विशेष

Holi 2025: एमपी के इस गांव में नहीं खेली जाती होली, वजह जान हो जाएंगे हैरान!

नई द‍िल्‍ली। होली का नाम सुनते ही रंग, गुज‍िया, तरह-तरह के पकवान का ख्‍याल ही दि‍माग में आता है। इन द‍िनाें होली की तैयार‍ियां जोरों से चल रही हैं। बाजार भी सज गए हैं। हर तरफ रंग-गुलाल, प‍िचकारी और होली पर पहने जाने वाले पर‍िधान ही नजर आ रहे हैं। इस बार 14 फरवरी को होली मनाई जाएगी।

ये खबर भी पढ़ें : छत्तीसगढ़ में वित्तीय क्रांति! सालाना 50 करोड़ की बचत से बढ़ेगी विकास की रफ्तार

आपको बता दें क‍ि होली का त्योहार खुशियों का प्रतीक माना जाता है। क्या आपने कभी सोचा है क‍ि कोई ऐसी जगह भी हो सकती है जहां होली नहीं खेली जाती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में स्थित चोली गांव की। यहां होली बाकी जगहों से बिल्कुल अलग होती है।

ये खबर भी पढ़ें : CG Big Breaking : बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं की बड़ी छलांग, 19 स्वास्थ्य केंद्र हुए सर्टिफाइड

सद‍ियों से चली आ रही परंपरा

यहां होली पर रंग न खेलने की परंपरा है। ये परंपरा सदियों से चली आ रही एक खास रीति-रिवाज से जुड़ी है, जिसके चलते यहां होली का उत्सव नहीं मनाया जाता है। गौरतलब हाे क‍ि चोली गांव को देवगढ़ के नाम से भी जाना जाता है, जो विंध्याचल पर्वत की तलहटी में बसा है।

ये खबर भी पढ़ें : CG News : रायपुर में हाेने वाले दाे दिवसीय राहगीर दिवस स्थगित

ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर है ये जगह

यह क्षेत्र अपने प्राचीन सिद्ध मंदिरों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए मशहूर है। गांव के बुजुर्गों ने होली पर रंग न खेलने की परंपरा शुरू की थी। यहां होली पर कोई भी व्यक्ति रंगों में नहीं डूबता। पूरे गांव में शांति बनी रहती है। लोग किसी तरह के उत्सव में शामिल नहीं होते हैं।

ये खबर भी पढ़ें : Live: रायपुर के नवनिर्वाचित महापौर एवं पार्षदगणों का शपथ ग्रहण समारोह

अगले द‍िन खेली जाती होली

हालांकि, अगले दिन पूरे उल्लास के साथ होली खेली जाती है और लोग एक दूसरे को जमकर रंग लगाते हैं। चोली गांव के ग्रामीणों के अनुसार, होली सिर्फ खुशियां मनाने का पर्व नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के साथ खड़े होने का अवसर भी है जिन्होंने अपने परिवार में किसी प्रियजन को खो दिया है।

ये खबर भी पढ़ें : CG Breaking News: जय श्री राम का नारा  के साथ महापौर मिनल चौबे समेत सभी नवनिर्वाचित पार्षदों ने ली शपथ

यहीं कारण है क‍ि होली के द‍िन गांव के लोग पहले उन परिवारों के घर जाते हैं, जहां किसी की मृत्यु हो गई हो। उन्हें गुलाल लगाकर सांत्वना देते हैं और उनके दुख में सहभागी बनते हैं। यह परंपरा समाज में आपसी भाईचारे और सहानुभूति को मजबूत करती है।

ये खबर भी पढ़ें : डब्ल्यूपीएल 2025: मुंबई इंडियंस की धमाकेदार जीत, यूपी वॉरियर्स को 8 विकेट से हराया

इस परंपरा के जरिए ग्रामीण यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी परिवार त्योहार की खुशी से वंचित न रह पाए। उनके जीवन में फिर से सकारात्मकता लौट सके। जब ये परिवार सांत्वना पाकर अपने दुख से उबर जाते हैं, तो अगले दिन पूरे गांव में धूमधाम से होली खेली जाती है।

ये खबर भी पढ़ें : डब्ल्यूपीएल 2025: मुंबई इंडियंस की धमाकेदार जीत, यूपी वॉरियर्स को 8 विकेट से हराया

क्‍या है होली का इत‍िहास

खुशियों के इस त्योहार का संबंध भगवान श्री कृष्ण और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद से जुड़ा हुआ है। होली पर्व के दिन देशभर में गुलाल और अबीर से रंगो की होली खेली जाती है और रंगोत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंगो के इस पवित्र त्योहार को वसंत ऋतू का संदेशवाहक भी माना जाता है।

ये खबर भी पढ़ें : मोटापे से हैं परेशान? जानें वजन कम करने के Secrete

Join Us

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
राशि बताए रास्ता, करियर बने सुनहरा सपना! 28 डे नो शुगर चैलेंज, हेल्दी लाइफस्टाइल गर्मी के लिए स्टाइलिश वन पीस ड्रेस डिजाइन हर सफर में दमदार साथ – होंडा शाइन 110