नई दिल्ली। बैंक और गोल्ड लोन देने वाली कंपनियां अब ग्राहकों से मूलधन और ब्याज को किस्तों के रूप में भुगतान करने को कह सकती हैं। दरअसल, हाल में भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने बैंकों और ऐसी कंपनियों को सोने के एवज में दिए जाने वाले कर्ज में कई खामियां मिलने पर चेताया था। उसी के बाद अब यह नया विकल्प शुरू हो सकता है।
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सूत्रों के मुताबिक, नए नियमों के तहत विनियमित संस्थाएं ग्राहकों को सोने के एवज में दिए जाने वाले कर्ज के समय ही मासिक किस्तों में ब्याज और मूलधन का भुगतान शुरू करने के लिए कह सकती हैं। यह एक तरह से टर्म लोन के तर्ज पर हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, आरबीआई चाहता है कि ऋणदाता ग्राहकों की भुगतान क्षमता की जांच करें और केवल गारंटी पर ही निर्भर न रहें।
आरबीआई लोन का आंशिक भुगतान कर फिर से नए कर्ज देने वाली प्रथा से भी खुश नहीं है। ऐसे में अब आरबीआई की कार्रवाई से बचने के लिए मासिक भुगतान का विकल्प अच्छा हो सकता है। 30 सितंबर को आरबीआई ने सर्कुलर में कहा था कि सोने के गहनों के बदले कर्ज देने में बहुत ज्यादा अनियमितताएं पाई जा रही हैं।
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गलत तरीके से हो रहा मूल्यांकन
आरबीआई को सोने के बदले कर्ज देने वाले संस्थानों के कामकाज में अनियमितताएं मिलीं थीं। उनसे नीतियों एवं पोर्टफोलियो की समीक्षा करने को कहा गया था।
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कर्जों के स्रोत और मूल्यांकन के लिए तीसरे पक्ष के उपयोग में कमियां मिलीं थीं। ग्राहक की गैर-मौजूदगी में सोने का मूल्यांकन हो रहा था। आभूषणों की नीलामी में पारदर्शिता नहीं थी।
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सोने के एवज में कर्ज 10 लाख करोड़
रेटिंग एजेंसी इक्रा का मानना है कि आरबीआई के उठाए गए कदमों के बावजूद स्वर्ण ऋण में अच्छी वृद्धि हुई है। मार्च, 2025 तक संगठित कर्जदाताओं का पोर्टफोलियो 10 लाख करोड़ रुपये तक होने का अनुमान है। 30 सितंबर तक बैंकों के जूलरी लोन में 51 फीसदी की वृद्धि हुई है जो 1.4 लाख करोड़ रुपये रहा है।
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