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कलंकार नहीं अलंकार होता है कलाकार : विजय मिश्रा

कलंकार नहीं अलंकार होता है कलाकार : विजय मिश्रा

लोकनाट्य कलंकार की सफल प्रस्तुति

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रायपुर। महाराष्ट्र मंडल के नाट्यशाला में लोकनाट्य कलंकार की प्रस्तुति की गई।संस्कार भारती द्वारा आयोजित समारोह में दर्शकों ने कलाकारों की भरपूर सराहना की।

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नाटक में कलाकारों के साथ समाज में होने वाले दोहरे व्यवहार का चित्रण, कलाकार की व्यथा को उजागर किया गया।नाटक के सूत्रधार वरिष्ठ लोक रंगकर्मी विजय मिश्रा ‘अमित’ ने कहा कलाकार कभी कलंकार नहीं होता।वह समाज का अलंकार होता है।कला की साधना इबादत से कम नहीं है।

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कलंकार के लेखक नरेंद्र जलक्षत्रीय ने प्रमुख पात्र नचकार चंदन तथा संतोष यादव ने गुरु मां की भूमिका को अपने उम्दा अभिनय-नृत्य से जीवंत कर दिया। गांव के लंगड़े घाघ सरपंच के पात्र को विजय मिश्रा ‘अमित’ ने अपने अद्भुत अभिनय से एवं चंदन की मां अहिल्या के चरित्र को मनीषा खोबरागड़े ने बेहद मार्मिक अभिनय से दर्शकों को भावविभोर कर दिया। नूतन- रौशनी साहू ने झगड़ालू औरतों की प्रवृत्ति को बड़ी खूबसूरती से करके तालियां बटोरने में कामयाबी पाई।

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अन्य पात्रों में प्रांजल राजपूत,ओम निषाद,देवा कश्यप ,ज्योति,पायल,
सुनिधि साहू,मैरी मसीह,ऋषिका शुक्ला , अभिषेक पाण्डेय ने अभिनय और नृत्य प्रतिभा के बूते ऊंचाई दी। संगीत लाईट का प्रभावी संचालन नाटय निर्देशक अर्जुन मानिकपुरी ,नीतिश यादव,अंजलि भट्ट, मानसी साहू,,तोसन निर्मलकर, नारायण -लोकेश- चंद्रहास साहू, कृष्णा सपहा,ने किया।

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