“सुनहरे पंख” बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ..और “बोलती कठपुतलीयां” नवाचार पंखो से शिक्षिका कामिनी साहू राज्यपाल पुरस्कार के लिए चयनित
रायपुर । पीएम श्री पूर्व बुनियादी प्रा. शाला शंकर नगर, खंम्हारडीह की शिक्षिका कामिनी साहू को नवाचारी शिक्षिका के नाम से मशहूर है। बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए उन्होंने समय–समय पर विभिन्न नवाचार किए। स्कूल में लगातार कम हो रही बालिकाओं की संख्या को देखे उन्होंने 2019-20 में “सुनहरे पंख” नाम से मुहिम छेड़ी। इस अभियान के माध्यम बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ और बच्चों में आत्मरक्षा का भी गुर बताती है। शिक्षा आधार स्तंभ है।
कामिनी उन परिवारों के बीच जाते थे जो अपनी बच्चियों को स्कूल में दाखिला दिलवा देते हैं, लेकिन छोटी सी उम्र में घर की जिम्मेदारी देकर शिक्षा से वंचित कर देते हैं। परिवारों का काउंसलिंग कर उन्होंने बच्चियों काे प्रवेश दिलाया। 2017 में सिर्फ 75 बालिकाएं पढ़ती थी, जो आज 120 से अधिक है। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना काल के समय “बोलती कटपुतियां” के माध्यम से बच्चों को पाठ्यक्रम के साथ मौलिक जानकारी दी। इसमें “ददा जी “” कठपुतली के द्वारा कई नाटकीय रूपातंरतण करते हुए उन्होंने भषा कौशल को बढ़ाने पर जोर दिया। वर्ड कोंडिंग के माध्यम से कोड करते हुए बच्चों के गणितिय और भाषाा कौशल को सुधारने का प्रयास किया। कोविड के पाठ्यक्रम को कार्टून एनिमेशन में बदलकर बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषा में बताया।बच्चों को कठपुतलियों के माध्यम से भी शिक्षा को बेहतर तरीके से और साथ ही समर कैंप में बच्चों को कई हस्तकला से जोड़ा जिससे बच्चों को नई शिक्षा नीति के तथा व्यावसायिक शिक्षा दिया l बच्चों काे कई नये नवाचाओ और काई फाउंडेशन से मिलकर अच्छा काम कर रही है..साथ ही सामाजिक कार्य हेतु भी तत्पर रहती हैl
एनआइटी से बीटेक करने बाद बनी शिक्षिका, नवाचार के साथ ब्यूटी स्पर्धा में जीते पुरस्कार :
पंडरी निवासी शिक्षिका शिक्षिका कामिनी का जन्म 13 नवंबर 84 में हुआ। पिताजी डॉक्टर और माता जी एक स्कूल में प्रधान पाठक हैं। तीन बहनें हैं जिनमें एक बहन डॉक्टर मेकाहारा में और एक बहन कवर्धा में शिक्षक है।
कामिनी एनआइटी रायपुर से बायोमेडिकल बीटेक करने के बाद एमएससी और बीएड की शिक्षा प्राप्त की। 2005 में शिक्षिका के रूप में पहली पोस्टिंग उनकी रायपुर में हुई। इंटरव्यू मैरिट के आधार से चयनित हुआ था l इसके बाद 2017 से शंकर नगर स्कूल में बच्चों को नवाचार करते हुए गणित पढ़ा रही है। अपने अनोखे अध्यापन कला के लिए पढ़ाई तुंहर द्वार और मुख्यमंत्री गौरव अलंकर अवार्ड 2020 से सम्मानित हो चुकी है। नवाचार के लिए उन्हें जिज्ञासा फाउंडेशन की ओर से स्कालर शिक्षक पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये की राशि मिली। इसी के साथ वे कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है। इसके साथ वे ब्यूटी स्पर्धा में राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता जीत चुकी है।साथ ही छत्तीसगढ़ रत्न 2020 सम्मान से भी सम्मानित हो चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षण उत्कृष्ट पुरस्कार 2020 से भी सम्मानित हो चुकी हैl वहीं अब कामिनी काे राज्यपाल पुरस्कार 2024-2025 के लिए चयनित किया गया है।
शिक्षिका कामिनी साहू एक बहुमुखी प्रतिभा की धनी शिक्षिका है! बच्चे अपनी शिक्षिका कामिनी साहू के साथ शिक्षा हंसते हुए खेलते –खेलते लेते हैं और बड़ी प्रसन्नता के साथ पढ़ते हैं! बच्चे उनकी मुस्कान अपनी आंखों में एक सुरक्षित वातावरण और खुशनुमा महौल महसूस करते हैंl शिक्षिका का कहना है कि रायपुर शहर धरसीवा से सबसे पहला पीएम श्री स्कूल चयनित होने पर भी वह गर्व महसूस करती है। बच्चों के साथ शिक्षकों ने खेल–खेल में आदर्श गणित संक्रियाओं को समझने हेतु गणित कौशल हेतु उत्कृष्ट खेल और साथ में बच्चों को अनुभवात्मक कौशल को सिखाया। शिक्षिका का कहना है कि बच्चों को स्वयं से सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है, चुनौतियाँ दी जाती हैं और नई शिक्षा नीति में सारे कौशल को लेकर, जैसे की आलोचनात्मक सोच, सहयोग, करुणा और भी काई कौशलों पर विकास करते हुए बच्चों के साथ काम करती हैंl