्षा (पटवारी/लेखपाल आदि) को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने एक अहम सुझाव दिया है। उनका कहना है कि राज्य में जारी मानसून की भारी बारिश और हाल में हुई प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए, परीक्षा को कुछ समय के लिए स्थगित कर देना चाहिए। रावत ने बताया कि राज्य के कई हिस्सों में सड़कों और रास्तों के टूटने, घरों में पानी भरने जैसी घटनाओं ने युवाओं पर गहरा मानसिक और शारीरिक दबाव डाला है। इस वजह से, वे परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाएंगे। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) से आग्रह किया है कि परीक्षा को एक सप्ताह या दस दिन आगे बढ़ाया जाए, ताकि परीक्षार्थी बिना किसी परेशानी के, सुरक्षित और मानसिक रूप से शांत होकर परीक्षा दे सकें।
युवाओं की सुरक्षा और मानसिक स्थिति सबसे पहले-हरीश रावत ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस साल मानसून की विदाई सामान्य से देर से हो रही है और भारी बारिश ने कई इलाकों में तबाही मचाई है। उदाहरण के तौर पर, नंदनगर घाट क्षेत्र में हुई भारी तबाही के कारण कई रास्ते और सड़कें बह गई हैं, जिससे लोगों के खेत और घर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। बिजली की कटौती और अन्य परेशानियाँ भी युवाओं की पढ़ाई और तैयारी पर असर डाल रही हैं। ऐसे असाधारण हालातों में, परीक्षा को स्थगित करना बच्चों के भविष्य के लिए एक समझदारी भरा कदम होगा। पूर्व सीएम का मानना है कि केवल प्रशासनिक सुविधा के लिए परीक्षा आयोजित करना सही नहीं है, बल्कि छात्रों की सुरक्षा और उनकी मानसिक स्थिति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
समाधान और आयोग से अपील-पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आयोग की तैयारियों की सराहना करते हुए कहा कि यह परीक्षा सामान्य नहीं है, बल्कि इसके आयोजन के लिए विशेष प्रबंधन की आवश्यकता है। उन्होंने आयोग और सरकार से अपील की है कि वे बच्चों के भविष्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परीक्षा स्थगित करने का निर्णय लें। उनका सुझाव है कि परीक्षा मानसून के थमने और प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति सामान्य होने के बाद ही आयोजित की जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी परीक्षार्थी को यात्रा या अन्य किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े और वे पूरी तरह से ध्यान केंद्रित करके अपनी परीक्षा दे सकें।

