
रुपये में गिरावट: क्या है वजह और आगे क्या होगा?-भारतीय रुपया पिछले कुछ दिनों से लगातार कमजोर हो रहा है, जिससे चिंता बढ़ रही है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजहें और आगे क्या हो सकता है।
तेल के दामों का असर-कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें रुपये के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं। तेल आयात पर भारत की निर्भरता के कारण, ऊंचे दाम चालू खाता घाटे को बढ़ाते हैं और रुपये पर दबाव डालते हैं। इससे आयात महँगा होता है और मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
डॉलर की मजबूती-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर की मजबूती भी रुपये की कमजोरी का एक प्रमुख कारण है। जब डॉलर मजबूत होता है, तो अन्य मुद्राएँ, जिसमें रुपया भी शामिल है, कमजोर हो जाती हैं। यह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य से जुड़ा हुआ है।
घरेलू बाजार का माहौल-भारतीय शेयर बाजार में गिरावट और निवेशकों की नकारात्मक धारणा भी रुपये पर असर डालती है। मिडिल ईस्ट में जारी तनाव और अनिश्चितता ने बाजार में और भी दबाव बनाया है। घरेलू स्तर पर आर्थिक सुस्ती भी एक कारक है।
आगे क्या होगा?-विशेषज्ञों का मानना है कि रुपये पर दबाव अभी बना रह सकता है। तेल की कीमतें और डॉलर की मजबूती को देखते हुए, रुपया 86.50 से 87.20 के बीच रह सकता है। हालांकि, सरकार के नीतिगत फैसले और वैश्विक परिस्थितियों में बदलाव से स्थिति में सुधार भी हो सकता है। रुपये में गिरावट एक गंभीर मुद्दा है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सरकार को इस स्थिति से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे ताकि आयात पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखा जा सके।