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सड़क दुर्घटना में एक पैर गंवा चुके नंदकुमार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर मिला कृत्रिम पैर

जशपुरनगर। सड़क दुर्घटना में अपना एक पैर गंवा चुके नंदकुमार के लिए एक नई उम्मीद की किरण तब आई जब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर उन्हें कृत्रिम पैर उपलब्ध कराया गया। इस मदद से नंदकुमार की जिंदगी में फिर से एक नई शुरुआत हुई और उनके चेहरे पर मुस्कान लौट आई है।

बगिया कैंप कार्यालय बगिया में नंदकुमार ने लगाई थी मदद की गुहार

एक पैर गंवा चुके नंदकुमार जो दुर्घटना के बाद जीवन में कई परेशानियों से जूझ रहे थे, मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय बगिया में जाकर अपनी समस्या का आवेदन दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से कृत्रिम पैर की मांग करते हुए अपनी स्थिति को साझा किया। उनकी इस गुहार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने तुरंत संज्ञान में लिया और अधिकारियों को निर्देश दिया कि नंदकुमार को जल्द से जल्द कृत्रिम पैर उपलब्ध कराया जाए।इसके बाद इन्हें रायपुर भेज कर इन्हें कृत्रिम पैर दिलाया गया।अब वह फिर से बिना परेशानी से अच्छे से चल फिर रहा है,और बहुत खुश है,उन्होंने सीएम साय का आभार जताते हुए धन्यवाद ज्ञापन सौंपा है।

 

नंदकुमार के चेहरे पर फिर से लौटी मुस्कान

मुख्यमंत्री की इस पहल के बाद जिले के फरसाबहार तहसील क्षेत्र के केरसई निवासी नंदकुमार को कृत्रिम पैर प्रदान किया गया, जिसके बाद उनके चेहरे पर एक नई मुस्कान देखने को मिली। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह कृत्रिम पैर उनके लिए एक नई जिंदगी जैसा है। अब वे सामान्य जीवन की तरफ वापसी कर सकते हैं और एक बार फिर से अपने पैरों पर खड़े होकर जीवन की चुनौतियों का सामना करने को तैयार हैं।

बगिया कैंप कार्यालय: जरूरतमंदों के लिए आशा का केंद्र

मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय बगिया, जो इस तरह की जनसहायक पहलों के लिए जाना जाता है, अब लोगों के बीच आशा का केंद्र बन चुका है। यहां न केवल नंदकुमार जैसे व्यक्तियों को मदद मिल रही है, बल्कि अन्य जरूरतमंद लोग भी अपनी समस्याओं को लेकर यहां आकर सहायता प्राप्त कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस पहल की व्यापक स्तर पर सराहना हो रही है, क्योंकि यह साबित करता है कि राज्य सरकार समाज के कमजोर और जरूरतमंद तबके की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है। बगिया कैंप कार्यालय अब उन लोगों के लिए एक प्रतीक बन गया है जो जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहे हैं और किसी प्रकार की सहायता की उम्मीद कर रहे हैं।इस प्रकार, नंदकुमार की यह कहानी एक उदाहरण बन गई है कि कैसे सरकार और समाज के सहयोग से जीवन में नई उम्मीदें और खुशियाँ लौट सकती हैं।

 

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