
रायपुर। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 2 मार्च 2025 को अपने राज्य इकाई कार्यालय, रायपुर में भव्यता से अपना 175वां स्थापना दिवस मनाया। यह प्रतिष्ठित संगठन, जो 1851 में स्थापित हुआ था, भारत के खनिज संसाधनों के अन्वेषण और भूवैज्ञानिक अनुसंधान का आधार स्तंभ रहा है।

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संस्था ने अपने गौरवशाली इतिहास को संजोते हुए स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत वाकाथॉन से की, जिसमें भूविज्ञान के महत्व को दर्शाने का प्रयास किया गया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसमें जीएसआई, रायपुर के उप महानिदेशक अमित धारवाडकर ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में भू-विज्ञान और खनिज संसाधनों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध खनिज संपदा भारत की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
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यह भव्य आयोजन न केवल जीएसआई के गौरवशाली अतीत का उत्सव था, बल्कि यह भविष्य की संभावनाओं का भी संकेतक था। भारत के खनिज संसाधनों की सतत खोज और भू-विज्ञान के क्षेत्र में नवीन तकनीकों का समावेश, देश के औद्योगिक और आर्थिक विकास में नई ऊर्जा प्रदान करेगा। इस समारोह ने जीएसआई की निरंतर प्रगति और नवाचार की प्रतिबद्धता को एक बार फिर स्थापित किया।
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खनिज अन्वेषण में जीएसआई की भूमिका
छत्तीसगढ़ राज्य कोयला, लौह अयस्क, टिन अयस्क, बॉक्साइट और चूना पत्थर जैसे खनिज संसाधनों के विशाल भंडार के लिए जाना जाता है। जीएसआई ने 2015 के खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम के तहत 29 खनिज ब्लॉकों की पहचान की, जिसमें बॉक्साइट, ग्रेफाइट, फॉस्फोराइट और सोना शामिल थे। वहीं, 2021 में संशोधित अधिनियम के तहत 30 संभावित खनिज ब्लॉकों की खोज की गई, जिनमें लिथियम और ग्रेफाइट प्रमुख हैं।
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भारत की पहली लिथियम खदान की नीलामी कटघोरा, कोरबा में सफलतापूर्वक की गई, जो स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके अतिरिक्त, उर्वरक खनिजों जैसे ग्लूकोनाइट और फॉस्फोराइट की खोज भारत की आत्मनिर्भरता में सहायक सिद्ध होगी।
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ज्ञान और नवाचार का केंद्र
175वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय प्रदशर्नी का आयोजन किया गया, जिसमें जीएसआई के ऐतिहासिक योगदान, भूवैज्ञानिक मानचित्रों, अयस्क खनिजों और जीवाश्मों को प्रदर्शित किया गया। इस दौरान डॉ. अशोकादित्य पी. धुरंधर और डॉ. नीरज विश्वकर्मा ने अत्यंत रोचक व्याख्यान दिए, जिसमें खनिज अनुसंधान की नवीनतम उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
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इस आयोजन में 200 से अधिक छात्र एवं शोधकर्ता शामिल हुए, जिनमें शासकीय दिग्विजय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कार स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर और पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के भूविज्ञान के छात्र सम्मिलित थे। कार्यक्रम के दौरान 3डी मॉडल डिस्प्ले और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें विजेता टीम को सम्मानित किया गया।
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