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नई दिल्ली। आपने कभी सोचा है कि महिलाओं की जीन्स की पॉकेट पुरुषों की जीन्स की पॉकेट से इतनी छोटी क्यों होती हैं? यह सवाल अक्सर हमारे मन में उठता है। आखिर क्यों महिलाओं को अपने साथ बड़े पर्स या बैग ले जाने पड़ते हैं जबकि पुरुषों की जेब में सब कुछ समा जाता है ? आइए इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए थोड़ा इतिहास और फैशन के ट्रेंड्स पर नजर डालते हैं।
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इतिहास का रोल
मजदूर वर्ग और जींस- जींस का जन्म अमेरिका में मजदूर वर्ग के लिए हुआ था। तब महिलाएं ज्यादातर घर के काम करती थीं और पुरुष खेतों और कारखानों में काम करते थे। पुरुषों को अपने औजार और अन्य सामान रखने के लिए बड़ी जेबों की जरूरत होती थी, इसलिए उनकी जींस में गहरी जेबें बनाई गईं।
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महिलाओं का फैशन- धीरे-धीरे जींस महिलाओं के फैशन का हिस्सा बन गईं, लेकिन शुरुआत में महिलाओं के लिए जींस का डिजाइन पुरुषों के डिजाइन जैसा ही था। हालांकि, समय के साथ महिलाओं के लिए जींस को और अधिक स्टाइलिश और फिटिंग बनाया गया।
पॉकेट का उद्देश्य- पुरुषों की जेबों का मुख्य उद्देश्य सामान रखना होता था, जबकि महिलाओं की जेबों का उद्देश्य अधिकतर सजावट होता था।
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फैशन का प्रभाव
शरीर की बनावट- महिलाओं की शरीर की बनावट पुरुषों से अलग होती है। गहरी जेबें महिलाओं के शरीर को असंतुलित दिखा सकती हैं और उनके निचले हिस्से को फुला हुआ दिखा सकती हैं।
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फैशन ट्रेंड- फैशन के बदलते ट्रेंड्स ने भी महिलाओं की जीन्स की जेबों के आकार को प्रभावित किया है। स्किनी जींस और टाइट फिटिंग जींस के आने के साथ ही जेबों का आकार भी छोटा होता गया।
फैशन – फैशन की दृष्टि से ऐसा मानाा जाता था कि महिलाओं की जींस में बड़ी जेबें अच्छी नहीं लगती। इसलिए महिलाओं को ज्यादा फेमिनिन और आकर्षक दिखाने के लिए छोटी और सजावटी जेबें बनाई जाने लगीं।
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मार्केटिंग का प्रभाव
पर्स और बैग्स- बड़े और खूबसूरत बैग्स को महिलाओं के फैशन का हिस्सा बनाने के लिए जींस की जेबें छोटी बनाई जाने लगीं।
मार्केटिंग तकनीक- छोटी जेबों के कारण महिलाओं को अपने साथ हमेशा पर्स या बैग कैरी करना पड़ता है। इसके कारण सिर्फ जींस ही नहीं, बल्कि महिलाओं के ज्यादातर कपड़ों में या तो जेब होती ही नहीं है या बेहद छोटी होती हैं।
हालांकि, अब बाजार में कई जींस महिलाओं के लिए भी मिलने लगी हैं, जिनमें डीप पॉकेट्स हैं। अब कई ड्रेशेज में भी पॉकेट्स बनाई जाने लगी हैं।
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