
हरीश रावत का चौंकाने वाला फैसला: 2027 के चुनाव से किनारा!- उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाल ही में एक बड़ा ऐलान किया है जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा है कि वो 2027 के विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। इस फैसले से कांग्रेस और उनके समर्थकों में उत्सुकता और चर्चा का माहौल है।

रणनीति या निजी फैसला?- रावत जी ने स्पष्ट किया है कि अब उनका ध्यान चुनाव लड़ने से ज्यादा पार्टी के लिए काम करने पर है। वो कांग्रेस के चुनाव प्रचार और समन्वय में अहम भूमिका निभाएंगे। क्या ये एक रणनीतिक कदम है या उनका निजी फैसला? विभिन्न राजनीतिक विश्लेषक इस पर अलग-अलग राय रखते हैं। कुछ इसे पार्टी के लिए फायदेमंद मानते हैं तो कुछ इसे रावत जी के राजनीतिक भविष्य के लिए चुनौती के रूप में देखते हैं। ज़ाहिर है, समय ही बताएगा कि ये फैसला कितना कारगर साबित होता है।
कांग्रेस की नई रणनीति और मजबूत संगठन- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने रावत जी के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि रावत जी के अनुभव और नेतृत्व से कांग्रेस को 2027 के चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी। हाल ही में हुई AICC की बैठक में जिला अध्यक्षों को अधिकार दिए जाने से पार्टी के भीतर लोकतंत्र को मजबूत करने का संकेत मिलता है। इससे पार्टी के जमीनी स्तर पर मज़बूत होकर उभरने की उम्मीद है।
रावत जी का नया मिशन: जनता को जोड़ना- रावत जी ने कहा है कि वो कांग्रेस की जीत के लिए हर संभव कोशिश करेंगे। वो बीजेपी की ‘तोड़ने की राजनीति’ के खिलाफ जनता को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाएंगे। उनका मानना है कि व्यक्तिगत लड़ाई से ज़्यादा संगठन के लिए काम करने से कांग्रेस को सफलता मिलती है। इस बार भी वो इसी रणनीति पर काम करेंगे और पार्टी के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएंगे।
एक नए अध्याय की शुरुआत- हरीश रावत जी का ये फैसला उत्तराखंड की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी नई रणनीति कांग्रेस को कितनी सफलता दिलाती है। क्या रावत जी का यह कदम कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने में सहायक होगा? सिर्फ़ समय ही इस सवाल का जवाब दे सकता है।