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सिद्धू मूसेवाला का सपना अब पिता पूरा करेंगे, बलकौर सिंह लड़ेंगे 2027 का पंजाब चुनाव

सिद्धू मूसेवाला के अधूरे सपने को पूरा करने की तैयारी: पिता बलकौर सिंह का राजनीतिक सफर-

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यह खबर चंडीगढ़ से आई है और इसने सभी को चौंका दिया है! दिवंगत पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के पिता, बलकौर सिंह सिद्धू, ने 2027 में होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में उतरने का फैसला किया है। हाल ही में एक सभा में लोगों को संबोधित करते हुए, उन्होंने बताया कि सिद्धू का सपना था कि वह विधानसभा में जाएं। अब, वह खुद उस सपने को पूरा करेंगे। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन यह निश्चित रूप से पंजाब की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

कांग्रेस से नजदीकी? क्या है समीकरण-
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बलकौर सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं। इसकी वजह है कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के साथ उनकी अच्छी दोस्ती। इसलिए, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें मानसा से अपना उम्मीदवार बना सकती है। अगर ऐसा होता है, तो यह मुकाबला बहुत दिलचस्प होगा और सिद्धू के प्रशंसक बड़ी संख्या में उनके साथ खड़े दिखाई देंगे।

बलकौर सिंह का भावुक संदेश: बेटे के सपने को पूरा करने का संकल्प-बलकौर सिंह ने लोगों को संबोधित करते हुए अपने दिल की बात कही। उन्होंने कहा, “मेरी सेहत ठीक नहीं रहती, लेकिन आप लोग मेरी ताकत हैं। हमारे पास संसाधन कम हैं, लेकिन लड़ाई बड़ी है और हमें इसे लड़ना ही है।” उन्होंने आगे कहा कि सिद्धू का सपना अधूरा है, और अब वह अपने बेटे की तस्वीर को अपने दिल में रखकर विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ने का सपना पूरा करेंगे। उनके इस बयान ने वहां मौजूद सभी लोगों की आंखों में आंसू ला दिए।

जब सिद्धू ने खुद लड़ा था चुनाव: अतीत की यादें-यह ध्यान देने योग्य है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में, सिद्धू मूसेवाला ने भी राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर मानसा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि, उस चुनाव में उन्हें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार विजय सिंगला से हार का सामना करना पड़ा था। सिद्धू को उस समय 36,700 वोट मिले थे, जबकि वे 63,323 वोटों से पीछे रह गए थे।

राजनीति में एक नई शुरुआत: पिता का समर्पण-बलकौर सिंह का राजनीति में आना सिर्फ चुनाव लड़ना नहीं है, बल्कि यह उनके बेटे की यादों और सपनों को जीने का एक तरीका है। पंजाब के लोग इस फैसले को एक पिता की मजबूत इच्छाशक्ति और बेटे के सपनों के प्रति समर्पण के रूप में देख रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ते हैं और उन्हें जनता का कितना समर्थन मिलता है।

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